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मनरेगा में मजदूरी बढ़ाने की सिफारिश करेगी उत्‍तराखंड सरकार

उत्तराखंड में मनरेगा में सालभर में नियत सौ दिन के रोजगार में दैनिक मजदूरी की दर महज 175 रुपये प्रतिदिन है। अब राज्य सरकार इस सिलसिले में केंद्र सरकार को अनुशंसा भेजने जा रही है।

By Edited By: Updated: Sat, 09 Mar 2019 09:08 AM (IST)
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मनरेगा में मजदूरी बढ़ाने की सिफारिश करेगी उत्‍तराखंड सरकार
देहरादून, राज्य ब्यूरो। एक तो विषम भूगोल और उस पर परिस्थितियां खासी दुरूह, बावजूद इसके उत्तराखंड में महात्मा गाधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) में सालभर में नियत सौ दिन के रोजगार में दैनिक मजदूरी की दर महज 175 रुपये प्रतिदिन। अलबत्ता, मनरेगा से इतर कार्यों में मजदूरी पर प्रतिदिन ढाई से तीन सौ रुपये के आसपास मेहनताना मिल जाता है। इसे देखते हुए राज्य में मनरेगा में मजदूरी की दर हरियाणा के समान किए जाने की मांग उठने लगी है। हरियाणा में मनरेगा में दैनिक मजदूरी की दर 281 रुपये प्रतिदिन है। विधानसभा के बजट सत्र में भी यह मसला उठा था। अब राज्य सरकार इस सिलसिले में केंद्र सरकार को अनुशंसा भेजने जा रही है, क्योंकि मनरेगा में मजदूरी की दर में बढ़ोतरी का अधिकार केंद्र के पास ही है। 

केंद्र सरकार ने एक अप्रैल 2018 से सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मनरेगा मजदूरों की मजदूरी की नई दरें तय की थीं। इसके तहत उत्तराखंड में मनरेगा में दैनिक मजदूरी की दर 175 रुपये तय हुई, जो वर्तमान में भी मिल रही है। हालांकि, यह समान परिस्थितियों वाले हिमाचल प्रदेश से काफी कम है। हिमाचल में मनरेगा में मजदूरी 230 रुपये प्रतिदिन है। इसके अलावा हरियाणा में यह सर्वाधिक 281 रुपये है। बढ़ती महंगाई के मद्देनजर मनरेगा की यह मजदूरी नाकाफी साबित हो रही है।

मनरेगा अधिनियम के तहत सालभर में 100 दिन का रोजगार नियत है। इस हिसाब से एक मजदूर की मनरेगा से सालाना आय हो रही है सिर्फ 17500 रुपये। इसके उलट मनरेगा से इतर मजदूरी करने पर दैनिक मजदूरी ढाई से तीन सौ रुपये मिल रही है। इस सबके मद्देनजर मनरेगा में भी मजदूरी की दर में इजाफा कर इसे हरियाणा की तर्ज पर करने की मांग उठ रही है।

विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन समेत अन्य विधायकों ने हाल में संपन्न हुए विस के बजट सत्र में भी यह मसला रखते हुए इसमें बढ़ोतरी का आग्रह किया था। वित्त मंत्री प्रकाश पंत के अनुसार मनरेगा में मजदूरी की दरें तय करने का विषय केंद्र का है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से यह दरें तय की जाती हैं और इसका एक निश्चित फार्मूला है। इसमें राज्य कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकता। उन्होंने बताया कि मनरेगा में मजदूरी की दर बढ़ाने के संबंध में केंद्रीय ग्रामीण मंत्रालय को राज्य की ओर से सिफारिश भेजी जा रही है, लेकिन इस बारे में निर्णय केंद्र को ही लेना है।

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