पार्टी हाईकमान का रहा बैकअप, पहली परीक्षा में पास हुए महापौर गामा
नए महापौर सुनील उनियाल गामा अपनी पहली परीक्षा में विकास के सवालों पर जूझते नजर आए। गनीमत यह रही कि भाजपा हाईकमान ने उन्हें बैकअप देने की कोई कसर नहीं छोड़ी।
By BhanuEdited By: Updated: Fri, 01 Mar 2019 09:32 AM (IST)
देहरादून, अंकुर अग्रवाल। आखिर वही हुआ, जिसका अंदेशा था। अव्यवस्था और अनुभव की कमी के बीच शहर के नए महापौर सुनील उनियाल गामा अपनी पहली परीक्षा में विकास के सवालों पर जूझते नजर आए। गनीमत यह रही कि भाजपा हाईकमान ने उन्हें बैकअप देने की कोई कसर नहीं छोड़ी।
रणनीति के अंतर्गत बोर्ड बैठक की पूर्व संध्या पर बुधवार शाम भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट द्वारा भाजपा पार्षदों की बैठक कर रणनीति तैयार कर ली गई थी। सूत्र बता रहे कि भट्ट की ओर से पार्षदों को चुप रहने की ताकीद दी गई थी, ताकि गामा असहज न हों, लेकिन पार्षद कहां मानने वाले थे। यही वजह रही कि पार्टी हाईकमान को स्थिति संभालने के लिए विधायकों को मैदान में उतारना पड़ा।सदस्यों की संख्या में विधानसभा से भी बड़े दून नगर निगम के सभा-भवन में सौ पार्षदों को संभालना किसी चुनौती से कम नहीं है। वह भी तब जब सभापति के पास पर्याप्त अनुभव न हो। गामा नगर निगम के महापौर को निर्वाचित हो गए, लेकिन अभी यहां की कूटनीतिक बारिकियों से वे अछूते हैं। ऐसे में लोकसभा चुनाव से पूर्व निगम की पहली बोर्ड बैठक पर सभी की निगाहें टिकी हुई थीं।
पार्टी हाईकमान भी गामा के अनुभव को लेकर चिंतित था, लिहाजा वह सबकुछ किया जो संभव था। बैठक गामा के लिए पहली परीक्षा मानी जा रही थी कि वे कैसे इससे पार पाते हैं। अकेले गामा के लिए शायद इस बड़ी परीक्षा को पार करना संभव नहीं था, लिहाजा पार्टी हाईकमान ने मोर्चा संभाल लिया। प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने कूटनीति का सहारा लेते हुए बैठक की रूपरेखा तय की। पार्टी को अंदेशा रहा होगा कि अपने पार्षदों को कितना भी मना लो, ये चुप नहीं बैठेंगे।
लिहाजा, प्लान-बी के तहत विधायकों को भी बैठक में भेजने का फरमान सुनाया गया। चूंकि, विधायक निगम बोर्ड के पदेन सदस्य होते हैं, इसलिए पार्टी ने दो चरणों में विधायकों को जिम्मेदारी सौंपी। दोपहर भोज से पहले के सत्र में रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ एवं राजपुर के विधायक खजानदास को बैठक में भेजा गया। काऊ को नगर निगम का खासा अनुभव है। वह निगम में पार्षद के साथ ही डिप्टी मेयर भी रह चुके हैं। शुरुआती चरण में जब पार्षदों के सवालों पर गामा असहज हो गए, तब विधायक काऊ ने मोर्चा संभाल लिया। वे बैठक के लिए अच्छा-खासा होमवर्क कर पहुंचे थे। आंकड़ों और दस्तावेजों के संग वे पार्षदों को जवाब भी देते रहे और साथ ही महापौर को भी जानकारी देते रहे। यही नहीं अधिकारियों को भी काऊ ने सवालों में उल्टा उलझाए रखा।
जब दोपहर भोज हुआ, तब पूर्व काऊ व खजानदास चले गए और पूर्व महापौर एवं धर्मपुर विधायक विनोद चमोली एवं मसूरी विधायक गणेश जोशी को पार्टी हाईकमान ने बैठक में भेजा। रणनीति के तहत अगले सत्र में चमोली मोर्चा संभाले रहे। विकास कार्यों के लिए गामा ने प्रति वार्ड 15-15 लाख रुपये देने को मंजूरी दी तो पार्षदों ने हंगामा शुरू कर दिया। वे अधिक राशि की डिमांड करने लगे तो विधायक चमोली ने बीच का रास्ता निकाल 25-25 लाख रुपये मंजूर करने की सलाह दी। हालांकि, गामा ने यहां चतुराई दिखाई और बोले कि पहले वे भी हिसाब लगाएंगे, तब यह राशि मंजूर करेंगे। गामा ने बाद में 20-20 लाख रुपये की राशि मंजूर की। पार्षदों के मानदेय को लेकर भी चमोली ने रास्ता निकाला व यह मामला शासन को भेजने की सलाह देकर हंगामा शांत कराया। इस तरह गामा अपनी पहली परीक्षा पास कर पाए।सांसद माला राज्यलक्ष्मी भी पहुंची
रणनीति के तहत बैठक में भाजपा की टिहरी लोकसभा क्षेत्र की सांसद महारानी माला राज्यलक्ष्मी भी पहुंची। हालांकि, वह चंद देर ही बैठक में मौजूद रहीं और बगैर कुछ बोले चली गईं। वह भी नगर निगम में पदेन सदस्य हैं।यह भी पढ़ें: नगर निगम के हर वार्ड को मिलेंगे 20 लाख रुपये, पढ़िए पूरी खबर
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