उत्तराखंड फीस कम करने को लेकर सीएम से मिले मेडिकल छात्र, भूख हड़ताल की भी दी चेतावनी
दून मेडिकल कालेज के 2019 और 2020 बैच के छात्र सप्ताहभर से शांतिपूर्वक ढंग से आंदोलन कर रहे हैं। इस क्रम में छात्रों ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन सौंपा। उन्होंने मांग की कि राजकीय मेडिकल कालेजों में एमबीबीएस का शुल्क कम किया जाए।
जागरण संवाददाता, देहरादून। एमबीबीएस की फीस कम किए जाने की मांग को लेकर छात्रों का आंदोलन जारी है। दून मेडिकल कालेज के 2019 और 2020 बैच के छात्र सप्ताहभर से शांतिपूर्वक ढंग से आंदोलन कर रहे हैं। इस क्रम में छात्रों ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन सौंपा। उन्होंने मांग की है कि राजकीय मेडिकल कालेजों में एमबीबीएस का शुल्क कम किया जाए।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड ही एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां एमबीबीएस के लिए छात्र-छात्राओं को सालाना सवा चार लाख रुपये का शुल्क देना पड़ रहा है। सीएम ने मेडिकल छात्रों को भरोसा दिया कि उनकी मांग पर सकारात्मक कार्रवाई की जाएगी। शुल्क के संर्दभ में विचार-विमर्श किया जा रहा है। उधर, मेडिकल छात्रों का कहना है कि यदि राज्य सरकार जल्द ही इस मामले में निर्णय नहीं लेती है तो वह भूख हड़ताल करने को मजबूर होंगे।
उत्तराखंड में तीन सरकारी मेडिकल कालेज हैं। इन मेडिकल कालेजों में एमबीबीएस की फीस देश के नामी सरकारी मेडिकल कालेजों के मुकाबले चार गुना से भी अधिक है। फीस अधिक होने के कारण छात्र व अभिभावक परेशान हैं। वर्ष 2018 तक तीनों राजकीय मेडिकल कालेजों में बांड व्यवस्था थी, जिसके तहत छात्र रियायती दर पर पढ़ाई कर सकते थे। अब दो साल पहले दून और हल्द्वानी मेडिकल कालेज में बांड व्यवस्था खत्म कर दी गई। छात्रों का कहना है कि बांड व्यवस्था के तहत फीस 50 हजार रुपये सालाना थी। बांड व्यवस्था खत्म होने से अब उन्हें तकरीबन सवा चार लाख रुपये सालाना देने पड़ रहे हैं।
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ऐसे में राज्य के मेधावी और सामान्य घरों के बच्चों के लिए एमबीबीएस की पढ़ाई मुश्किल हो गई है। मेडिकल छात्रों का कहना है कि अन्य राज्यों के सरकारी मेडिकल कालेजों में अधिकतम शुल्क 1.25 लाख तक है। ऐसे में राज्य सरकार यहां भी जल्द फीस कम करे। अगर बांड की व्यवस्था फिर से शुरू हो जाए तो भी उन्हें बड़ी राहत मिलेगी।
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