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लापरवाही : उत्‍तराखंड में 11 दिन बाद भी मौत का बैकलॉग नहीं निपटा

उत्तराखंड में कोराना से हुई मौत का ‘बैकलॉग’ निपट नहीं रहा। पिछले 11 दिन से मौत के आंकड़ों में हर रोज बैकलॉग भी जुड़ रहा है। इस बैकलॉग ने सिस्टम की बड़ी खामी उजागर की है। इससे साफ पता चलता है कि अधिकारियों का अस्पतालों पर कोई नियंत्रण नहीं है।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Fri, 28 May 2021 05:41 PM (IST)
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उत्तराखंड में कोराना से हुई मौत का ‘बैकलॉग’ निपट नहीं रहा है।
जागरण संवाददाता, देहरादून। उत्तराखंड में कोराना से हुई मौत का ‘बैकलॉग’ निपट नहीं रहा है। पिछले 11 दिन से मौत के आंकड़ों में हर रोज बैकलॉग भी जुड़ रहा है। इस बैकलॉग ने सिस्टम की बड़ी खामी उजागर की है। इससे साफ पता चलता है कि अधिकारियों का अस्पतालों पर कोई नियंत्रण नहीं है। महामारी में यह स्थिति है तो सामान्य दिनों में हालात क्या होंगे, समझा जा सकता है।

प्रदेश में एक या दो नहीं, बल्कि कई अस्पताल कोरोना संक्रमितों की मौत की जानकारी छिपाए रहे। शासन ने ऐसे अस्पतालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की चेतावनी दी, तब जाकर इन्होंने रिकॉर्ड राज्य नियंत्रण कक्ष के साथ साझा किया।

राज्य में कोरोना के आंकड़ों का अध्ययन कर रही संस्था सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटी फाउंडेशन के अध्यक्ष संस्थापक अनूप नौटियाल का कहना है कि मई में अब तक कोरोना संक्रमित 3577 मरीजों की मौत हो चुकी हैं। यह अब तक हुई मौत का 57 फीसद है। यह संख्या एकाएक बढ़ने का कारण बैकलॉग भी है। अप्रैल से मई के बीच हुई कई मरीजों की मौत का ब्योरा राज्य नियंत्रण कक्ष को देरी से मिला। पिछले 11 दिन में जो मौत दर्ज की गई हैं, उसमें 35 फीसद बैकलॉग है।

मृत्यु दर में देश में दूसरे नंबर पर उत्तराखंड

उत्तराखंड में कोरोना का पहला मामला 15 मार्च 2020 को सामने आया था, जबकि पहली मौत एक मई 2020 को हुई। इसके बाद मौत का ग्राफ निरंतर बढ़ता गया। कोरोना से मृत्यु दर राज्य के लिए शुरुआत से चिंता का सबब बनी हुई है। वर्तमान में यहां कोरोना मृत्यु दर 1.92 फीसद है। इस मामले में राज्य देश में दूसरे स्थान पर आ गया है।

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