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Kinnaur Landslide: हिमाचल प्रदेश में कम अंतराल में अधिक बारिश से खिसक रहे हैं पहाड़, जानिए क्‍या कहते हैं वाडिया के भू विज्ञानी

Kinnaur Landslide हिमाचलप्रदेश में इस वर्ष भूस्खलन के सर्वाधिक मामले सामने आ रहे हैं। बुधवार को भी यहां किन्नौर में पहाड़ का एक हिस्सा खिसककर चलती बस के ऊपर जा गिरा। इसके पीछे वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के विज्ञानी कम अंतराल में अधिक बारिश होना मान रहे हैं।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Thu, 12 Aug 2021 09:33 AM (IST)
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Kinnaur Landslide हिमाचल प्रदेश में कम अंतराल में अधिक बारिश से खिसक रहे हैं पहाड़।
सुमन सेमवाल, देहरादून। Kinnaur Landslide हिमाचल प्रदेश में इस वर्ष भूस्खलन के सर्वाधिक मामले सामने आ रहे हैं। बुधवार को भी यहां किन्नौर जिले में पहाड़ का एक हिस्सा खिसककर चलती बस के ऊपर जा गिरा। भूस्खलन की बढ़ती घटनाओं के पीछे वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के विज्ञानी कम अंतराल में अधिक बारिश होने को मान रहे हैं। यह निष्कर्ष संस्थान के विज्ञानियों ने धर्मशाला में भूस्खलन के अध्ययन के दौरान निकाला।

अध्ययन में शामिल रहे वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वरिष्ठ विज्ञानी डा. विक्रम गुप्ता के मुताबिक हिमाचल प्रदेश में कुछ जगह कम अंतराल में अधिक बारिश हो रही है। इस तरह की बारिश पहाड़ के कमजोर हिस्सों को खासा प्रभावित करती है और वहां भूस्खलन की आशंका बढ़ जाती है।

उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के इन कारकों पर अंकुश लगाना फिलहाल संभव नहीं होता दिख रहा। लिहाजा, स्टेबिलिटी मैपिंग कराकर ऐसे संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान करना जरूरी है। जिससे इन क्षेत्रों में भारी निर्माण से बचा जा सके और जहां निर्माण चल रहा है, वहां अधिक सावधानी बरती जा सके। डा. विक्रम गुप्ता ने बताया कि धर्मशाला में किए गए अध्ययन की रिपोर्ट तैयार की जा रही है। इसे जल्द वाडिया संस्थान के निदेशक समेत केंद्र सरकार और हिमाचल प्रदेश सरकार को सौंपा जाएगा।

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उत्तराखंड के पहाड़ अधिक कमजोर

वरिष्ठ विज्ञानी डा. विक्रम गुप्ता के मुताबिक हिमाचल प्रदेश की तुलना में उत्तराखंड के पहाड़ अधिक कमजोर हैं। हिमाचल में सड़कों का अधिकांश विस्तार पहले किया जा चुका है। लिहाजा, संबंधित क्षेत्रों के पहाड़ लगभग सुदृढ़ हो चुके हैं। वहीं, उत्तराखंड में इस समय बड़े पैमाने पर सड़क आदि निर्माण कार्य चल रहे हैं। जिस तरह की बारिश इस समय हिमाचल में हो रही है, यदि यह उत्तराखंड में होती है तो नुकसान अधिक हो सकता है। डा. गुप्ता ने कहा कि धर्मशाला में किए गए अध्ययन की रिपोर्ट के आधार पर उत्तराखंड सरकार भी राज्य में पहाड़ों की सुरक्षा की दिशा में काम कर सकती है।

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