यहां भगवान शंकर ने युधिष्ठिर को दिए थे दर्शन और दी थी यह सलाह
टिहरी के भिलंगना प्रखंड के केमर घाटी में बिलेश्वर के पास स्थित है बेलेश्वर महादेव मंदिर। यहां भगवान शंकर ने युधिष्ठिर को भेल जाति के एक विचित्र मनुष्य के रूप में दर्शन दिये थे।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Tue, 23 Jul 2019 08:16 AM (IST)
देहरादून, जेएनएन। भिलंगना प्रखंड के केमर घाटी में बिलेश्वर के पास स्थित बेलेश्वर महादेव मंदिर पौराणिक मंदिर सभी देवालयों में एक प्रसिद्ध शिव मंदिर है। जहां पर श्रावण माह के अलावा अन्य दिन पर भी शिव भक्तों का तांता लगा रहता है। क्षेत्र के लोगों की चंदे की राशि से बना करोड़ों रुपये की लागत से यह मंदिर घनसाली-चमियाला मोटर मार्ग से सटा होने के कारण यहां पर बाहर से आने यात्रियों के लिए भी यह मंदिर श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है। सड़क मार्ग से सटे होने के कारण यहां पर आसानी से पहुंचा जा सकता है।
इतिहासप्राचीन काल से बताते है कि जब त्रेतायुग में पांच पांडव हरिद्वार से हिमालय के लिए प्रस्थान कर रहे थे तो मध्य रात्रि के समय पांचों भाई पांडव और द्रोपती उक्त स्थान पर रुक गए थे। उस समय वहां पर एक छोटासा शिव मंदिर स्थित था। विश्राम के दौरान भगवान शंकर ने यहां पर युधिष्ठिर को भेल जाति के एक विचित्र मनुष्य के रूप में दर्शन दिये थे और हिमालय प्रस्थान करने से पूर्व क्षेत्र के बूढ़ाकेदार स्थिति एक और शिव मंदिर में रुकने की सलाह दी थी तब से इस जगह का नाम पहले भेलेश्वर और अब बेलेश्वर के नाम से जाना जाता है।
जिस का वर्णन स्कंद पुराण में मिलता है। इस शिव मंदिर मे शिवलिंग भी केदारनाथ शिवलिंग की आकृति का है। पहले यह मंदिर काफी प्राचीन था, लेकिन अब इस मंदिर को भव्य बनाया गया है। यहां पर क्षेत्र के लोग बड़ी संख्या में दर्शन के लिए आते हैं। इस मंदिर के प्रति क्षेत्र के लोगों की अटूट अस्था है। चारधाम यात्रा के दौरान बाहर से आने वाले यात्री भी यहां पहुंचते हैं। कैसे पहुंचे
टिहरी जिला मुख्यालय से 58 किमी की दूरी तय कर घनसाली पहुंचा जा सकता है। यहां से बस या छोटे वाहनों से आठ किमी की दूरी तय कर बलेश्वर महादेव मंदिर में पहुंचा जा सकता है। मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को ज्यादा पैदल नहीं चलना पड़ता है। लंबगांव-कोटलगांव-चमियाला यात्रा मार्ग से भी यहां पहुंचा जा सकता है।
मुख्य पुजारी देवेंद्र तिवाड़ी का कहना है कि श्रावण माह के अलावा अन्य दिन में भी शिव भक्तों का यहां पर तांता लगा रहता है। लोग संतान प्राप्ति के लिए भी इस मंदिर में रूद्रीपाठ रात्रि जागरण का आयोजन करते रहते है। इस मंदिर के कपाट वर्षभर श्रद्धालुओं के लिए खुला रहते हैं। जिस कारण कभी श्री श्रद्धालु मंदिर के दर्शन कर सकते हैं।बेलीराम तिवाड़ी (अध्यक्ष मंदिर समिति) का कहना है कि पहले यह मंदिर काफी प्राचीन था। स्थानीय लोगों के सहयोग से इसे अब भव्य बनाया गया है। श्रावण मास में यहां पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होते हैं। स्थानीय लोगों के अलावा दूर-दराज क्षेत्र के भी काफी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं।
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