नंदा-गौरा के एकीकृत होते ही आवेदनों में गिरावट
वर्ष 2017-18 में नंदा गौरा योजनाओं में 2710 पात्रों को लाभ मिला था, जबकि इस वर्ष नंदा-गौरा योजना के लिए महज 1900 आवेदन ही आए।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Tue, 26 Jun 2018 05:36 PM (IST)
देहरादून, [जेएनएन]: जिन दो योजनाओं से अभी तक हजारों बेटियों का जीवन संवर रहा था, अब उन योजनाओं के एकीकरण के बाद लाभार्थियों की संख्या घटती जा रही है। इसे विभाग की नाकामी ही कहा जाएगा कि वर्ष 2017-18 में दोनों योजनाओं में 2710 पात्रों को लाभ मिला था, जबकि इस वर्ष नंदा-गौरा योजना के लिए महज 1900 आवेदन ही आए।
दरअसल, अभी तक समाज कल्याण विभाग गौरा देवी व बाल एवं महिला विकास विभाग नंदा देवी योजना का संचालन करता था। नंदा देवी योजना में बेटी के जन्म होने पर व गौरा देवी योजना में बेटी की शिक्षा, विवाह के समय आर्थिक राशि सहायता के रूप में दी जाती थी। दोनों योजनाएं बेटियों से जुड़ी होने के कारण इस वर्ष योजनाओं को एकीकृत कर बाल एवं महिला विकास विभाग को सौंप दिया गया। मकसद यह था कि एक विभाग को सौंपने के बाद योजना का प्रभावी तरीके से क्रियान्वयन हो सकेगा। वर्ष 2017-18 में समाज कल्याण की गौरा देवी योजना में 1650 आवेदन व बाल विकास विभाग की नंदा योजना में 1100 से ज्यादा आवेदन आए थे।
हालांकि यह प्रदर्शन भी सराहनीय नहीं है, लेकिन दोनों योजनाओं को एक किए जाने के बाद तो स्थिति और खराब होती नजर आ रही है। इस पर जिला बाल विकास कार्यक्रम अधिकारी डॉ. एसपी सिंह का कहना कि अभी आवेदन कम ही आए हैं। लेकिन, आवेदन को समय शेष है। इसमें बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।
समाज कल्याण के काट रहे चक्कर
दोनों महत्वपूर्ण योजनाओं को एक करने के बाद विभाग ने योजना के प्रचार-प्रसार पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। यही कारण है कि पात्र योजना के लिए समाज कल्याण विभाग के चक्कर काटते रहते हैं। तब उन्हें बताया जाता है कि अब योजना बाल एवं महिला विकास विभाग देख रहा है।
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