कर्नाटक और पश्चिम बंगाल से सीखेंगे कैसे वन्यजीव संघर्ष से निबटें
उत्तराखंड में मानव-वन्यजीव संघर्ष को थामने के लिए अब कर्नाटक और पश्चिम बंगाल से सीखेगा कि कैसे वन्यजीव संघर्ष से निबटें।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Tue, 17 Sep 2019 08:45 PM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। उत्तराखंड में मानव-वन्यजीव संघर्ष को थामने के लिए अब कर्नाटक और पश्चिम बंगाल में हुई पहल को यहां भी धरातल पर उतारा जाएगा। इस सिलसिले में छह वनाधिकारियों का दल अध्ययन के लिए इन राज्यों में भेजा जा रहा है। इस दरम्यान वे वन्यजीवों को जंगल को ही रोकने, अर्ली वार्निंग सिस्टम विकसित करने समेत चार बिंदुओं पर मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित करेंगे।
71 फीसद वन भूभाग वाले उत्तराखंड में भी मानव और वन्यजीवों के मध्य छिड़ी जंग अब चिंताजनक स्थिति में पहुंच चुकी है। पहाड़ से लेकर मैदान तक सभी जगह वन्यजीवों ने नींद उड़ाई हुई है। राज्य गठन से लेकर अब तक 600 से ज्यादा लोग वन्यजीवों के हमलों में मारे गए हैं, जबकि इसके चार गुना से ज्यादा घायल हुए हैं। लगातार गहराती इस समस्या को देखते हुए अब प्रदेश सरकार ने भी इसके लिए प्रभावी कदम उठाने की कवायद शुरू कर दी है। इसी कड़ी में देश के अन्य राज्यों में मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने को लेकर हुई पहल का अध्ययन कर इसी हिसाब से यहां कदम उठाने की ठानी है।
इस क्रम में वन्यजीव बहुल कर्नाटक और पश्चिम बंगाल में वनाधिकारियों का दल भेजा जा रहा है। राज्य के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक राजीव भरतरी के मुताबिक छह वनाधिकारियों का यह दल 22 से 26 सितंबर तक दोनों राज्यों का दौरा करेगा। इस दौरान वहां संघर्ष थामने को हुई पहल और इन्हें उत्तराखंड में धरातल पर उतारने को लेकर अध्ययन किया जाएगा।
चार बिंदुओं पर होगा फोकसवनाधिकारियों का यह दल मुख्य रूप से चार बिंदुओं पर अध्ययन करेगा। इसके तहत हाथी समेत दूसरे वन्यजीवों को जंगल में रोके रखने के मद्देनजर विशेष बैरियर और खास किस्म की सोलर पावर फैंसिंग की जानकारी ली जाएगी। इसके अलावा वन्यजीवों के जंगल की देहरी लांघने पर इसकी तुरंत सूचना के लिए अर्ली वार्निंग सिस्टम विकसित करने और स्थानीय लोगों के साथ संवाद कर संघर्ष थामने में उनकी सहभागिता का भी अध्ययन किया जाएगा।
यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में शिकार के तरीके नहीं सीख पा रहे गुलदार के शावक, जानिए वजहपरियोजना का बढ़ाया दायरामानव-वन्यजीव संघर्ष की रोकथाम के लिए जर्मनी की एक संस्था के सहयोग से हरिद्वार वन प्रभाग में चल रही परियोजना का दायरा बढ़ाया गया है। मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक के अनुसार अब इस परियोजना में राजाजी टाइगर रिजर्व लैंड स्केप के नरेंद्रनगर, लैंसडौन, देहरादून, पौड़ी प्रभागों को भी शामिल कर लिया गया है।
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