Mussoorie Ropeway: जिस जमीन पर सरकार एशिया के दूसरे सबसे लंबे रोपेवे का दिखा रही ख्वाब, वहां लैंडयूज का अड़ंगा
Mussoorie Ropeway पुरकुल में जिस जमीन पर सरकार एशिया के दूसरे सबसे लंबे रोपवे (दून-मसूरी) का ख्वाब दिखा रही है उसके निर्माण से पहले ही लैंडयूज (भू-उपयोग) का अड़ंगा फंस गया है। मसूरी देहरादून के मास्टर प्लान में पर्यटन विभाग की उक्त जमीन का लैंडयूज कृषि और वन दिखाया गया।
By Raksha PanthriEdited By: Updated: Tue, 21 Sep 2021 02:44 PM (IST)
सुमन सेमवाल, देहरादून। Mussoorie Ropeway देहरादून के पुरकुल गांव में जिस जमीन पर सरकार एशिया के दूसरे सबसे लंबे रोपवे (दून-मसूरी) का ख्वाब दिखा रही है, उसके निर्माण से पहले ही लैंडयूज (भू-उपयोग) का अड़ंगा फंस गया है। वजह यह कि पुरकुल में जहां से रोपवे का निर्माण किया जाना है, मसूरी देहरादून के मास्टर प्लान में पर्यटन विभाग की उक्त जमीन का लैंडयूज कृषि और वन दिखाया गया है। नियमानुसार रोपवे निर्माण के लिए लैंडयूज कामर्शियल और पर्यटन की श्रेणी में होना जरूरी है।
देहरादून से मसूरी के बीच 5.5 किमी लंबे रोपवे के निर्माण को लेकर राज्य सरकार गंभीर है। परियोजना पर काम शुरू करने के लिए उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद जन सुनवाई भी करा चुकी है। हालांकि, जब निर्माण की दिशा में कदम बढ़ाया जाने लगा, तब जाकर पता चला कि मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) के मास्टर प्लान (वर्ष 2005-2025) में विभाग की जमीन का लैंडयूज प्रयोजन के विपरीत है। यही नहीं जोनल प्लान में भी यही विपरीत लैंडयूज दिखाया गया है।
नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग और एमडीडीए की खामी के चलते परियोजना के निर्माण व आसपास के क्षेत्र के विकास में अच्छा खासा विलंब होने की आशंका है। क्योंकि, पर्यटन विभाग ही नहीं, बल्कि आसपास की निजी भूमि को भी कहीं वन तो कहीं कृषि में दिखाया गया है। इसके चलते संबंधित क्षेत्र में रोपवे के निर्माण के बाद भी पर्यटन की तमाम गतिविधियों के विस्तार में अड़ंगा फंसता रहेगा।
90 के दशक में उत्तर प्रदेश खनिज निगम से खरीदी थी भूमि
जिस भूमि पर रोपवे प्रस्तावित है, उसे पर्यटन विभाग ने 90 के दशक में उत्तर प्रदेश खनिज निगम से खरीदा था। यह भूमि करीब 6.8 हेक्टेयर (करीब 68 हजार वर्गमीटर) है। जाहिर है कि मास्टर प्लान तैयार करते समय इसके पूर्व के लैंडयूज कामर्शियल और इंडस्ट्रियल का ध्यान रखा जाना चाहिए था। कहीं न कहीं मास्टर प्लान में मनमाने ढंग से बदले गए लैंडयूज के चलते कृषि, वन आदि के समायोजन के लिए विपरीत लैंडयूज तय कर दिए गए।
पर्यटन विभाग की जमीन पर प्रापर्टी डीलर के मार्ग को भी दर्शायाक्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी जसपाल सिंह चौहान के मुताबिक प्रापर्टी डीलरों ने पर्यटन विभाग की जमीन पर मार्ग का निर्माण भी किया है। इसे एमडीडीए के मास्टर प्लान में मार्ग दर्शाया गया है, जबकि राजस्व रिकार्ड में ऐसा कोई मार्ग है ही नहीं।यह भी पढ़ें- Unseen Tourist Spots Pics: घूमने का है शौक और नई जगह को करना चाहते हैं Explore, तो ये हो सकती है बेस्ट डेस्टिनेशन
लैंडयूज में संशोधन का प्रस्ताव भेजा पर्यटन विभाग ने मास्टर प्लान की खामी को सुधारने के लिए एमडीडीए के माध्यम से शासन को प्रस्ताव भेजा है, जिससे लैंडयूज में आवश्यक संशोधन किया जा सके। पर्यटन विभाग देरसबेर इसमें संशोधन करवा भी लेगा, मगर सवाल यह भी है कि क्षेत्र की जिन तमाम निजी भूमि के लैंडयूज में अनावश्यक बदलाव किया गया है, क्या वहां भी संशोधन किया जाएगा। या फिर नागरिकों को मोटी रकम देकर भू-उपयोग परिवर्तन के लिए अलग-अलग अर्जी लगानी पड़ेगी। फिलहाल इसका जवाब अधिकारियों के पास नहीं है।
यह भी पढ़ें- मसूरी के भुट्टों की बात ही है कुछ अलग, इन्हें खाए बिना नहीं रह पाते पर्यटक, वीकएंड पर बिकता है इतने रुपये में
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।