खुदी सड़क और गंदगी से परेशान हैं इन कालोनियों के लोग
पटेलनगर क्षेत्र के माजरा इलाके में समस्याओं की लंबी फेहरिस्त है। यहां डेढ़ साल पहले सीवर लाइन के लिए खोदी गई सड़कों पर मलबा गलियों में बिखरा पड़ा है।
By BhanuEdited By: Updated: Mon, 14 Jan 2019 10:04 AM (IST)
देहरादून, जेएनएन। पटेलनगर क्षेत्र के माजरा इलाके में समस्याओं की लंबी फेहरिस्त है। यहां डेढ़ साल पहले सीवर लाइन के लिए खोदी गई सड़कों पर मलबा गलियों में बिखरा पड़ा है। साफ-सफाई की व्यवस्था न होने से हर गली गंदगी से भरी पड़ी है। स्ट्रीट लाइटें न होने से आधे वार्ड में अंधेरा छाया रहता है। इन दिनों अमृत योजना के लिए सड़क खोदने का काम फिर शुरू हो गया है। ऐसे में गलियों में आवाजाही खतरे से खाली नहीं है।
नगर निगम क्षेत्र का माजरा वार्ड सहारनपुर रोड, जीएमएस रोड और हरिद्वार रोड से जुड़ा है। यहां माजरा, माजरा मंडी, पोस्ट ऑफिस रोड, संस्कृति विहार, इंद्रलोक कॉलोनी, शांति विहार, आजाद कॉलोनी, शिव मंदिर मार्ग आदि कई इलाके ऐसे हैं, जहां समस्याओं का अंबार लगा हुआ है।
वार्ड की संकरी गलियों में डेढ़ साल पहले एडीबी ने सीवर लाइनें बिछाई थीं। अभी यह कार्य आधा-अधूरा पड़ा है। खोदी गई सड़कों पर मलबा बिखरा पड़ा है। इससे वाहन तो दूर पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है। सीवर लाइन से उपजी समस्या खत्म भी नहीं हुई कि इन दिनों अमृत योजना से पानी की लाइन बिछाने के लिए फिर सड़कें खोद दी गईं।
ऐसे में वार्ड के लोग जान जोखिम में डालकर आवाजाही कर रहे हैं। सफाई के नाम पर वार्ड में खानापूर्ति तक नजर नहीं आती है। यहां कई क्षेत्र ऐसे हैं, जहां सफाई कर्मचारी आज तक नहीं पहुंचे। लक्ष्मी होटल और सुंदर पैलेस वाली गली में भी गंदगी बिखरी पड़ी है। सफाई के अलावा वार्ड में स्ट्रीट लाइटें भी खराब पड़ी हैं।
यहां हाल ही में निगम ने एलईडी लाइटें लगाई थीं। यह लाइटें दिन में जलती हैं और रात को बंद हो जाती हैं। कई गलियों में डेढ़ से दो साल से स्ट्रीट लाइटें बंद पड़ी हैं।
कूड़ा उठान के देते हैं डेढ़ सौ
माजरा की गलियों में कूड़ा उठान की कोई व्यवस्था नहीं है। मुख्य सड़क पर रखे कुछ कूड़ेदान में कूड़ा फेंका जाता है। इससे सहारनपुर रोड पर आवाजाही करने वालों को परेशानी होती है। सड़क और नाली के किनारे कूड़े के ढेर लगे हुए हैं। गली में कूड़ा उठाने आने वाला रिक्शा चालक सौ से डेढ़ सौ रुपये लेता है। एडीबी को समन्वय के दिए निर्देश
जिलाधिाकरी एसए मुरूगेशन के अनुसार जल संस्थान और एडीबी को समन्वय बनाकर काम करने के निर्देश दिए गए हैं। सफाई और कूड़े निस्तारण की जिम्मेदारी निगम की है। निगम को वार्डों में सफाई चाकचौबंद करनी चाहिए। पचास फीसद इलाके में नहीं स्ट्रीट लाइट
क्षेत्रीय पार्षद आफताब आलम के अनुसार सीवर और पानी की लाइन बिछाने के लिए सड़कें बेतरतीब खोदी गई हैं। वार्ड के पचास फीसद इलाके में अभी स्ट्रीट लाइटें नहीं लगी है।
स्थानीय लोगों का तर्क शिव मंदिर मार्ग निवासी रेखा देवी का कहना है कि कूड़ा उठाने के लिए डेढ़ सौ रुपये देते हैं। गलियों में सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है। सड़क और गलियों में गंदगी बिखरी पड़ी है। माजरा निवासी जानकी प्रसाद पंत का कहना है कि स्ट्रीट लाइटें डेढ़ साल से बंद पड़ी हैं। सफाई न होने के कारण गंदगी फैली रहती है। बारिश के पानी की निकासी नहीं हो पाती है।
माजरा निवासी अशोक कुमार के मुताबिक सड़क खोदने के बाद छोड़ दी है। सीवर लाइन से अभी क्षेत्र नहीं जुड़ा है। नालियों की सफाई नहीं होती है। शिकायत की सुनवाई नहीं होती है। कलीराम कश्यप कहते हैं कि पीने के पानी की किल्लत बनी हुई है। प्रेशर न होने से मोटर से पानी खींचना पड़ता है। सफाई नहीं होती है। कूड़ा उठान की व्यवस्था भी नहीं है। विनय खंडू़ड़ी के अनुसार खोदी गई सड़कों का मलबा मोहल्ले के लोगों ने खुद हटाया। सफाई न होने से सड़कों पर गंदगी फैली है। पीने के पानी का प्रेशर कम आता है। हिमांशु कुमार का कहना है कि सड़कों पर जगह-जगह गड्ढे हैं। पीने के पानी का संकट बना रहता है। क्षेत्र की सड़कों और नालियों में सफाई नहीं होती है।
लक्ष्मी पैलेस वाली गली निवासी प्रकाश गुसाईं के मुताबिक सफाई कर्मचारी नहीं आते। कूड़ेदान नहीं लगे हुए हैं। गंदगी सड़क और नालियों में बिखरी रहती है। नालियों की लंबे समय से सफाई नहीं हुई। माजरा निवासी कमल अग्रवाल के अनुसार आवारा कुत्तों का आतंक है। सफाई कर्मचारी गली में नहीं आते। गंदगी से लोग परेशान हैं। पानी का प्रेशर बेहद कम रहता है। आजाद कॉलोनी निवासी अबजर का कहना है कि स्ट्रीट लाइटें शो पीस बनी हुई है। मुख्य सड़क और गलियों में अंधेरा छाया रहता है। कई बार इसकी शिकायत की गई, पर कुछ नहीं हुआ। यह भी पढ़ें: दून की इस कॉलोनी में खुले में शौच करने को मजबूर हैं महिलाएं यह भी पढ़ें: नगर निगम की इन कॉलोनियों में अतिक्रमण और गंदगी बनी मुसीबतयह भी पढ़ें: इन कॉलोनियों में खुदी सड़कें बनी नासूर, हर वक्त रहता है जान का जोखिम
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