हरिद्वार-देहरादून राजमार्ग पर 100 करोड़ से बने ढांचों की खुलने लगी परतें, पढ़िए पूरी खबर
हरिद्वार-देहरादून राजमार्ग को चौड़ा करने में असफल रहने के बाद एनएचएआइ ने जिस कंपनी को बाहर कर दिया उसके बनाए आधे-अधूरे ढांचों की गुणवत्ता की परतें अब उधड़ने लगी हैं।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Wed, 04 Dec 2019 08:23 PM (IST)
देहरादून, सुमन सेमवाल। हरिद्वार-देहरादून राजमार्ग को चौड़ा करने में असफल रहने के बाद भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) ने जिस एरा इंफ्रा कंपनी को बाहर का रास्ता दिखा दिया, उसके बनाए आधे-अधूरे ढांचों की गुणवत्ता की परतें अब उधड़ने लगी हैं। इन ढांचों में तीन एलीफैंट अंडरपास, एक रेलवे अंडर ब्रिज, एक फ्लाईओवर व तीन बड़े पुल शामिल हैं। जिन दो कंपनियों को अवशेष ढांचों व चौड़ीकरण कार्य को पूरा करने का जिम्मा अब सौंपा गया है, वह निर्माण की ऐसी हालत देखकर चकरा रही हैं। क्योंकि निर्माण कार्यों में अलग-अलग स्तर पर खामियां सामने आ रही हैं।
वर्ष 2010 से अधर में लटके हरिद्वार-देहरादून राजमार्ग को फोरलेन करने का काम एरा इंफ्रा से छीन लिए जाने तक यह कंपनी करीब 300 करोड़ रुपये के काम कर चुकी थी। प्रगति के नाम पर पूर्व की कंपनी ने सीमेंट और लोहे के बड़े-बड़े ढांचे तो खड़े कर दिए, मगर इन्हें बीच में ही छोड़ दिया। सालों से इन ढांचों का रखरखाव भी नहीं किया जा सका। इस कारण कहीं लोहे पर जंग लग गया है, तो कहीं कंक्रीट खराब होने लगी है। इसके अलावा जो कंपनी अब इनका काम आगे बढ़ा रही हैं, उन्होंने पाया कि फ्लाईओवर व पुल बनाने के लिए जहां गार्डर रखे गए हैं, उनमें बेरिंग ही नहीं लगाई गई। जिसके चलते वह झुक गए हैं। इसके साथ ही पुलों की दीवारों के लिए खड़े किए गए पुश्तों में पानी भर जाने से वह बाहर की तरफ निकल रहे हैं। ऐसे में सबसे पहले नई कंपनियां पुराने ढांचों की मरम्मत में जुटी हैं, ताकि स्पष्ट हो सके कि कहां-कहां क्रैक आ गए हैं या कहां लोहा टिल्ट हो गया है। इस काम में अनावश्यक समय खराब हो रहा है। जिम्मेदार कंपनियों को यह चिंता भी सता रही है कि ऐसे में समय पर काम कैसे पूरा होगा।
एनएचएआइ को निर्देश, निर्माण के दौरान वायु प्रदूषण न बढ़ेकेंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) को निर्देश दिए हैं कि राजमार्ग पर काम करने के दौरान वायु प्रदूषण का विशेष ध्यान रखा जाए। इस निर्देश के क्रम में एक पत्र प्राधिकरण मुख्यालय से परियोजना निदेशक कार्यालय को भी भेजा गया है। इस पत्र में कहा गया है कि पर्यावरण संरक्षण अधिनियम की धारा-पांच के अनुसार वायु प्रदूषण के मानकों का सख्ती के साथ पालन किया जाना है। यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी निर्माण कार्य या सड़क कटान के समय धूल न उड़ने पाए। हालांकि, इस आदेश से इतर अभी भी राजमार्ग के चौड़ीकरण कायरें में तमाम मानकों का उचित पालन नहीं किया जा रहा।
चैतन्य कंपनी कर चुकी जांच पूरीदैनिक जागरण ने पूर्व में भी इस तरह के आधे-अधूरे ढांचों की गुणवत्ता को लेकर सवाल खड़े किए थे। उसी दौरान राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) ने इनकी जांच स्वतंत्र एजेंसी के रूप में चैतन्य प्रोजेक्ट्व लि. को सौंपी। बताया जा रहा है कि कंपनी जांच पूरी कर चुकी है, जिसे अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है। हालांकि, इससे पहले ही निर्माण कार्य में लगी कंपनियों के माध्यम से पूर्व की कंपनी एरा इंफ्रा की कलई खुलने लगी है।
मियांवाला क्षेत्र बना डेंजर जोनदेहरादून शहर से सटे मियांवाला चौक पर बनने वाले अंडरपास की प्रगति भी थमी दिख रही है। इस अंडरपास का निर्माण दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए किया जा रहा है, मगर बेतरतीब निर्माण के चलते यह पूरा क्षेत्र डेंजर जोन में तब्दील हो चुका है। दोनों तरफ की सड़क के बीच खाई पैदा हो गई है और वाहन चालकों में असंमजस भी पैदा हो जाता है। आए दिन अब यहां पर हादसे भी होने लगे हैं।
यह भी पढ़ें: ऋषिकेश के नए लक्ष्मण झूला पुल पर दौड़ेंगे हल्के वाहन, पढ़िए पूरी खबरजनवरी 2020 तक काम पूरा होना असंभवजब एनएचएआइ के परियोजना निदेशक कार्यालय ने अवशेष कायरें को पूरा करने के लिए नई कंपनियों का चयन किया, तब कहा गया था कि ये काम एक साल के भीतर पूरे कर लिए जाएंगे। इसके अनुसार कायरें को जनवरी 2020 तक पूरा करने का दावा किया गया था। हालांकि, वर्तमान स्थिति बताती है कि ऐसा संभव नहीं नजर आता।
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