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शहीद चित्रेश के पिता देश के लिए तैयार करेंगे अफसर, बनाई ये योजना

संतोष भट्ट। पुलवामा के शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट के पिता बेटे की शहादत में आवासीय सैनिक स्कूल खोलेंगे। इसमें सेना मेंं भर्ती के लिए गरीब युवाओं को मुफ्त कोचिंग देेंगे।

By BhanuEdited By: Updated: Thu, 28 Feb 2019 08:37 AM (IST)
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शहीद चित्रेश के पिता देश के लिए तैयार करेंगे अफसर, बनाई ये योजना
देहरादून, संतोष भट्ट। पुलवामा के शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट के पिता बेटे की शहादत में आवासीय सैनिक स्कूल खोलेंगे। इस स्कूल में सेना में अफसर बनने का ख्वाब संजोने वाले गरीब एवं जरूरतमंद बच्चों को मुफ्त कोचिंग दी जाएगी। इस संबंध में शहीद के पिता रिटायर्ड कोतवाल बिष्ट ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को भी पूरी योजना से अवगत करा दिया है। जल्द इसकी कार्ययोजना बनाई जाएगी। 

राजौरी में बारूदी सुरंग को नाकाम करने का प्रयास करते हुए 16 फरवरी को शहीद हुए मेजर चित्रेश के पिता सेवानिवृत्त कोतवाल एसएस बिष्ट (सुरेंद्र सिंह बिष्ट) बेटे की शहादत से गम के साथ गर्व भी है। आइईडी डिफ्यूज कर मेजर चित्रेश ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है। ऐसे में उनकी शहादत को कभी नहीं भुलाया जा सकता। 

बेटे की शहादत के बाद पिता भले ही अंदर से टूटे हों, लेकिन उनके मन में समाज सेवा का जज्बा कम नहीं हुआ है। यही कारण है कि शहीद मेजर के पिता एसएस बिष्ट कहते हैं कि अब वह बेटे की याद में आवासीय सैनिक स्कूल खोलेंगे। 

इसके लिए उन्होंने हल्द्वानी, रानीखेत या फिर दून में जहां जमीन उपलब्ध होगी वहां स्कूल खोलने की इच्छा जाहिर की है। इसके लिए बिष्ट ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से भी चर्चा कर सहयोग की अपेक्षा की है। 

मेजर चित्रेश के पिता बिष्ट का कहना है कि बेटे की शहादत के बाद सरकार जो आर्थिक मदद परिवार को देगी, उसको वह स्कूल पर खर्च करेंगे। इसके अलावा अपनी पेंशन और जमा पूंजी भी इस काम में लगाने से पीछे नहीं हटेंगे। 

उन्होंने कहा कि इस आवासीय स्कूल में वह गरीब, निर्धन एवं जरूरतमंद ऐसे युवा जो देश की रक्षा को अफसर बनने का सपना देखते हों, लेकिन उनके पास संसाधनों की कमी हो उन्हें प्रशिक्षण देंगे। 

नम आंखों से बिष्ट कहते हैं कि यह गरीब बच्चे जब सेना में अफसर बनेंगे तो इन बच्चों में मुझे अपना चित्रेश नजर आएगा। मेरा एक चित्रेश देश के लिए कुर्बान हुआ है, लेकिन मैं सैकड़ों चित्रेश बनाने की कोशिश करूंगा। 

बुल था मेरा भाई 

शहीद मेजर चित्रेश के बड़े भाई नीरज बिष्ट लंदन में प्रतिष्ठित कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। भाई की शहादत से नीरज भी गमजदा हैं। उनका कहना है कि सेना में चित्रेश को उनके साथी बुल कह कर बुलाते थे। उन्होंने कहा कि चित्रेश हॉकी में जब अपने पास बॉल लेता था, तो किसी की हिम्मत नहीं थी कि उससे बॉल छीन सके। 

यही नहीं भाई ने हर काम को हंसते हुए मुकाम तक पहुंचाया। जनरल बनना था सपना शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट अपने पिता एसएस बिष्ट से अक्सर कहते थे कि पापा इंजीनियर्स कोर से पहला जनरल अगर कोई बनेगा तो वह आपका बेटा होगा। यह मुकाम चित्रेश ने कम उम्र में काफी हद तक हासिल भी कर लिया था। चित्रेश का जुनून था कि हर काम को बेहतर और पूरी ईमानदारी से किया जाए।

एयरफोर्स के अफसरों को शहीद चित्रेश के पिता का सलाम

शहीद मेजर चित्रेश के पिता सेवानिवृत्त इंस्पेक्टर एसएस बिष्ट ने कहा कि एयरफोर्स के अफसरों ने पाकिस्तान के खिलाफ जो कार्रवाई की है, उससे वह संतुष्ट हैं। एयरफोर्स के अफसरों की तारीफ करते हुए उन्हें उनके इस काम को सलाम किया। साथ ही कहा कि पाकिस्तान ऐसा सांप है, जिसे छेड़ने से नहीं बल्कि फन कुचलने से भारत को राहत मिलेगी। 

इसके अलावा आतंकियों का नेस्तानाबूद करने से ही शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। एयरफोर्स के जांबाजों ने सोमवार रात को बड़ी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान बार्डर पर आतंकियों के ठिकानों को नेस्तानाबूद किया है। राजौरी में बार्डर पर बारुदी सुरंग को डिफ्यूज करते वक्त शहीद हुए मेजर चित्रेश के परिजन एयरफोर्स की इस कार्रवाई की खूब सराहना कर रहे हैं। 

शहीद चित्रेश के पिता इंस्पेक्टर बिष्ट कहते हैं एयरफोर्स ने जो कार्रवाई की है, उससे काफी हद तक शहीदों की शहादत का बदला पाक को मिल गया है। लेकिन सेना और एयरफोर्स को यह कार्रवाई आगे भी जारी रखनी चाहिए। जब तक पाक के आतंकियों और हमारे जांबाजों के खिलाफ साजिश रचने वाली पाक आर्मी की कमर नहीं तोड़ी गई, तब तक हमें सुकून नहीं मिलेगा। जल, थल और वायु सेना के लिए दुश्मनों को सबक सिखाने का यह मौका सबसे सही है। 

लक्खीबाग में पीपलपानी और हरिद्वार में पिंडदान 

शहीद चित्रेश की तेरहवीं पर परिजनों ने मंगलवार को ब्रह्मा भोज दिया। इस दौरान लक्खीबाग स्थित मंदिर में पीपलपानी का आयोजन किया गया। यहां कुलरीति के साथ चित्रेश को श्रद्धासुमन अर्पित कर पीपलपानी दिया। 

इसके बाद यहां भरे गए पिंडदान को हरिद्वार ले जाया गया, जहां पिंडदान और अन्य सामग्री को गंगा में विसर्जित किया गया। बिष्ट परिवार के करीबी वीसी गुसाई ने बताया कि हरिद्वार में पिंडदान का विसर्जन बिष्ट के छोटे भाई राजेंद्र सिंह ने किया। 

मंगेतर और परिजन पहुंचे चित्रेश के घर 

शहीद मेजर चित्रेश की सात मार्च को शादी प्रस्तावित थी। मगर, इससे पहले ही वह देश को गले लगा गए। इस घटना से बिष्ट परिवार के साथ चित्रेश की मंगेतर के परिजन भी गहरे सदमे में हैं। मंगेतर और उनके माता-पिता जब चित्रेश के घर पहुंचे तो परिजनों में कोहराम मच गया। इस दौरान परिजन एक-दूसरे के गले लगते हुए विलाप करने लगे। 

हालांकि यहां मौजूद लोगों ने स्थिति संभालते हुए परिजनों को समझाया। इस दौरान जिसने भी चित्रेश की मंगेतर को देखा, उसके आंखों में आंसू भर आए। इस दौरान मंगेतर घर में लगे चित्रेश के पोस्टर को निहारते रही।

वीरांगना नितिका ने खामोश भाव से दिया खुद को दिलासा

आतंक का समूल नाश हमारे समाज के लिए कितना जरूरी है, इस बात को शहीदों के परिजनों से बेहतर कौन समझ सकता है। पुलवामा हमले हादसे के बाद देश ने जिस तरह आतंकियों से बदला लिया, उससे यह उम्मीद जरूर बढ़ी है कि देर-सबेर इस जहान से आतंक का साया जरूर मिट जाएगा। उम्मीद की ऐसी ही छोटी सी किरण शहीद मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल की पत्नी नितिका कौल और मां सरोज ढौंडियाल के चेहरे पर तब नजर आई, जब उन्हें पता चला कि पुलवामा हमले पर देश ने बड़ा बदला ले लिया।

शहीद ढौंडियाल का परिवार अभी सदमे से खुद को नहीं उबार पाया है। अभी भी पत्नी नितिका और उनकी मां व दादी देश पर कुर्बान हुए वीर विभूति के चित्र के आगे घंटों खामोश बैठी रहती हैं। मंगलवार को भी ढौंडियाल परिवार इसी तरह शहीद विभूति के चित्र के आगे बैठा था, बस चेहरे के भाव थोड़ा तसल्लीभरे जरूर नजर आए। 

हालांकि शहीद के परिजनों के भाव यह भी बता रहे थे कि अभी आतंक के खिलाफ बहुत कुछ किया जाना बाकी है। ताकि उनकी तरह कोई और परिवार इस स्थिति से न गुजर सके। क्योंकि इस तरह के सदमे से उबरना किसी भी परिवार के लिए आसान नहीं होता है। यही वजह रही कि नितिका कौल इतनाभर कह पाईं कि उनका वक्त अभी भी उनके विभू के पास ठहरा हुआ है। 

हाउ इज दि जैश, डेड सर...

पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद के ठिकानों को उड़ाने के बाद सोशल मीडिया पर भी एक जंग छिड़ी। इसका मोर्चा संभाला, देशप्रेम से ओतप्रोत लोगों ने। पुलवामा हमले के बाद भारतीयों ने न सिर्फ सोशल साइट्स पर जमकर मोर्चा संभाला, बल्कि भारत विरोधी उन तमाम पोस्टों का मुहंतोड़ जवाब दिया, जो हमारे देश के प्रति आग उगल रहे थे। मंगलवार को तमाम ऐसे पोस्ट देखने को मिले, जिसमें लिखा था 'हाउ इज दि जैश, डेड सर'।

सिर्फ यही पोस्ट नहीं, बल्कि फेसबुक, व्हाट्सएप व ट्विटर आदि पर दिनभर पाकिस्तान को उसके नापाक मसूंबो का जवाब दिया जाता रहा। दिलचस्प यह कि भारत के विरोध में पुलवामा हमले के बाद जिस तरह के पोस्ट जारी किए जाते रहे, उसका दुस्साहस भी ठंडा नजर आया। बल्कि कुछ पाक समर्थक यह पोस्ट कर रहे थे कि पाकिस्तानी सेना को डूब मरना चाहिए। 

भारत के मिराज-2000 विमानों ने भीतर तक घुसकर अपना काम भी कर दिया और चुटकियों में सकुशल वापस भी लौट आए। इस तरह की पोस्ट पर भारतीयों ने जमकर चुटकी ली और हमारी वायुसेना के कारनामे को सलाम किया। सेना के पराक्रम पर ऑनलाइन चल रही खबरों को भी जमकर शेयर किया गया।

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