इस गांव में भगवान शिव स्वयंभू लिंग स्वरूप में हैं विराजमान
देवभूमि उत्तराखंड के जनपद पौड़ी मनियारस्यूं पट्टी स्थित थनुल गांव में भगवान शिव स्वयंभू लिंग स्वरूप में विराजमान हैं।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Thu, 09 Aug 2018 04:42 PM (IST)
देहरादून, [जेएनएन]: सिद्धपीठ थानेश्वर महादेव मंदिर स्वयंभू स्थापित मंदिर है। इसकी पौराणिकता को लेकर अभी तक यूं तो कोई ठोस प्रमाण नहीं है, लेकिन जानकार इसे जगत गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित बताते हैं। केदारखंड में भी मंदिर का उल्लेख मिलता है। देवभूमि उत्तराखंड के जनपद पौड़ी मनियारस्यूं पट्टी स्थित थनुल गांव में भगवान शिव स्वयंभू लिंग स्वरूप में विराजमान हैं। प्राकृतिक अलौकिकता से भरपूर हैं।
इतिहासथानेश्वर महादेव मंदिर की स्थापना थनगढ़ नदी के उत्तरी छोर पर महादेवसैंण नामक स्थान पर हुई बताई जाती है, जो कालांतर में नदी के दक्षिणी छोर पर थनुल गांव स्वयंभू स्थापित लिंंग में विराजमान हो गए। थानेश्वर महादेव मंदिर के नामकरण को लेकर अनेक किवदंतियां है। मंदिर के नाम को लेकर थनुल गांव में स्थित होने, गांव में किसी ग्रामीण की गाय के थन से सीधे दूध चढ़ाने व थनगढ़ घाटी में स्थित होने के चलते इस मंदिर को थानेश्वर नाम दिया है। इतिहास में मंदिर की स्थापना को लेकर ठोस प्रमाण नहीं हैं, लेकिन जानकारों के अनुसार मंदिर को जगतगुरु शंकराचार्य ने स्थापित किया गया है। जो मंदिर की निर्माण शैली में नजर भी आता है
तैयारियांवैसे तो यहां पर पूरे सालभर पूजा अर्चना का क्रम जारी रहता है। सावन में विशेष तौर पर पूजा अर्चना के कार्यक्रम अधिक होते हैं। इसके लिए यहां पर इन दिनों काफी भीड़ भी उमड़ती है। थानेश्वर महादेव मंदिर तक पहंचने के लिए सबसे उत्तम मार्ग सडक मार्ग है। पौडी-सतपुली-घंडियाल-बनेख मोटर मार्ग, व्यास चट्टी-बाडियूं से जखनोली मोटर, कोटद्वार-कांसखेत मोटर मार्ग से भक्त-श्रद्धालु थानेश्वर मंदिर के दर्शन को पहुंचते है। पहले मंदिर तक पहुंचने के लिए 5 किमी पैदल जाना होता था। लेकिन वर्तमान में सिर्फ आधा किमी पैदल रह गया है।
जगमोहन डांगी (अध्यक्ष, सिद्धपीठ थानेश्वर महादेव मंदिर) का कहना है कि थानेश्वर महादेव मंदिर की अलौकिकता अतुलनीय है। देश व विदेश के कौने-कोने से भक्त भगवान के दर्शनों को आते है। सावन माह में कांवड़ यात्री मंदिर में गंगा जल से जलाभिषेक करते हैं।यह भी पढ़ें: यहां भगवान शिव तीन युगों तक गुप्त रूप में रहे
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