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प्रवासी परिंदों के कलरव से गुलजार हुआ आसन वेटलैंड, दीदार को पहुंच रहे पर्यटक

देश के पहले कंजरवेशन रिजर्व आसन वेटलैंड प्रवासी पक्षियों से गुलजार है। प्रवासी परिंदे प्रयटकों को भी आकर्षित कर रहे हैं। वहीं पक्षी प्रेमियों के लिए भी यह सुखद अनुभव है।

By BhanuEdited By: Updated: Wed, 06 Nov 2019 08:29 PM (IST)
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प्रवासी परिंदों के कलरव से गुलजार हुआ आसन वेटलैंड, दीदार को पहुंच रहे पर्यटक
देहरादून, राजेश पंवार। देश के पहले कंजरवेशन रिजर्व आसन वेटलैंड प्रवासी पक्षियों से गुलजार है। प्रवासी परिंदे प्रयटकों को भी आकर्षित कर रहे हैं। वहीं, पक्षी प्रेमियों के लिए भी यह सुखद अनुभव है। यहां प्रवास के लिए पहुंच रहे परिंदों की संख्या बढ़कर 2500 हो गई है। 

वर्तमान में आसन वेटलैंड में सुर्खाब, ग्रे लेग गीज, कारमोरेंट, कॉमन पोचार्ड, टफ्ड, गैडवाल, रेड नेप्ड आइबीज, कॉमन कूट, स्पाट बिल्ड डक, पर्पल हेरोन, लिटिल ग्रेब, ग्रे हेरोन, कामन मोरहेन, ग्रेट कारमोरेंट व कॉमन टील प्रजाति के परिंदे प्रवास पर हैं। हालांकि, अक्टूबर का पूरा महीना गुजरने के बाद भी दुर्लभ प्रजाति के पलाश फिश ईगल का जोड़ा यहां नहीं पहुंचा है।

प्लास फिश ईगल का जोड़ा हर साल आसन वेटलैंड पहुंचता है और सेमल के पेड़ पर अपना आशियाना बनाकर रहता है। स बार प्रवास का काफी समय निकलने के बाद भी यह जोड़ा यहां नहीं पहुंचा है। वर्तमान में सबसे अधिक 800 के आसपास रुडी शेलडक यानी सुर्खाब आसन वेटलैंड में डेरा डाल चुके हैं। इससे पूरा क्षेत्र सुनहरा नजर आ रहा है। 

आसन वेटलैंड में अक्टूबर से मार्च तक विदेशी परिंदों का प्रवास रहता है। जैसे-जैसे ठंड बढ़ती है, प्रवासी परिंदों की प्रजाति व संख्या में भी बढ़ोत्तरी होती जाती है। आसन क्षेत्र के रेंजर जवाहर सिंह तोमर के अनुसार आसन झील में प्रवास के लिए 15 प्रजाति के 2500 रिंदे पहुंच चुके हैं। धीरे-धीरे इनकी आमद बढ़ती जा रही है। इसके चलते बर्ड वाचिंग और बोटिंग के लिए यहां पर्यटकों की चहल-कदमी भी बढ़ गई है।

सुरक्षा के लिए बढ़ाई गश्त

चकराता वन प्रभाग के डीएफओ दीप चंद आर्य ने बताया कि मेहमान परिंदों की आमद बढऩे के साथ यहां उनके लिए खतरा भी बढ़ जाता है। इसलिए वनकर्मियों को यहां रात-दिन की गश्त करने के निर्देश दिए गए हैं। 

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वर्षवार आसन वेटलैंड पहुंचे परिंदे

वर्ष-------------------प्रजाति---------------कुल परिंदे 

2019-20-------------15---------------------2500 (अब तक)

2018-19-------------79---------------------6170

2017-18-------------61---------------------6008

2016-17-------------60---------------------4569 

2015-16-------------84---------------------5635

2014-15-------------48---------------------5796

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