शनिवार सुबह तक देहरादून लाया जाएगा स्व. पंत का पार्थिव शरीर
उत्तराखंड सरकार में संसदीय कार्य एवं विधायी वित्त और आबकारी मंत्री प्रकाश पंत का पार्थिव शरीर शनिवार सुबह देहरादून लाया जाएगा।
By Edited By: Updated: Fri, 07 Jun 2019 08:27 PM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश सरकार में संसदीय कार्य एवं विधायी, वित्त और आबकारी मंत्री प्रकाश पंत का पार्थिव शरीर शनिवार सुबह देहरादून लाया जाएगा।
जौलीग्रांट एयरपोर्ट के निकट एसडीआरएफ परिसर में उनके पार्थिव शरीर को दर्शनों के लिए कुछ देर रखा जाएगा। कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत का बुधवार को अमेरिका में इलाज के दौरान निधन हो गया था। उनका अंतिम संस्कार पिथौरागढ़ स्थित उनके पैतृक गांव में किया जाएगा। स्व. पंत के पार्थिव शरीर को अमेरिका से दिल्ली और फिर देहरादून के निकट जौलीग्रांट एयरपोर्ट लाया जाएगा।भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट का कहना है कि शनिवार सुबह तक स्व. पंत का पार्थिव शरीर जौलीग्रांट एयरपोर्ट लाया जाएगा। मुख्यमंत्री कार्यालय के मुताबिक जौलीग्रांट एयरपोर्ट के निकट स्थित एसडीआरएफ परिसर में कुछ देर तक उनके पार्थिव शरीर को दर्शनार्थ रखा जाएगा। इसके बाद विशेष विमान से पार्थिव शरीर पिथौरागढ़ भेजा जाएगा, जहां उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
नगर पालिका के वार्ड से शुरू हुआ राजनीतिक सफर
अपनी मोहक मुस्कान और सरल व्यवहार को लेकर प्रकाश पंत ने एक छाप छोड़ी थी। यही कारण रहा कि पिथौरागढ़ में वार्ड मेंबर से राजनीति का सफर प्रारंभ करने वाले प्रकाश प्रदेश के पहले विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचे। प्रकाश पंत का जन्म 11 नवंबर 1960 में उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुआ था। तब उनके पिता मोहन चंद्र पंत वहां एसएसबी में कार्यरत थे और बाद में एरिया ऑर्गनाइजर (एओ) पद से सेवानिवृत्त भी हुए। उनकी माता कमला पंत गृहिणी हैं।
मूल रूप से गंगोलीहाट के चौढियार गांव निवासी प्रकाश पंत ने प्राथमिक शिक्षा 1968 में, 1975 में हाईस्कूल और 1977 में मिशन इंटर कालेज पिथौरागढ़ से इंटर की परीक्षा अच्छे अंकों से उत्तीर्ण की। बाद में पीजी कालेज पिथौरागढ़ में प्रवेश लिया। जहां पर वह सैन्य विज्ञान परिषद में महासचिव चुने गए। बीए करने के बाद 1980 में द्वाराहाट राजकीय पालीटेक्निक से फार्मेसी से डिप्लोमा प्राप्त किया। वर्तमान में नगर के खड़कोट में उनका आवास है।
राजकीय सेवा में भी रहेप्रकाश पंत ने अपने कॅरियर की शुरुआत राजकीय सेवा से की थी। चार मार्च 1981 को नगर के निकट राजकीय एलोपैथिक चिकित्सालय देवत में फार्मेसिस्ट पद पर उनकी नियुक्ति हुई। बाद में जिला अस्पताल में तबादला हुआ। सरकारी सेवा के साथ-साथ समाज सेवा से भी वह जुड़े रहे। चार वर्ष बाद 1984 में उन्होंने सरकारी सेवा से त्यागपत्र दे दिया। सेवा के दौरान डिप्लोमा फार्मेसिस्ट एसोसिएशन के जरिये राजनीति में उनकी रु चि जाग गई थी। इसी साल नगर के गांधी चौक में उन्होंने पंत मेडिकल स्टोर खोला।
सक्रिय राजनीति में किया प्रवेश पं. दीनदयाल के एकात्मवाद से प्रभावित प्रकाश पंत ने उनकी एमात्मवाद पुस्तक पढऩे के बाद वर्ष 1984 में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। अपने व्यवहार और कार्यकुशलता के चलते वह भाजपा के जिला महामंत्री बने। तब रामजन्म भूमि आंदोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। जिसमें वह जेल भी गए थे। वर्ष 1988 में नगरपालिका चुनाव में खड़कोट वार्ड से सभासद चुने गए। प्रकाश पंत भाजयुमो के जिलाध्यक्ष सहित प्रदेश कार्यकारिणी के पदाधिकारी भी रहे।
1989 में विवाह बंधन में बंधे प्रकाश पंत का विवाह 26 मई 1989 को नगर के ही पांडेय गांव निवासी स्व. चंद्रबल्लभ पांडेय की पुत्री चंद्रा के साथ हुआ। चंद्रा अध्यापिका हैं। उनकी तीन संतानें नमिता, शुचिता और सौरभ हैं। बड़ी पुत्री नमिता की साल भर पूर्व शादी हुई है। छोटी पुत्री और पुत्र अभी पढ़ रहे हैं।
1998 से चमका राजनीति का सिताराप्रकाश पंत की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए 1998 में भाजपा ने उन्हें कुमाऊं मंडल से विधान परिषद का प्रत्याशी बनाया। यह चुनाव उन्होंने बहुमत के साथ जीता और पंचायत में धुरंधर माने जाने वाले प्रत्याशियों को परास्त किया। यूपी के विधान परिषद से उनकी राजनीतिक प्रखरता आगे आने लगी। उन्होंने विधान परिषद में कई महत्वपूर्ण सवाल पूछे, जिन पर जांच भी बैठी। उनकी प्रखरता को देखते हुए उन्हें उप्र विधान सभा अध्ययन दल में शामिल किया गया।
राज्य के पहले विधानसभा अध्यक्ष बनेउत्तराखंड बनने के बाद भाजपा की अंतरिम सरकार में उन्हें विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया। तब तक प्रकाश पंत भाजपा के कद्दावर नेता बन चुके थे। जनता के बीच गहरी पैठ हो चुकी थी। 2002 के विस चुनावों में उन्हें पार्टी ने पिथौरागढ़ से अपना प्रत्याशी बनाया और पंत चुनाव जीत गए। 2007 में भी पार्टी ने उन्हें प्रत्याशी बनाया और वह चुनाव जीते। तब बीसी खंडूरी की सरकार में उन्हें पर्यटन, तीर्थाटन, धर्मस्व कार्य, संस्कृति , संसदीय कार्य, विधायी एवं पुर्नगठन मंत्री बनाया गया। वर्ष 2012 का चुनाव वह हारे परंतु 2017 का चुनाव फिर से जीते। वर्तमान में प्रदेश में सीएम के बाद दूसरे नंबर के नेता माने जाते रहे हैं।
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