Move to Jagran APP

मेजर चित्रेश बिष्ट की शहादत से दून में शोक की लहर

दून के जांबाज मेजर चित्रेश बिष्ट देश के लिए शहीद हो गए। जैसे ही दून में रह रहे परिवार को इसकी सूचना मिली तो घर में कोहराम मच गया।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Sun, 17 Feb 2019 11:17 AM (IST)
Hero Image
मेजर चित्रेश बिष्ट की शहादत से दून में शोक की लहर
देहरादून, जेएनएन। पुलवामा के आतंकी हमले को अभी दो दिन भी नहीं बीते कि दून के जांबाज मेजर चित्रेश बिष्ट देश के लिए शहीद हो गए।  मेजर चित्रेश जम्मू-कश्मीर में एलओसी पर नौशेरा के झंगड़ सेक्टर (राजोरी) में दुश्मनों द्वारा बिछाई गई आइईडी को डिफ्यूज करते वक्त शहीद हुए। शनिवार दोपहर बाद जैसे ही दून में रह रहे परिवार को इसकी सूचना मिली तो घर में कोहराम मच गया। उनके घर पर ढांढस बंधाने वालों का तांता लग गया। घटना से हर कोई गमजदा है। 

मूल रूप से पिपली गांव, रानीखेत के रहने वाले एसएस बिष्ट पुलिस इंस्पेक्टर पद से सेवानिवृत्त हुए हैं और वर्तमान में नेहरू कॉलोनी में रहते हैं। उनका एक बेटा नीरज यूके में इंजीनियर है। जबकि चित्रेश 2010 में एनडीए टेक्निकल से सेना में भर्ती हुए थे। शुरुआती एक साल आइएमए में ट्रेनिंग के बाद तीन साल कॉलेज ऑफ मिलिट्री इंजीनियरिंग पुणे से बीटेक किया। इसके बाद दोबारा कमिशनिंग के लिए आइएमए आए और सेना की इंजीनियरिंग कोर का हिस्सा बने।

उन्हें 21 जीआर इंजीनियरिंग कोर में तैनाती मिली। कैप्टन से मेजर पद पर प्रमोशन पाने के बाद चित्रेश इन दिनों राजौरी जिले के नौशेरा के झंगड़ सेक्टर में एलओसी पर तैनात थे। यहां शनिवार को पाकिस्तान की बार्डर एक्शन टीम (बैट) की ओर से बिछाई गई आइईडी को डिफ्यूज करते समय हुए विस्फोट में मेजर चित्रेश बिष्ट शहीद हो गए। उनके शहीद होने की सूचना जैसे ही उनके घर पहुंची, घर में कोहराम मच गया। मेजर चित्रेश की दून में सात मार्च को शादी होनी थी। इसके लिए सभी जगह कार्ड बंट गए थे। चित्रेश की शहादत की सूचना मिलते ही हर कोई उनके घर की तरफ दौड़ा पड़ा। घर में सांत्वना देने वालों का जमावड़ा लग गया। घटना से हर कोई स्तब्ध था। आंखों में आंसू और चेहरे पर गम से हर कोई दुश्मनों को कोसता रहा। 

 दून पहुंचेगा पार्थिव शरीर 

परिजनों से हुई सेना अधिकारियों की बात के अनुसार रविवार सुबह पार्थिव शरीर जम्मू स्थित इंजीनियरिंग कोर के शिविर में लाया जाएगा। जहां सेना के अफसर मेजर बिष्ट को सैन्य सम्मान और सलामी देंगे। इसके बाद सेना के जहाज से पार्थिव शरीर दून पहुंचेगा। देर शाम तक पार्थिव शरीर पहुंचने की उम्मीद है। इसके बाद ही सोमवार को हरिद्वार में अंतिम संस्कार होगा।

आइईडी डिफ्यूज में माहिर थे चित्रेश 

मेजर चित्रेश ने इंजीनियरिंग करने के बाद कई मेडल अपने नाम किए थे। यही कारण था कि वह हमेशा तकनीकी के रूप में दूसरे अफसरों से आगे रहते थे। महज सात साल की नौकरी में मेजर चित्रेश ने 30 से ज्यादा आइईडी को डिफ्यूज किए थे। शनिवार को भी वह चार आइईडी डिफ्यूज करने में सफल रहे थे। मगर, पांचवें आइईडी में ब्लास्ट होते ही वह शहीद हो गए।

अल्फा अवार्ड से हुए थे सम्मानित  

हाल ही में मऊ में हुए इंजीनियरिंग प्रतिस्पर्धा में मेजर चित्रेश को इंजीनियरिंग की सबसे बड़ी उपाधि अल्फा अवार्ड से नवाजे गए थे। यह अवार्ड 400 अफसरों में से सिर्फ नौ अफसरों को मिला था। उनमें मेजर चित्रेश का नाम भी शामिल थे।

एसएस बिष्ट (चित्रेश के पिता) का कहना है कि मैंने कभी किसी का बुरा नहीं किया। हर किसी की मदद की। भगवान ने मेरे साथ ये क्या कर दिया। कभी ये नहीं सोचा था। फोर्स से नाता होने के चलते बेटे को सेना में भेजा। चित्रेश के सेना में भर्ती होने की खुशी परिवार में दोगुनी थी। आज सबकुछ खत्म हो गया। 

यह भी पढ़ें: जम्मू-कश्मीर में हुए आइईडी विस्फोट में उत्तराखंड का लाल शहीद

यह भी पढ़ें: उत्तराखंड के जांबाज दोनों शहीदों को दी अंतिम विदाई, बाजार रहे बंद

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।