सत्ता के गलियारे से : कोई बताए, किसका हुआ प्रमोशन; किसका डिमोशन
उत्तराखंड में पिछला हफ्ता सियासी हलचल से भरपूर रहा लेकिन इस दौरान एक उलटफेर ऐसा हुआ कि किसी को समझ नहीं आया कौन नफे में रहा और किसे नुकसान हुआ। भाजपा आलाकमान ने सरकार के मुखिया को तो बदला ही संगठन के सूबाई अध्यक्ष को भी विदा कर दिया।
By Sumit KumarEdited By: Updated: Mon, 15 Mar 2021 07:40 AM (IST)
विकास धूलिया, राज्य ब्यूरो: उत्तराखंड में पिछला हफ्ता सियासी हलचल से भरपूर रहा, लेकिन इस दौरान एक उलटफेर ऐसा हुआ कि किसी को समझ नहीं आया, कौन नफे में रहा और किसे नुकसान हुआ। भाजपा आलाकमान ने सरकार के मुखिया को तो बदला ही, संगठन के सूबाई अध्यक्ष को भी विदा कर दिया। बंशीधर भगत से संगठन की कमान वापस लेकर पिछली त्रिवेंद्र कैबिनेट के सबसे ताकतवर मंत्री रहे मदन कौशिक को सौंप दी। कौशिक को मंत्री पद का मोह छोडऩा पड़ा।
अलबत्ता भगत को मंत्री बना दिया गया। लब्बोलुआब यह कि कौशिक और भगत की आपस में अदला-बदली हो गई। यह तो ठीक, मगर ये दोनों ही ऐसे जाहिर करते दिखे, मानों इनकी खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं। अब यह कैसे मुमकिन है, किसी के पल्ले नहीं पड़ रहा। आजकल सत्ता के गलियारों में इसी लाख टके के सवाल की चर्चा है कि कौशिक और भगत में से फायदे में रहा कौन।दिल के अरमां आंसुओं में बह गए
भाजपा में मची हलचल से यूं तो कांग्रेस की बाछें खिलनी चाहिए, लेकिन आलम यह है कि नेताओं के माथे पर चिंता की लकीरें नजर आ रही हैं। चार साल तक भाजपा सरकार के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत को टारगेट कर मिशन 2022 फतह करने की तैयारी की, लेकिन भाजपा ने नेता ही बदल डाला। दिल के अरमां आंसुओं में बहने ही थे, क्योंकि चार साल की मशक्कत के बाद जो चार्जशीट तैयार की, वह नए मुखिया तीरथ के आने से बेमायने होकर रह गई। इतना ही नहीं, चार नए मंत्री आने से इनके खिलाफ माहौल बनाने की कवायद अलग से। पूरी तैयारी धरी रह गई। पहले ही पार्टी में कई मोर्चे खुले हैं, अब सरकार में नए चेहरों ने पूरी रणनीति ही गड़बड़ा दी। चर्चा है कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम और नेता प्रतिपक्ष इंदिरा फिर सिर जोड़ कर बैठे हैं, सियासी बिसात पर नए सिरे से मोहरे जो चलने हैं।
पौड़ी, यहां होती है मुख्यमंत्रियों की पैदावार
पौड़ी गढवाल, सूबे के 13 जिलों में से एक। वैसे तो यह तमाम उपलब्धियों के लिए जाना जाता है, मगर अब इसने अपनी एक नई पहचान गढ़ ली है। उत्तराखंड को अलग राज्य बने अभी 20 ही साल हुए हैं, मगर मुख्यमंत्री नौ बन चुके हैं, भुवन चंद्र खंडूड़ी को दो बार मौका मिला। यानी, अब दसवें मुख्यमंत्री के रूप में तीरथ सिंह रावत की ताजपोशी हुई है। नौ मुख्यमंत्रियों में से अकेले पौड़ी जिले से तीरथ पांचवें मुख्यमंत्री हैं। खंडूड़ी के बाद रमेश पोखरियाल निशंक, विजय बहुगुणा, त्रिवेंद्र सिंह रावत और अब तीरथ। यह संयोग ही है कि ये सभी भाजपा के हैं। यह बात दीगर है कि बहुगुणा मुख्यमंत्री तो कांग्रेस में रहते हुए बने, लेकिन पांच साल पहले उन्होंने भी भाजपा का रुख कर लिया। इस फेहरिस्त में उत्तर प्रदेश के दो मुख्यमंत्रियों के नाम भी शामिल हैं, स्व. हेमवती नंदन बहुगुणा के बाद अब योगी आदित्यनाथ।
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