Move to Jagran APP

रिजल्ट के फार्मूले से संतुष्ट नहीं दून के छात्रों का एक बड़ा वर्ग, बोले- 11वीं कक्षा को कम वेटेज मिले

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद 12वीं के छात्रों का परिणाम तैयार करने के लिए फार्मूले पर मुहर लग गई है। इसके अनुसार स्कूलों ने काम शुरू कर दिया है। हालांकि छात्रों का एक बड़ा वर्ग इस फार्मूले से संतुष्ट नहीं है।

By Raksha PanthriEdited By: Updated: Mon, 21 Jun 2021 02:41 PM (IST)
Hero Image
रिजल्ट के फार्मूले से संतुष्ट नहीं दून के छात्रों का एक बड़ा वर्ग।
जागरण संवाददाता, देहरादून। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद 12वीं के छात्रों का परिणाम तैयार करने के लिए फार्मूले पर मुहर लग गई है। इसके अनुसार स्कूलों ने काम शुरू कर दिया है। हालांकि, छात्रों का एक बड़ा वर्ग इस फार्मूले से संतुष्ट नहीं है। खासतौर पर 11वीं कक्षा को ज्यादा वेटेज दिए जाने से छात्र असंतुष्ट हैं। छात्रों ने सीबीएसई के फार्मूले पर आपत्ति जताते हुए कहा कि 11वीं कक्षा को 30 फीसद वेटेज दिया जाना उचित नहीं। इससे अच्छा बोर्ड कक्षाओं को और ज्यादा वेटेज दिया जाना चाहिए था। 

दरअसल, छात्रों का मत है कि 10वीं के बाद 11वीं कक्षा में पाठ्यक्रम में बड़ा बदलाव होता है। औसत बच्चों को यह पाठ्यक्रम समझने और माइंडसेट करने में समय लग जाता है। वहीं, कई छात्र ऐसे भी होते हैं, जो 11वीं कक्षा में पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान ही नहीं देते। चाहे कितना भी पढ़ाई करने वाला छात्र हो, लेकिन बोर्ड कक्षाओं एवं 11वीं की पढ़ाई में फर्क आ ही जाता है।

12वीं की छात्रा सलोनी ने कहा कि 11वीं कक्षा में मैंने स्कूल की परीक्षा के साथ मेडिकल की कोचिंग लेना भी शुरू किया था। रूटीन सेट होने में समय लग गया। मेरी कई अन्य दोस्तों को भी 11वीं कक्षा में यह समस्या रही। छात्र आयुष बमनिया ने कहा कि बोर्ड और नॉन बोर्ड कक्षाओं की तैयारी में फर्क तो आ ही जाता है। अगर 11वीं कक्षा के बजाय बोर्ड कक्षाओं का वेटेज बढ़ाया जाता तो वह ज्यादा बेहतर होता।

उधर, दून इंटरनेशनल स्कूल के प्रधानाचार्य दिनेश बर्त्वाल ने कहा कि छात्रों का पूरा आकलन हो सके, इस लिहाज से ही फार्मूला तैयार किया गया है। यह जरूर है कि छात्रों को 11वीं कक्षा में खुद को ढालने में समय लगता है। उधर, समर वैली के प्रधानाचार्य सेनि. कर्नल जसविंदर सिंह ने कहा कि कि सीआइसीएसई ने 12वीं के परिणाम में पिछली छह कक्षाओं के बेस्ट अंक लेना भी तय किया है। इससे छात्रों के पूरे अकादमिक बैकग्राउंड का आकलन हो सकेगा और उन्हें परिणाम में भी फायदा मिलेगा।

यह भी पढ़ें- दून की मेधा अग्रवाल आइआइएससी बेंगलुरु से करेंगी पीएचडी, देशभर के छात्रों का सपना होता यहां से करें पढ़ाई

Uttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।