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Lok Sabha Election 2024 Result: उत्‍तराखंड के मतदाताओं ने किसे क्या दिया? तीन दिन में उठेगा पर्दा...पढ़ें चुनाव का राउंड अप

Lok Sabha Election 2024 Result भाजपा और कांग्रेस दोनों ही राष्ट्रीय दलों के लिए उत्तराखंड के नतीजे किसी चुनौती से कम नहीं हैं। भाजपा ने लगातार तीसरी बार लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चेहरे पर ही दांव खेला तो कांग्रेस मोदी बनाम राहुल गांधी या प्रियंका के रूप में किसी भी चेहरे को आगे रखने से पूरी तरह बची।

By Ravindra kumar barthwal Edited By: Nirmala Bohra Updated: Sat, 01 Jun 2024 10:57 AM (IST)
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Lok Sabha Election 2024 Result: अलग उत्तराखंड राज्य बनने के बाद यह लोकसभा का पांचवां चुनाव है।
रविंद्र बड़थ्वाल, जागरण, देहरादून : Lok Sabha Election 2024 Result: देवभूमि उत्तराखंड के मतदाताओं ने 18वीं लोकसभा के चुनाव में राज्य की पांच सीटों पर जो निर्णय सुनाया है, उसे सामने आने में अब मात्र तीन दिन शेष हैं।

भाजपा ने लगातार तीसरी बार लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चेहरे पर ही दांव खेला तो कांग्रेस मोदी बनाम राहुल गांधी या प्रियंका के रूप में किसी भी चेहरे को आगे रखने से पूरी तरह बची। मुख्य विपक्षी पार्टी ने अपनी पांच न्याय गारंटी और एंटी इनकंबेंसी के रूप में उभरे स्थानीय मुद्दों को भाजपा के मुकाबले खड़ा किया।

जोर आजमाइश भी जमीन के बजाय इंटरनेट मीडिया पर अधिक

पक्ष और विपक्ष के बीच मुद्दों से मुद्दे टकराए, लेकिन यह जोर आजमाइश भी जमीन के बजाय इंटरनेट मीडिया पर अधिक हुई। 19 अप्रैल को जब मतदान का दिन आया तो मतदाताओं ने पिछले दो लोकसभा चुनाव की तुलना में कम मतदान कर चौंका दिया।

मत व्यवहार में आए इस परिवर्तन से राजनीतिक दलों, प्रत्याशियों की नींद उड़ी हुई है।कांग्रेस कम मतदान को अपने पक्ष में तो भाजपा इसे लेकर चिंतित दिखाई दे रही है। मतदाताओं ने किस दल और प्रत्याशियों का भाग्य बांचा और किन्हें नकार दिया, यह जानने के लिए चार जून की प्रतीक्षा है।

अलग उत्तराखंड राज्य बनने के बाद यह लोकसभा का पांचवां चुनाव है। इनमें से वर्ष 2009 में हुए चुनाव में कांग्रेस प्रदेश की सभी पांच लोकसभा सीट जीतने में सफल रही तो इसके बाद वर्ष 2014 और वर्ष 2019 में हुए दो लोकसभा चुनावों में भाजपा ने कांग्रेस को शून्य पर धकेलते हुए सभी पांच सीटों पर कब्जा जमा लिया। अब पांचवें चुनाव में भाजपा लगातार तीसरी बार सभी सीट जीत पाती है या कांग्रेस ने मतदाताओं का दिल जीतकर भाजपा के अभेद्य समझे जा रहे दुर्ग में सेंधमारी की है, इसका पता चलने में अधिक दिन शेष नहीं रह गए हैं।

विपक्ष के आत्मविश्वास को हिलाया

भाजपा ने दुर्ग बचाने से लेकर कांग्रेस को बैकफुट पर धकेलने के लिए चुनाव से पहले और चुनाव के दौरान पूरी तरह योजनाबद्ध होकर संग्राम लड़ा है। शायद ही कोई ऐसा लोकसभा क्षेत्र रहा हो, जहां से कांग्रेस के बड़े नेता को भाजपा के पाले में नहीं लाया गया हो। गढ़वाल संसदीय सीट पर तो कांग्रेस के एकमात्र विधायक ने चुनाव के दौरान ही भाजपा का दामन थाम लिया। कांग्रेस के आत्मविश्वास को झटका देने के लिए एक के बाद एक प्रयास किए गए। इसका प्रभाव पार्टी के बड़े नेताओं के आत्मविश्वास पर भी दिखा। चुनाव में खम ठोकने से कई बड़े नेताओं ने पैर पीछे ही खींचे रखना उचित समझा।

चुनाव प्रबंधन में कांग्रेस से आगे रही भाजपा

चुनाव प्रबंधन, संसाधन और स्टार प्रचारकों के मामले में भाजपा ने कांग्रेस को इस चुनाव में टिकने नहीं दिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत भाजपा के 42 स्टार प्रचारकों ने उत्तराखंड में डेरा डाला। दूसरी ओर, कांग्रेस की ओर से राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने एक ही दिन दो चुनावी सभाएं कीं।

सचिन पायलट, इमरान प्रजापति समेत राष्ट्रीय स्तर के बड़े चेहरे यहां आए, लेकिन राहुल गांधी और राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे चुनाव के दौरान राज्य में प्रचार के लिए समय नहीं दे पाए। चुनावी मुकाबले में एकदूसरे को टक्कर दे रही भाजपा और कांग्रेस में मुद्दों को लेकर अच्छी-खासी लड़ाई हुई है।

विकास बनाम स्थानीय मुद्दे

भाजपा ने विकास, सुशासन, गरीब व जनकल्याण योजनाओं के साथ अनुच्छेद-370, समान नागरिक संहिता, राम मंदिर निर्माण के अपने एजेंडे के शीर्ष मुद्दों के साथ मतदाताओं को लुभाने में शक्ति झोंकी। वहीं, कांग्रेस ने इस बार मुद्दों को लेकर अलग रणनीति पर काम किया।

स्थानीय मुद्दों के माध्यम सें भाजपा के विरुद्ध एंटी इनकंबेंसी को हथियार बनाया तो पांच न्याय गारंटी को साथ लेकर युवा, महिला, श्रमिक और अल्पसंख्यक मतदाताओं को साधने पर ताकत लगाई। भाजपा ने सभी वर्गों को साधने के लिए समीकरणों की बिसात बिछाई तो कांग्रेस का पूरा जोर अल्पसंख्यक के साथ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के मतदाताओं को अपने पाले में खींचने पर रहा है।

मतदान प्रतिशत में कमी ने दलों को चौंकाया

भाजपा और कांग्रेस, दोनों ही राष्ट्रीय दलों के लिए उत्तराखंड के नतीजे किसी चुनौती से कम नहीं हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा पर वर्ष 2014 और वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के परिणाम को दोहराने का दबाव है। कांग्रेस के लिए चुनौती बाजी को अपने पक्ष में पलटने की है। यही नहीं, प्रमुख विपक्षी दल लगातार तीसरी बार प्रदेश में खाता खोल पाता है या नहीं, इस पर भी राजनीतिक विश्लेषकों की नजरें टिकी हैं।

इन दोनों दलों के साथ चुनाव में खड़े सभी प्रत्याशियों के लिए मतदान का कम प्रतिशत चौंकाने वाला रहा है। इस बार 57.2 प्रतिशत मतदान रहा है, जबकि वर्ष वर्ष 2014 और वर्ष 2019 में क्रमश: 61.67 प्रतिशत और 61.30 प्रतिशत मतदान हुआ था। कम मतदान को राजनीतिक दल अपने-अपने पक्ष में बता रहे हैं, लेकिन दलों के रणनीतिकार इससे पड़ने वाले प्रभाव को लेकर स्पष्ट कुछ भी बता पाने में स्वयं को समर्थ नहीं पा रहे हैं।

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