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उपनल कर्मियों का मामला अब विधि विभाग के हवाले, समान कार्य-समान वेतन देने पर आने वाले खर्च की भी हो रही गणना

उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम लिमिटेड (उपनल) कर्मियों को समान कार्य के लिए समान वेतन देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिलने के बाद अब सरकार विधिक राय लेने जा रही है। अब सरकार इस मामले में विधि विभाग से राय लेगी और यह भी अध्ययन करेगी कि यदि उपनल कर्मियों को समान कार्य के लिए समान वेतन देना है तो इस पर कितना खर्च आएगा।

By Vikas gusain Edited By: Nitesh Srivastava Updated: Mon, 21 Oct 2024 08:58 PM (IST)
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उपनल कर्मियों का मामला अब विधि विभाग के हवाले (File Photo) जागरण

राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून: उपनल (उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम लिमिटेड) कर्मियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट से राहत न मिलने के बाद अब सैनिक कल्याण इस विषय में विधिक राय लेने में जुट गया है। इसके बाद ही यह देखा जाएगा कि इस विषय पर पुनर्विचार याचिका डाली जाए अथवा नहीं।

यह भी अध्ययन किया जा रहा है कि यदि उपनल कर्मियों को समान कार्य के लिए समान वेतन देना है तो इस पर कितना खर्च आएगा।

प्रदेश में इस समय उपनल के जरिये विभिन्न विभागों में 25 हजार से अधिक कार्मिक तैनात हैं। ये कार्मिक चतुर्थ श्रेणी से लेकर प्रथम श्रेणी के रिक्त पदों के सापेक्ष अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इनके लिए सरकार ने वेतनमान नियत किया हुआ है, जो इन्हें उपनल के जरिये दिया जाता है।

उपनल का गठन सरकार ने वर्ष 2004 में किया था। इसके बाद से ही इसके जरिये सरकारी विभागों में कार्मिकों की तैनाती शुरू कर दी गई। वर्ष 2018 में हाईकोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता उपनल कर्मियों को समान कार्य का समान वेतन देने और इन्हें नियमित करने के निर्देश दिए। प्रदेश सरकार ने इस याचिका के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

यद्यपि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की इस याचिका को खारिज कर दिया, जिससे हाईकोर्ट का निर्णय ही प्रभावी हो गया है। इस आदेश के बाद विभाग हरकत में आ गया था और इसका हल निकालने के लिए बैठकें भी हुई लेकिन लिखित आदेश न मिलने के कारण इस मामले में आगे पत्रावली नहीं चलाई जा सकी। शासन को सुप्रीम कोर्ट का लिखित आदेश शनिवार को प्राप्त हुआ।

ऐसे में इस आदेश को विधि विभाग के पास भेजा गया है। यह देखा जा रहा है कि आखिर पैरवी में कहां कमी रह गई। साथ ही यह भी विचार किया जा रहा है कि क्या इस विषय पर पुनर्विचार याचिका दाखिल की जा सकती है।

इस पर विधि का परामर्श मांगा गया है। साथ ही सैनिक कल्याण विभाग अब सभी विभागों में तैनात कार्मिकों का डेटा भी एकत्र कर रहा है ताकि यह देखा जा सके कि समान कार्य के लिए समान वेतन में कितना खर्च आएगा।

सचिव सैनिक कल्याण दीपेंद्र चौधरी का कहना है कि अभी इस विषय में विधिक राय ली जा रही है। इसके बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा।

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