हत्या के मामले में चचेरे भाई समेत तीन को उम्रकैद
अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश आरके खुल्बे की कोर्ट ने आठ साल पूर्व हुई युवक की हत्या के मामले में तीन लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Sat, 23 Feb 2019 02:54 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। चचेरे भाई का अपहरण कर उसकी हत्या करने और शव को गंगा में फेंकने के दोषी तीन दोस्तों को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम आरके खुल्बे की अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। अदालत ने दोषियों पर 12 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। जिसे अदा न करने पर तीन माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। मृतक ललित राय के पिता कस्टम विभाग में अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं, जबकि हत्याकांड के साजिशकर्ता के पिता ऊधमसिंह नगर में बैंक ऑफ बड़ौदा में मैनेजर हैं।
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता जया ठाकुर ने अदालत को बताया कि 16 जून 2011 को शिमला बाईपास रोड स्थित देवलोक कॉलोनी निवासी ललित राय (25) पुत्र एकेबी राय अचानक लापता हो गया। ललित राय बीटेक करने के बाद ओएनजीसी में प्रशिक्षण ले रहा था। उनके बड़े भाई वीकेबी राय ऊधमसिंहनगर में बैंक में कार्यरत थे, उनका बेटा राहुल हरिद्वार के श्यामपुर में रहता था और लांड्री का काम करता था। 16 जून की पूरी रात जब ललित घर नहीं लौटा तो परिवार के लोगों ने पुलिस को सूचना दी। खोजबीन के दौरान ललित की बाइक आइएसबीटी की पार्किंग में खड़ी मिल गई।
पुलिस ने जब आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगाले तो पता चला कि ललित के साथ आइएसबीटी पर बाइक खड़ी करते समय राहुल भी था। चचेरे भाई की तलाश में परिवार के साथ पुलिस की मदद कर रहा राहुल गायब हो गया। एक सप्ताह बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया। पूछताछ में राहुल ने बताया कि 16 जून 2011 को वह अपने दो साथियों रमेश कश्यप पुत्र चानू निवासी श्यामपुर, हरिद्वार व रविंद्र सिंह पुत्र लाल सिंह निवासी कांगड़ी, थाना श्यामपुर, हरिद्वार के संग कार से देहरादून आया। दून पहुंचकर राहुल ने ललित को फोन कर आइएसबीटी बुलाया। ललित बाइक से वहां आया।
राहुल ने उसकी बाइक पार्किंग में खड़ी करवाई और तीनों उसे कार से हरिद्वार के श्यामपुर कांगड़ी ले गए। रास्ते में सभी ने शराब व बीयर पी। उन्होंने ललित को बीयर में नशे की तीन गोलियां मिलाकर पिला दी, जिससे ललित सुधबुध खो बैठा। उसी दिन शाम साढ़े छह बजे तीनों ने ईंट-पत्थर से कुचलकर ललित की हत्या कर दी और शव गंगा में फेंक दिया। ललित का शव कांगड़ी घाट नंबर-10 से नदी से बरामद किया गया। अभियोजन पक्ष की ओर से कुल 11 गवाह पेश किए गए।
फिरौती के लिए किया था अपहरण
राहुल ने व्यापार में घाटा होने पर ललित के अपहरण की साजिश रची थी। उसने घटना से डेढ़ साल पूर्व अपने पिता के करीब बीस लाख रुपये घाटे में डुबा दिए थे। इसके बाद राहुल ने अपनी लांड्री को भी ठेके पर दे दिया। घाटे से उबरने के लिए उसने चचेरे भाई के अपहरण का प्लान बनाया। राहुल का कहना था कि ललित के पिता से चालीस लाख रुपये की फिरौती मांगने की तैयारी थी, लेकिन बाद में तीनों को लगा कि ललित जब छूटकर घर जाएगा तो तीनों का भेद खुल जाएगा और पकड़े जाएंगे। इसी के डर से तीनों ने ललित की हत्या कर दी।
प्रापर्टी पाना भी था उद्देश्यललित अपने माता-पिता की इकलौती संतान थे। राहुल को जब व्यापार में घाटा होने लगा तो उसकी नीयत खराब होने लगी। उसकी नीयत थी कि जब ललित नहीं रहेगा तो उसके चाचा की प्रापर्टी उसे मिल जाएगी। सुनवाई के दौरान गवाहों के बयान में यह बात भी सामने आई थी।
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