बुग्यालों को मिलेगी कैंपा की 'संजीवनी', जानिए कैसे
उत्तराखंड बुग्यालों को न सिर्फ 'संजीवनी' मिलेगी, बल्कि इनके आसपास रोजगारपरक गतिविधियां संचालित कर इनके संरक्षण में स्थानीय जन की भागीदारी भी सुनिश्चित की जाएगी।
By Edited By: Updated: Tue, 19 Jun 2018 05:13 PM (IST)
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में मानवीय दखलसे कराहते बुग्यालों (मखमली घास के हरे मैदान) को न सिर्फ 'संजीवनी' मिलेगी, बल्कि इनके आसपास रोजगारपरक गतिविधियां संचालित कर इनके संरक्षण में स्थानीय जन की भागीदारी भी सुनिश्चित की जाएगी। इसके लिए क्षतिपूरक वनीकरण निधि प्रबंधन एवं नियोजन प्राधिकरण (कैंपा) ने हाथ खोले हैं।
बुग्यालों के संरक्षण के लिए पहली कड़ी में दो करोड़ की राशि जारी करने का निर्णय लिया गया है। इससे होने वाले कार्यों के सिलसिले में संबंधित वन प्रभागों से प्रस्ताव मांगे गए हैं। हिमशिखरों की तलहटी में ट्री लाइन (पेड़ों की पंक्तियां) खत्म होने के बाद शुरू होते हैं घास के मैदान, जिन्हें बुग्याल कहते हैं। आठ से 10 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित बुग्याल हमेशा से ही ट्रैकिंग के शौकीनों के आकर्षण का केंद्र रहे हैं।सर्दियों में बुग्यालों में बर्फ की सफेद चादर बिछने पर इनमें स्कीइंग के लिए जमावड़ा लग जाता है। यही नहीं, मवेशियों के लिए बुग्याल चारागाह का बड़ा जरिया हैं। साथ ही यह औषधीय वनस्पतियों का भंडार भी हैं। बुग्यालों का यही आकर्षण इनके लिए खतरे का सबब भी बनने लगा है।
लगातार मानवीय दखल से इनकी सेहत नासाज हो रही है। भूस्खलन, विभिन्न प्रकार के निर्माण जैसी गतिविधियों से बुग्यालों के पारिस्थितिकीय तंत्र को नुकसान पहुंच रहा है। ऐसे में जरूरी है कि बुग्यालों के संरक्षण को प्रभावी कदम उठाए जाएं। बुग्यालों में साहसिक पर्यटन से कोई गुरेज नहीं हैं। अलबत्ता, इस प्रकार के कदम उठाने की दरकार है, जिससे बुग्यालों को किसी प्रकार की क्षति न पहुंचे। इस सबको देखते हुए उत्तराखंड कैंपा का ध्यान राज्य के बुग्यालों की तरफ गया है और उसने इनके संरक्षण को संबल देने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। उत्तराखंड कैंपा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी समीर सिन्हा के मुताबिक कैंपा से बुग्यालों के संरक्षण के लिए प्रथम चरण में जारी की जाने वाली दो करोड़ की राशि से विभिन्न कार्य किए जाएंगे। सिन्हा के मुताबिक कैंपा फंड से होने वाले इन कार्यों में मुख्य फोकस बुग्यालों की सेहत सुधारने के साथ ही इनके इर्द-गिर्द रोजगारपरक गतिविधियों के संचालन पर होगा। सभी कार्यो में स्थानीय समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी, ताकि वे बुग्यालों के संरक्षण में योगदान दे सकें। इसी आधार पर संबंधित वन प्रभागों से प्रस्ताव मांगे गए हैं।
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