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Uttarakhand Coronavirus Update: देहरादून का लक्खीबाग और झाबरवाला बस्ती कंटेनमेंट जोन से बाहर

एम्‍स ऋषिकेश में कोरोना वायरस संक्रमण थमने का नाम नहीं ले रहा है। सोमवार देर रात आई रिपोर्ट में एक महिला तीमारदार में कोराना संक्रमण की पुष्टि हुई है।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Tue, 05 May 2020 10:41 PM (IST)
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Uttarakhand Coronavirus Update: देहरादून का लक्खीबाग और झाबरवाला बस्ती कंटेनमेंट जोन से बाहर
ऋषिकेश, जेएनएन। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्‍स) ऋषिकेश में कोरोना वायरस संक्रमण थमने का नाम नहीं ले रहा है। सोमवार देर रात आई रिपोर्ट में एक महिला तीमारदार में कोराना संक्रमण की पुष्टि हुई है। यहां पिछले आठ दिनों में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या सात पहुंच गई है। वहीं, मंगलवार को देहरादून की लक्खीबाग बस्ती लॉकडाउन से बाहर आई। 28 दिन में यहां नया मामला सामने न आने पर इसे लॉकडाउन से बाहर किया गया है। इसके साथ ही डोईवाला की झाबरवाला बस्ती से भी प्रतिबंध हट गया है। 

एम्स ऋषिकेश में 15 अप्रैल को एक मरीज को यूरोलॉजी वार्ड में भर्ती कराने के लिए एक पौड़ी निवासी 38 वर्षीय महिला यहां आई थी। इसी यूरोलॉजी वार्ड में एक नर्सिंग ऑफिसर की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। जिसके बाद इस वार्ड में सभी भर्ती मरीजों और उनकी महिला तीमारदार को आइसोलेशन वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया था।

एम्स के कोविड-19 मामलों के नोडल अधिकारी डॉ मधुर उनियाल ने बताया कि इस वार्ड के नर्सिंग ऑफिसर की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद इस तीमारदार महिला का सैंपल 27 अप्रैल को जांच के लिए भेजा गया था। जिसकी रिपोर्ट निगेटिव आई थी। एक सप्ताह बाद दो मई को इसी महिला का सैंपल दोबारा जांच के लिए भेजा गया। जिसकी रिपोर्ट सोमवार को प्राप्त हुई।

रिपोर्ट में कोरोना संक्रमण पॉजिटिव आया है। उन्होंने बताया कि यूरोलॉजी वार्ड में भर्ती रुड़की की एक महिला तीमारदार के संपर्क में आने के बाद  नर्सिंग ऑफिसर की कोविड-19 रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। इस बात की पूरी आशंका है कि पौड़ी निवासी यह महिला भी इसी वार्ड में संक्रमित हुई है। इस मामले में राज्य कंट्रोल रूम को सूचित कर दिया गया है साथ ही एम्स टीम अपने स्तर पर जांच कर रही है।

एम्स ऋषिकेश में कोरोना संक्रमण का पहला मामला 26 अप्रैल को नर्सिंग अधिकारी के रूप में सामने आया था। उसके बाद हल्द्वानी की महिला, रुड़की की महिला तीमारदार और एक नर्स में संक्रमण की पुष्टि हुई थी। इसके बाद इंटर्न चिकित्सक और एक नर्स में कोरोना वायरस संक्रमण की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। सोमवार को एक और तीमारदार की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद एम्स प्रशासन की चुनौती और बढ़ गई है।

कम्युनिटी सर्विलांस का तीसरा चरण शुरू

दून में 3.85 लाख लोगों की सेहत का सर्विलांस दो बार किया जा चुका है। अब तीसरे चरण में इन्हीं लोगों का हाल जाना जाएगा। सोमवार को तीसरे चरण में 2885 लोगों का सर्वे किया गया। इसके अलावा 38 टीमों ने 230 लोगों से फोन पर बात करके भी उनका हाल जाना। कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए कार्मिकों को निरंतर सुरक्षा संसाधन मुहैया कराए जा रहे हैं। इस क्रम में 25 एन-95 मास्क, 350 टिपल लेयर मास्क आदि बांटे गए।

उधर, कारगी ग्रांट के बाद अब लक्खीबाग (मुस्लिम बस्ती) के भी पृथक रूप से लॉकडाउन से बाहर आने की उम्मीद बढ़ गई है। इस कॉलोनी को छह अप्रैल को सील किया गया था। इस तरह कॉलोनी ने 28 दिन का लॉकडाउन समय पूरा कर लिया है। इस दरम्यान यहां संक्रमण का नया मामला भी सामने नहीं आया। स्वास्थ्य विभाग ने यहां के संदिग्ध लोगों की अंतिम सैंपल रिपोर्ट भी जिलाधिकारी को सौंप दी है। माना जा रहा है कि मंगलवार को बस्ती को लॉकडाउन से बाहर कर दिया जाएगा।

प्रदेश में महिलाओं से ज्यादा पुरुषों की कोरोना टेस्टिंग

कोरोना जांच के लिए महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों के ज्यादा सैंपल लिए जा रहे हैं। प्रदेश में अब तक जितनी सभी जांच की गई उनमें 73 प्रतिशत सैंपल पुरुषों के और 27 प्रतिशत महिलाओं के हैं। यानी मातृशक्ति जानलेवा वायरस के संक्रमण से काफी हद तक सुरक्षित हैं। कोरोना संक्रमण के भी जो मामले अभी तक सामने आए हैं उनमें पुरुषों की ही संख्या अधिक है।

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स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक प्रदेश से अब तक कुल 7134 सैंपलों की रिपोर्ट निगेटिव और 61 की रिपोर्ट पॉजीटिव है। इसके अलावा दिल्ली में कोरोना पॉजीटिव आया एक व्यक्ति भी यहां भर्ती एम्स में भर्ती है। स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. अमिता उप्रेती ने बताया कि सोमवार को जिन 149 सैंपलों की जांच रिपोर्ट मिली है उनमें एक केस पाजीटिव व अन्य की रिपोर्ट निगेटिव हैं। वहीं सोमवार को 161 और सैंपल जांच को भेजे गए हैं।

ऊधमसिंहनगर से 79, देहरादून से 27, नैनीताल से 22, उत्तरकाशी से 12, रुद्रप्रयाग से दस, बागेश्वर से सात और अल्मोड़ा व चमोली से एक-एक सैंपल भेजा गया है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में मरीजों की रिकवरी रेट भी 65 फीसद के आसपास है। जांच के लिए जितने सैंपल भेजे गए हैं उनमें 0.84 प्रतिशत की रिपोर्ट ही पॉजीटिव आई है।

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