Uttarakhand Scholarship Scam: आठ संस्थानों के खिलाफ छह थानों में मुकदमे दर्ज
छात्रवृत्ति घोटाले में एसआइटी ने आठ संस्थानों के खिलाफ पांच मुकदमे देहरादून एक मुकदमा विकासनगर में दर्ज कराया है। इनमें से तीन संस्थान प्रदेश से बाहर के हैं।
By Bhanu Prakash SharmaEdited By: Updated: Wed, 24 Jun 2020 08:46 AM (IST)
देहरादून, जेएनएन। छात्रवृत्ति घोटाले में एसआइटी ने आठ संस्थानों के खिलाफ पांच मुकदमे देहरादून, जबकि एक मुकदमा विकासनगर में दर्ज कराया है। इनमें से पांच संस्थान देहरादून और तीन संस्थान प्रदेश से बाहर के हैं। इन संस्थानों ने अनुसूचित जाति/जनजाति छात्र-छात्रओं के अपने संस्थानों में फर्जी प्रवेश दर्शाकर फीस प्रतिपूर्ति के रूप में समाज कल्याण विभाग को करीब सवा तीन करोड़ रुपये की चपत लगाई।
शासन के आदेश पर देहरादून व हरिद्वार जिले में छात्रवृत्ति घोटाले में जांच के लिए आइपीएस मंजूनाथ टीसी की देखरेख में बनाई एसआइटी की ओर से जांच के बाद यह मुकदमे छह थानों में दर्ज कराए गए। आरोप है कि इन आठ संस्थानों ने छात्रवृत्ति के नाम पर कुल 3,17,72,090 रुपये का गबन कर डाला। एसआइटी के अनुसार, देहरादून के ब्राह्मणवाला चौक स्थित शकुंतला देवी एजुकेशन इंस्टीट्यूट ने 24 लाख, 56 हजार 600 रुपये का गबन किया। वहीं साई स्कूल ऑफ नर्सिंग और साई इंस्टीट्यूट आफ पैरामेडिकल एलाइड साइंस, मोहब्बेवाला देहरादून ने 70 लाख 44 हजार, 930 रुपये का गबन किया। इन दोनों संस्थानों के खिलाफ पटेलनगर कोतवाली में मामला दर्ज किया गया है।
इसी तरह द्रोणाचार्य कॉलेज आफ मैनेजमेंट एंड टेक्नालॉजी, देहरादून ने 95 लाख 59 हजार, 760 रुपये का गबन किया। संस्थान के खिलाफ विकासनगर थाने में मुकदमा हुआ है। सरस्वती इंस्टीट्यूट आफ टेक्नालॉजी एंड मैनेजमेंट, इंद्रानगर, देहरादून ने 38 लाख 79 हजार, 100 रुपये का गबन किया, जिसके खिलाफ वसंत विहार थाने में केस फाइल किया गया। इसके अलावा कॉरपोरेट इंस्टीट्यूट आफ टेक्नालॉजी उन्नाव, उत्तर प्रदेश ने 44 लाख 97 हजार, 600 रुपये का गबन किया, जिसके खिलाफ डालनवाला कोतवाली, शिवालिक इंस्टीट्यूट आफ टेक्नालॉजी, सहारनपुर ने 33 लाख, 42 हजार,900 रुपये व चमन देवी पैरामेडिकल प्राइवेट लिमिटेड, सहारनपुर ने 9 लाख 91 हजार, 200 रुपये का गबन किया। संस्थान के खिलाफ डालनवाला कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया है।
26 मामलों में दाखिल हो चुकी चार्जशीटएसआइटी ने देहरादून में दर्ज कुल 51 मुकदमों में से तीन में व हरिद्वार में अब तक दर्ज 78 मुकदमों में से 13 में विवेचना कर संबंधित थाने की पुलिस चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। जिन मुकदमों में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है, उसमें भी विवेचना पार्ट पेंडिंग रखी गई है। यानी इन मामलों में नेटवर्क को पूरी तरह से खंगाला जाना बाकी है।
छात्रवृत्ति घोटाले में अभी और होंगी गिरफ्तारियांछात्रवृत्ति घोटाले में देहरादून में अब तक 52 और हरिद्वार में 21 की गिरफ्तारी हो चुकी है। इनमें से अधिकांश को जमानत भी मिल चुकी है। मगर एसआइटी की जांच और मुकदमा दर्ज करने वाली पुलिस की विवेचना अभी लंबित है। ऐसे में आने वाले दिनों में कई और गिरफ्तारियां हो सकती हैं।संस्थानों के एजेंटों की तैयार हो रही कुंडली
अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों की छात्रवृत्ति डकारने वाले संस्थानों का नेटवर्क उत्तराखंड के गांवों तक फैला था। यही एजेंट गांवों से छात्र-छात्रओं के शैक्षणिक दस्तावेज इकट्ठा करते और उन्हें संस्थानों को सौंप देते। संस्थान इन्हीं दस्तावेजों पर अपने यहां दाखिला दिखाते और उसके आधार पर समाज कल्याण विभाग से छात्रवृत्ति लेकर डकार जाते। इसके बदले में संस्थान एजेंटों को हर छात्रवृत्ति में बीस से तीस प्रतिशत की रकम बतौर दलाली देते थे।
समाज कल्याण विभाग की ओर से उत्तराखंड और अन्य राज्यों के शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ने वाले अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति में वर्ष 2012 से लेकर 2016 के बीच जमकर धांधली की गई। संस्थानों ने उत्तराखंड के मूल निवासी छात्र-छात्रओं के फर्जी प्रवेश दिखाकर गरीबों के हक का करीब पांच सौ करोड़ रुपया डकार लिया। यह भी पढ़ें: Scholarship Scam: तीन राज्यों के इन 22 संस्थानों पर दर्ज हुआ मुकदमा, जानिए
नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश घोटाले की जांच कर रही एसआइटी अब तक इन संस्थानों के निदेशक से लेकर तमाम बड़े चेहरों पर शिकंजा कस चुकी है, अब बारी उन चेहरों को सलाखों को पीछे धकेलने की है, जो संस्थानों के लिए गांवों-कस्बों से छात्रों के दस्तावेज एकत्रित करते थे। दरअसल, इन चेहरों के बेनकाब होने के बाद ही संस्थान और एजेंट के बीच गठजोड़ की पूरी कलई खुलेगी। क्योंकि एसआइटी ने अब तक इस घोटाले में शामिल बड़ी मछलियों पर शिकंजा कसा है।
खंगाला जा रहा निचले स्तर का नेटवर्क एसपी जीआरपी व एसआइटी प्रभारी मंजूनाथ टीसी के मुताबिक, छात्रवृत्ति घोटाले को अंजाम देने में उच्च से लेकर निचले स्तर के नेटवर्क को खंगाला जा रहा है। जिनमें पूरे तथ्य और प्रमाण मिल गए हैं, उनमें कार्रवाई की जा चुकी है। अन्य मामलों में जांच जारी है। इसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। यह भी पढ़ें: सहकारी समिति में 1.97 करोड़ का गबन, एडीओ समेत दो को किया निलंबित
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