पार्षदों ने की आपात बैठक, महापौर का चढ़ा पारा; बताया उनके खिलाफ साजिश
नगर निगम में भाजपा व कांग्रेस के पार्षदों की आपात बैठक महापौर सुनील उनियाल गामा को नागवार गुजरी। बैठक के बाद महापौर से मुलाकात को पहुंचे पार्षदों को महापौर का गुस्सा झेलना पड़ा।
By BhanuEdited By: Updated: Wed, 24 Apr 2019 09:22 AM (IST)
देहरादून, जेएनएन। नगर निगम में भाजपा व कांग्रेस के पार्षदों की हुई आपात बैठक महापौर सुनील उनियाल गामा को नागवार गुजरी। बैठक के बाद महापौर से मुलाकात को पहुंचे पार्षदों को महापौर का गुस्सा झेलना पड़ा। महापौर ने यहां तक कहा कि इस तरह की बैठक से कुछ पार्षद उनके विरुद्ध साजिश रच रहे हैं। साथ ही चेतावनी दी कि भविष्य में महापौर को सूचना दिए बगैर निगम परिसर में पार्षद बैठक नहीं करेंगे। हां, अगर बिना सूचना के बैठक करनी ही है तो नगर निगम परिसर से बाहर कर सकते हैं।
दरअसल, हुआ यूं कि पार्षदों के ग्रुप में एक मैसेज चलाया गया कि सभी सदस्य मंगलवार सुबह 11 बजे नगर निगम में पार्षद कक्ष में एकत्र होंगे। चाय पर चर्चा होगी और विकास कार्यों को लेकर बातचीत की जाएगी। इसके अनुरूप मंगलवार सुबह भाजपा-कांग्रेस के लगभग तीन दर्जन पार्षद निगम पहुंचे और बैठक शुरू हुई। उस वक्त महापौर सुनील उनियाल गामा भी निगम में मौजूद थे, लेकिन पार्षदों ने उनसे बैठक को लेकर कोई बात नहीं की। बैठक में वार्डों में सफाई व्यवस्था बेहद खराब होने और कूड़ा उठान न होने से लेकर स्ट्रीट लाइटों व नालों की सफाई का मुद्दा छाया रहा। पार्षदों का आरोप था कि लोकसभा चुनाव की आड़ में निगम के अधिकारी लापरवाह बने हुए हैं व वार्डों की तरफ ध्यान नहीं दे रहे।बैठक के बाद पार्षद नगर आयुक्त से मिले व उन्हें ज्ञापन देकर महापौर के कक्ष में गए।
पार्षदों को देखते ही महापौर का पारा चढ़ गया व गुपचुप बैठक को साजिश करार देते हुए महापौर ने पार्षदों को जमकर खरीखोटी सुना दी। कुछ पार्षद भी गुस्से में आ गए व उन्होंने भी महापौर पर हठधर्मिता के आरोप मढ़ दिए। काफी देर दोनों पक्षों में कहासुनी होती रही। बाद में कुछ पार्षद बाहर निकल आए तो कुछ वहीं रुके रहे। महापौर ने भी साफ कहा कि उनके संज्ञान के बिना निगम परिसर में बैठक नहीं की जाएगी। वहीं, इस बैठक में पार्षद भूपेंद्र कठैत, सुशीला रावत, नंदिनी शर्मा, कमली भट्ट, अमित भंडारी, विनोद नेगी, विमल उनियाल, उर्मिला पाल समेत करीब तीन दर्जन पार्षद मौजूद रहे।
आक्रोश या उप महापौर का दांव
यूं तो निगम की नई सरकार दिसंबर में चुन ली गई थी लेकिन शायद ही ऐसा कोई दिन हो, जिस दिन दस से ज्यादा पार्षदों ने नगर निगम का रुख किया हो। 28 फरवरी को हुई बोर्ड बैठक में जरूर 90 पार्षद आए थे, लेकिन उसके बाद लोकसभा चुनाव को लेकर भी पार्षद निगम परिसर में कभी एक साथ नहीं दिखे। व्यक्तिगत रूप से वार्ड की शिकायतें लेकर दो-चार पार्षद जरूर निगम में नियमित दिखते हैं। मंगलवार को दूसरा मौका था जब करीब तीन दर्जन पार्षद नगर निगम में एकत्र हुए हों। पार्षद वार्ड में काम न होने पर भी नाराज हैं व सफाई-व्यवस्था लचर होने व अधिकारियों के रवैये पर भी। सूत्रों की मानें तो महापौर की कार्यशैली पर भी कुछ भाजपा व कांग्रेस पार्षद नाराज हैं। यही वजह है कि अंदरखाने पार्षदों में कईं दिनों से खिचड़ी पक रही थी।
उप महापौर के चुनाव को लेकर भी पार्षद लामबंद दिख रहे हैं। यह आक्रोश का नतीजा था कि इसे लेकर वे मंगलवार को एकजुट हुए या फिर उप महापौर को तेवर दिखाना, यह तो वक्त ही बताएगा। यह जरूर है कि नए महापौर गामा के लिए अगले पौने पांच वर्ष का सफर बेहद चुनौतीपूर्ण होने वाला है। निगम परिसर में बैठक की देनी होगी सूचना
महापौर सुनील उनियाल गामा के मुताबिक, नगर निगम परिसर में अगर पार्षद कोई बैठक करते हैं तो इसकी सूचना महापौर को देनी चाहिए। शहर के विकास के लिए सभी जिम्मेदार हैं। हम सभी निर्वाचित प्रतिनिधि हैं और हमें एक-दूसरे के सम्मान व कायदों का ख्याल रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि मेरी नाराजगी इस बात को लेकर है कि मुझे सूचना क्यों नहीं दी गई। अगर सामान्य मुद्दों पर बैठक थी तो सूचना देने में क्या हर्ज। मैं खुद विकास कार्यों को लेकर गंभीर हूं।
नहीं है एक्ट में ऐसा प्रावधान पूर्व महापौर विनोद चमोली के अनुसार, नगर निगम एक्ट में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि पार्षदों को बैठक करने से पहले महापौर या नगर आयुक्त को सूचना भेजनी चाहिए। निगम परिसर पार्षदों के लिए भी है और वे जब चाहें एकसाथ बैठक कर सकते हैं। मेरे कार्यकाल में ऐसी अनगिनत बैठकें की गईं।
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