उत्तराखंड: वन विभाग पर साढ़े नौ करोड़ की देनदारी
वन विभाग को मानव, फसल, पशु व भवन क्षति के मुआवजे के तौर पर प्रभावित लोगों को 20.09 करोड़ की राशि का भुगतान किया जाना है, मगर इसके लिए उसके पास सिर्फ 10.65 करोड़ ही उपलब्ध हैं।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: प्रदेश में चिंताजनक स्थिति में पहुंच चुके मानव- वन्यजीव संघर्ष ने वन महकमे की पेशानी पर भी बल डाल दिए हैं। मानव, फसल, पशु व भवन क्षति के मुआवजे के तौर पर प्रभावित लोगों को 20.09 करोड़ की राशि का भुगतान किया जाना है, मगर इसके लिए उसके पास सिर्फ 10.65 करोड़ ही उपलब्ध हैं। परेशानी इसलिए भी बढ़ गई है कि क्षतिपूरक वनीकरण निधि प्रबंधन (कैंपा) के प्रावधानों के तहत उससे इसके लिए राशि नहीं मिल सकती और उत्तराखंड वन विकास निगम ने भी मदद देने में हाथ झाड़ दिए हैं। हालांकि, विभाग की मानें तो क्षति के मुआवजे के मद्देनजर राज्य सरकार से बजट की मांग की गई है।
चालू वित्तीय वर्ष में दिसंबर तक मानव वन्यजीव संघर्ष में 27 लोगों की जान गई, जबकि 222 लोग घायल हुए। 31 घरों को वन्यजीवों ने नुकसान पहुंचाया तो करीब 183 हेक्टेयर क्षेत्र में खड़ी फसलें चौपट कर डाली। 3800 से ज्यादा मवेशी भी वन्यजीवों का निवाला बने। जाहिर है कि विभाग पर मुआवजा देने के लिए हर रोज दबाव बढ़ रहा है। यानी, मुआवजे के मामले तो बढ़ रहे, लेकिन इसके भुगतान के लिए बजट की भारी कमी है।
2016-17 से चालू वित्तीय वर्ष के दिसंबर माह तक के आंकड़े बताते हैं कि मानव क्षति के 73 मामलों (46 पिछले और 27 इस वित्तीय वर्ष के) में 205.90 लाख का मुआवजा लंबित है। इसी प्रकार घायलों के 373 प्रकरणों में 76.74 लाख, पशु क्षति के 11587 मामलों में 1527.339 लाख, 1418.852 हेक्टेयर फसल क्षति के मामलों में 193.34 और भवन क्षति के 91 प्रकरणों में 5.87 लाख का मुआवजा दिया जाना है।
यानी कुल 2009.19 लाख की लंबित राशि का मुआवजा देने के लिए विभाग के पास 1065.27 लाख रुपये ही उपलब्ध हैं। लंबित पड़ी शेष राशि जुटाने के लिए उसे खासे पापड़ बेलने पड़ रहे हैं। प्रमुख वन संरक्षक नियोजन गंभीर सिंह के मुताबिक कैंपा और वन विकास निगम से मदद का आग्रह किया गया था, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है। उन्होंने कहा कि शासन से मानव वन्यजीव संघर्ष राहत वितरण निधि में बजट मुहैया कराने का आग्रह किया गया है। उम्मीद है कि जल्द ही यह मिल जाएगा और मुआवजे का भुगतान कर दिया जाएगा।