जिंदा दफनाकर उतारा मौत के घाट, तीन दोषियों को मिली ये सजा
जिंदा जमीन में दफन कर मौत के घाट उतारने के मामले में अदालत ने तीन दोषियों को उम्र कैद की सजा सुनार्इ है। मामला तेरह साल पुराना है।
By Edited By: Updated: Thu, 13 Sep 2018 04:20 PM (IST)
देहरादून, [जेएनएन]: अपहरण के बाद जिंदा जमीन में दफन कर मौत के घाट उतारने के सनसनीखेज मामले में अपर सत्र न्यायाधीश तृतीय गुरुबख्स सिंह की अदालत ने तीन दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। वहीं एक पर दुष्कर्म का आरोप भी सिद्ध हुआ, जिसमें दोषी को दस वर्ष की सजा व तीन लाख रुपये जुर्माना भरने के आदेश कोर्ट ने दिए हैं।
वर्ष 2005 में सुर्खियों में रही इस वारदात में तेरह साल बाद बुधवार को कोर्ट ने फैसला दिया। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता जेके जोशी ने अदालत को बताया कि सहसपुर बैरागीवाला निवासी इकबाल ने अपने बेटे शहजाद की गुमशुदगी दर्ज कराई थी। बताया था कि 10 फरवरी 2005 को दो युवक उसे बुलाकर ले गए थे। साथ ही एक युवक ने अपनी बहन के अपहरण और दुष्कर्म का मुकदमा 20 मार्च 2005 को सहसपुर थाने में दर्ज कराया। जांच में सामने आया कि युवक शहजाद और युवती की सगाई हुई थी। लेकिन युवती का मौसा हुसैन अहमद उसको जयपुर लेकर चला गया। पीड़िता जब जयपुर से मिली तो माह की गर्भवती थी।पुलिस की जांंच आगे बढ़ी तो खुलासा हुआ कि सहारनपुर के रहने वाले हुसैन अहमद, तनवीर, इसरार ने मिलकर शहजाद को सहारनपुर में पुरानी कब्र में बेहोशकर जिंदा दफन कर दिया था। निशानदेही पर एक साल बाद कब्र खोदी गई। जिसमें से हड्डियां बरामद हुई। तमाम साक्ष्यों के आधार पर कोर्ट ने हुसैन अहमद, तनवीर और इसरार को हत्या और अपहरण का दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। साथ ही 10-10 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है। इसके साथ ही हुसैन अहमद को दुष्कर्म का दोषी करार देते हुए 10 साल की सजा और तीन लाख रुपये जुर्माने की सजा भी सुनाई। सरकारी अधिवक्ता ने बताया कि मुकदमे में आरोपित मुख्यात, इस्तखार और मुस्तकीम को सबूतों के अभाव में दोषमुक्त करार देते हुए बरी कर दिया है।
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