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खतरे की झील : सूर्यधार बांध से तीन किलोमीटर आगे बनी कृत्रिम झील से कई गांव, मार्ग व पुल को खतरा

कृत्रिम झील को लेकर रविवार के अंक में दैनिक जागरण ने प्रमुखता के साथ इस मामले को उठाने के बाद सोमवार को संयुक्त टीम के निरीक्षण को प्रकाशित किया था। सूर्यधार बांध से तीन किलोमीटर आगे बनी कृत्रिम झील को सिंचाई विभाग ने खतरा बताया है।

By Nirmala BohraEdited By: Wed, 06 Jul 2022 09:20 AM (IST)
खतरे की झील : सूर्यधार बांध से तीन किलोमीटर आगे बनी कृत्रिम झील से कई गांव, मार्ग व पुल को खतरा
सूर्यधार बांध से तीन किलोमीटर आगे बनी कृत्रिम झील

संवाद सहयोगी, डोईवाला : सूर्यधार बांध से तीन किलोमीटर आगे बनी कृत्रिम झील को सिंचाई विभाग ने खतरा बताया है। सिंचाई विभाग ने प्रधान मंत्री ग्रामीण सड़क योजना (पीएमजीएसवाइ) नरेंद्रनगर के अधिशासी अभियंता को लिखे पत्र में सेबूवाला गांव में बनी कृत्रिम झील से कई गांव, मार्ग व पुल को खतरा बताते हुए निर्माणाधीन इठरना-कालमन-कुखई मोटर मार्ग की कटिंग से आए हुए मलबे का निस्तारण करने की सलाह दी है।

झील का निरीक्षण कर अधिकारियों को जल्द निराकरण के निर्देश

कृत्रिम झील को लेकर रविवार के अंक में दैनिक जागरण ने प्रमुखता के साथ इस मामले को उठाने के बाद सोमवार को संयुक्त टीम के निरीक्षण को प्रकाशित किया था। जिसके बाद मंगलवार को भी पीएमजीएसवाइ एवं सिंचाई विभाग के अधिकारियों के साथ स्थानीय विधायक बृजभूषण गैरोला ने भी मौके पर झील का निरीक्षण कर अधिकारियों को जल्द इसके निराकरण के निर्देश दिए हैं।

मलबे से जाखन नदी पर कृतिम झील बनी

यहां बता दें कि सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता डीसी उनियाल ने बताया था कि इठारना -कालमन- कुखई मोटर मार्ग के मलबे से जाखन नदी पर कृतिम झील बन गई है। जिसकी लंबाई 100 मीटर, चौड़ाई 26 मीटर तथा गहराई 3.5 मीटर है। जिसका आयतन लगभग 7875 धन मीटर है। भविष्य में वर्षा होने पर उक्त झील की ऊंचाई सात मीटर तक बढ़ सकती है। जिससे सेबूवाला, सेबुवाला पुल, खरक, केरवान, मालकोट, सूर्यधार झील, कंडोली, रानीपोखरी ग्रांट, ऋषिकेश देहरादून मुख्य मोटर मार्ग को खतरा हो सकता है।

मंगलवार को पीएमजीएसवाइ ने कर्मचारी लगाकर झील के पानी के निकास को और बढ़ाया गया परंतु यह अस्थायी व्यवस्था है। यदि इस बीच वर्षा बढ़ती है तो मलबा और आने के चलते झील और अधिक बड़ी और खतरनाक हो सकती है। परंतु पीएमजीएसवाइ इस मलबे को रोड कटिंग का मलबा ना बताकर पहाड़ी टूटने का मलबा बताकर अपना पल्ला झाडऩे में लगा हुआ है।

जबकि दैनिक जागरण ने लगभग छह माह पूर्व इस मार्ग के कटिंग के दौरान पोकलेंड मशीन से मलबा घाटी में गिराए जाने का समाचार प्रकाशित किया था। निरीक्षण के दौरान पीएमजीएसवाई नरेंद्र नगर डिवीजन के सहायक अभियंता मनोज शर्मा, भाजपा नेता विक्रम नेगी, महिपाल सिंह कृषाली, क्षेत्र पंचायत सदस्य अतुल पुंडीर, उर्मिला मनवाल, दीवान सिंह रावत, बलवंत रावत, घनश्याम सिंह रावत, सर्वेश रावत आदि मौजूद रहे।

मार्ग के दौरान आए मलबे से प्राकृतिक झील का बनना वर्षा में मुसीबत बढ़ा सकता है। झील से मलबा मशीनों से ही हटाया जाना संभव है और झील तक मशीन लाने के लिए खेतों और वन विभाग की भूमि का कटान किया जाएगा। इस संदर्भ में ग्रामीणों ने सहमति दे दी है। और वन विभाग से बात की जा रही है। अब सिंचाई विभाग और पीएमजीएसवाई नरेंद्र नगर डिवीजन दोनों सामंजस्य बनाकर जल्द से जल्द मलबा हटाए ताकि कोई बड़ी दुर्घटना न हो सके।

- बृज भूषण गैरोला, विधायक डोईवाला

नदियों में सड़क निर्माण का मलबा फेंकने पर शासन सख्त

वहीं नदियों में सड़क निर्माण का मलबा फेंके जाने पर शासन से सख्त रुख अपनाया है। इस संबंध में सचिव आपदा प्रबंधन डा रंजीत कुमार सिन्हा ने सड़क निर्माण से जुड़े विभागों और संस्थाओं को निर्देश दिए हैं कि मलबे का निस्तारण उसी तरह वैज्ञानिक ढंग से किया जाए, जैसा चारधाम आल वेदर रोड के निर्माण में किया जा रहा है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि इसमें किसी प्रकार की कोताही सहन नहीं की जाएगी।

राजधानी से लगे डोईवाला विकासखंड में सैबूवाला के पास जाखन नदी में बनी कृत्रिम झील का कारण वहां प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत निर्माणाधीन इठारना-कालमन-कुखुई मार्ग के निर्माण का मलबा नदी में फेंका जाना सामने आया है। यद्यपि, झील से पानी निकालकर इससे उत्पन्न समस्या का तात्कालिक समाधान हो गया है, लेकिन सड़क निर्माण के मलबे के निस्तारण को लेकर चिंता भी बढ़ गई है। ऐसा ही एक मामला हाल में बागेश्वर जिले में भी सामने आया था। इस सबको देखते हुए शासन सक्रिय हो गया है।

सचिव आपदा प्रबंधन डा रंजीत कुमार सिन्हा ने कहा कि सड़क निर्माण के दौरान मलबा नदियों में फेंका जाना गंभीर मामला है। मलबे का वैज्ञानिक ढंग से निस्तारण किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मलबा इधर-उधर अथवा नदियों में फेंकने से वर्षाकाल में दिक्कतें खड़ी होना स्वाभाविक है। इसे देखते हुए सड़क निर्माण से जुड़ी एजेंसियों को इस मामले में संवेदनशील रुख अपनाने को कहा गया है।

मलबा हटाने के दिए गए हैं निर्देश

जाखन नदी में कृत्रिम झील बनने के बाद सिंचाई, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाइ) व राजस्व विभाग के अधिकारियों द्वारा किए गए संयुक्त निरीक्षण में यह बात भी सामने आई कि नदी के साथ-साथ डेढ़ सौ मीटर लंबाई में अभी भी काफी मलबा पड़ा है। शासन ने कार्यदायी संस्था पीएमजीएसवाई खंड नरेन्द्र नगर को यह मलबा शीघ्र हटाने के निर्देश दिए हैं। सड़क का निर्माण यही खंड करा रहा है।

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