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वन गूजरों के पुनर्वास को माइक्रो प्रोजेक्ट बनाएं: अर्जुन मुंडा

केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि वह वन गूजरों पर एक माइक्रो प्रोजेक्ट बनाएं और उसे केंद्र सरकार को भेजें। साथ ही इस प्रोजेक्ट पर खुद भी कार्य करें।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Thu, 22 Aug 2019 03:41 PM (IST)
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वन गूजरों के पुनर्वास को माइक्रो प्रोजेक्ट बनाएं: अर्जुन मुंडा
देहरादून, जेएनएन। केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि वन संरक्षण के तहत वन गूजर के परिवारों को जंगलों में बसेरे की अनुमति नहीं दी जा रही है, लेकिन उनके पुनर्वास की जिम्मेदारी हमारी है। उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री से कहा कि वह वन गूजरों पर एक माइक्रो प्रोजेक्ट बनाएं और उसे केंद्र सरकार को भेजें। साथ ही इस प्रोजेक्ट पर खुद भी कार्य करें।

केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने दून विवि रोड पर केंद्र सरकार के सहयोग से 12 करोड़ 73 लाख रुपये की लागत से बनाए गए 'राज्य जनजातीय अनुसंधान एवं सांस्कृतिक संग्रहालय' का लोकार्पण किया। इस दौरान उन्होंने संग्रहालय के निर्माण में अपनाई गई पारंपरिक शैली की जमकर प्रशंसा की और कहा कि यह देश में अपनी तरह का एक उत्कृष्ट संग्रहालय होगा। उन्होंने आदिवासी एवं जनजाति के सामाजिक एवं आर्थिक उत्थान का जिक्र करते हुए समझाया कि जिस प्रकार देश में आज जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है ठीक उसी प्रकार हमें वन गूजरों की जनजाति को समाप्त करने के बजाए उनके पुनर्वास के लिए आगे आना चाहिए। 

उन्होंने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से पुराने मित्रता संबंधों को याद करते हुए कहा कि त्रिवेंद्र सिंह रावत ने झारखंड भाजपा प्रभारी के रूप में अहम जिम्मेदारी निभाई। कहा कि जनजातीय क्षेत्रों में समग्र विकास एवं शिक्षा के बेहतर प्रयासों के लिए उत्तराखंड सरकार बेहतर कार्य कर रही है। कहा कि जनजातीय क्षेत्रों के विकास से संबंधित जो भी योजनाएं राज्य सरकार की ओर से केंद्र सरकार को प्रेषित की जाएंगी, उसमें केंद्र पूरा सहयोग करेगा। उन्होंने कहा कि यह खुशी की बात है कि उत्तराखंड के जनजाति क्षेत्रों में शिक्षा के विकास का औसत राष्ट्रीय स्तर से बेहतर है। कहा कि यह संस्थान जनजाति समाज के ऐतिहासिक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, मनोविज्ञान, नैतिक मूल्यों आदि को संजोने का कार्य करेगा, ताकि हमारी भावी पीढ़ी अपने गौरवपूर्ण अतीत से परिचित हो सके।

जनजाति क्षेत्रों के विकास के लिए सरकार प्रतिबद्ध: मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि राज्य में आश्रम पद्धति के विद्यार्थियों के भोजन भत्ते को तीन हजार रुपये प्रतिमाह से बढ़ाकर 4500 रुपये कर दिया गया है। राज्य में आश्रम पद्धति के 16 राजकीय विद्यालय संचालित किए जा रहे हैं, जिनमें तीन हजार बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। यह बात उन्होंने बुधवार को दून विवि रोड स्थिति नवनिर्मित जनजातीय शोध संस्थान, सांस्कृतिक केंद्र व संग्रहालय के लोकार्पण के बाद कही। 

उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि कालसी एकलव्य विद्यालय से 13 छात्र-छात्राओं को देश के प्रतिष्ठित उच्च शिक्षण संस्थानों प्रवेश मिला है। 

उन्होंने बताया कि राज्य के अनुसूचित जाति व जनजाति छात्रों को रोजगारपरक शिक्षा प्रदान करने के लिए तीन आइटीआइ संचालित किए जा रहे हैं, जिसमें प्रतिवर्ष 400 छात्र-छात्राएं लाभान्वित हो रहे हैं। अनुसूचित जाति के बच्चों के लिए चार छात्रावास संचालित किए जा रहे हैं, जिसमें 190 छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। राज्य के आठवीं कक्षा तक के सभी जनजातीय छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान की जा रही है। इसमें उनके पारिवारिक आय की कोई सीमा निर्धारित नहीं की गई है। 

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बताया कि राज्य सरकार की ओर से भारत को जानो योजना के तहत कक्षा 10वीं के टॉप 25 रैंकर्स को भारत भ्रमण कराए जाने की व्यवस्था की गई है। इसमें एक भ्रमण हवाई जहाज से भी होगा। मुख्यमंत्री प्रतिभा प्रोत्साहन योजना के तहत टॉपर 25 बच्चों को सभी कोर्सेज में 50 फीसद फीस स्कॉलरशिप के रूप में देने की व्यवस्था की गई है। इस मौके पर समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य, उच्च शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ.धन सिंह रावत, विधायक विनोद चमोली, दिलीप रावत, चंदनराम दास, मुकेश कोली, दून विवि के कुलपति डॉ.सीएस नौटियाल, श्रीदेव सुमन विवि के कुलपति डॉ. यूएस रावत, सचिव केंद्रीय जनजाति मामले दीपक खांडेकर, सचिव समाज कल्याण एल फैनई आदि मौजूद रहे। 

जयहरीखाल में गरीब बच्चों के लिए आवासी विद्यालय

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि गरीब मेधावी बच्चों के लिए जयहरीखाल में आवासीय विद्यालय बनाया जा रहा है। इस विद्यालय में प्रतिमाह आइएफएस, आइपीएस, आइएएस व सैन्य अधिकारियों को गेस्ट लेक्चरर के रूप में अपनी सेवाएं देंगे।

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