Lok Sabha Election 2024 Result: उत्तराखंड के मतदाताओं ने किसे क्या दिया? तीन दिन में उठेगा पर्दा...पढ़ें चुनाव का राउंड अप
Lok Sabha Election 2024 Result भाजपा और कांग्रेस दोनों ही राष्ट्रीय दलों के लिए उत्तराखंड के नतीजे किसी चुनौती से कम नहीं हैं। भाजपा ने लगातार तीसरी बार लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चेहरे पर ही दांव खेला तो कांग्रेस मोदी बनाम राहुल गांधी या प्रियंका के रूप में किसी भी चेहरे को आगे रखने से पूरी तरह बची।
रविंद्र बड़थ्वाल, जागरण, देहरादून : Lok Sabha Election 2024 Result: देवभूमि उत्तराखंड के मतदाताओं ने 18वीं लोकसभा के चुनाव में राज्य की पांच सीटों पर जो निर्णय सुनाया है, उसे सामने आने में अब मात्र तीन दिन शेष हैं।
भाजपा ने लगातार तीसरी बार लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चेहरे पर ही दांव खेला तो कांग्रेस मोदी बनाम राहुल गांधी या प्रियंका के रूप में किसी भी चेहरे को आगे रखने से पूरी तरह बची। मुख्य विपक्षी पार्टी ने अपनी पांच न्याय गारंटी और एंटी इनकंबेंसी के रूप में उभरे स्थानीय मुद्दों को भाजपा के मुकाबले खड़ा किया।
जोर आजमाइश भी जमीन के बजाय इंटरनेट मीडिया पर अधिक
पक्ष और विपक्ष के बीच मुद्दों से मुद्दे टकराए, लेकिन यह जोर आजमाइश भी जमीन के बजाय इंटरनेट मीडिया पर अधिक हुई। 19 अप्रैल को जब मतदान का दिन आया तो मतदाताओं ने पिछले दो लोकसभा चुनाव की तुलना में कम मतदान कर चौंका दिया।मत व्यवहार में आए इस परिवर्तन से राजनीतिक दलों, प्रत्याशियों की नींद उड़ी हुई है।कांग्रेस कम मतदान को अपने पक्ष में तो भाजपा इसे लेकर चिंतित दिखाई दे रही है। मतदाताओं ने किस दल और प्रत्याशियों का भाग्य बांचा और किन्हें नकार दिया, यह जानने के लिए चार जून की प्रतीक्षा है।
अलग उत्तराखंड राज्य बनने के बाद यह लोकसभा का पांचवां चुनाव है। इनमें से वर्ष 2009 में हुए चुनाव में कांग्रेस प्रदेश की सभी पांच लोकसभा सीट जीतने में सफल रही तो इसके बाद वर्ष 2014 और वर्ष 2019 में हुए दो लोकसभा चुनावों में भाजपा ने कांग्रेस को शून्य पर धकेलते हुए सभी पांच सीटों पर कब्जा जमा लिया। अब पांचवें चुनाव में भाजपा लगातार तीसरी बार सभी सीट जीत पाती है या कांग्रेस ने मतदाताओं का दिल जीतकर भाजपा के अभेद्य समझे जा रहे दुर्ग में सेंधमारी की है, इसका पता चलने में अधिक दिन शेष नहीं रह गए हैं।
विपक्ष के आत्मविश्वास को हिलाया
भाजपा ने दुर्ग बचाने से लेकर कांग्रेस को बैकफुट पर धकेलने के लिए चुनाव से पहले और चुनाव के दौरान पूरी तरह योजनाबद्ध होकर संग्राम लड़ा है। शायद ही कोई ऐसा लोकसभा क्षेत्र रहा हो, जहां से कांग्रेस के बड़े नेता को भाजपा के पाले में नहीं लाया गया हो। गढ़वाल संसदीय सीट पर तो कांग्रेस के एकमात्र विधायक ने चुनाव के दौरान ही भाजपा का दामन थाम लिया। कांग्रेस के आत्मविश्वास को झटका देने के लिए एक के बाद एक प्रयास किए गए। इसका प्रभाव पार्टी के बड़े नेताओं के आत्मविश्वास पर भी दिखा। चुनाव में खम ठोकने से कई बड़े नेताओं ने पैर पीछे ही खींचे रखना उचित समझा।
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