उत्तराखंड में प्रवासियों की वापसी सुखद, पर जांच और क्वारंटाइन की खल रही कमी
पलायन का दंश झेल रहे उत्तराखंड में बदली परिस्थितियों में प्रवासियों की वापसी सुखद अहसास कराती है। इसके साथ ही स्वास्थ्य जांच के पुख्ता इंतजाम अनिवार्य रूप से करने होंगे।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Mon, 11 May 2020 08:50 AM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। पलायन का दंश झेल रहे उत्तराखंड में बदली परिस्थितियों में प्रवासियों की वापसी सुखद अहसास कराती है। राज्य के लिए भी और प्रवासियों के लिए भी। सरकार प्रवासियों को लाने के प्रयासों में जुटी है, लेकिन इसके साथ ही स्वास्थ्य जांच के पुख्ता इंतजाम अनिवार्य रूप से करने होंगे। अन्यथा, जिस सेफ जोन में उत्तराखंड है, उस पर खतरे के बादल मंडराते देर नहीं लगेगी। इसकी आहट भी सुनाई देने लगी है। दो दिन में पांच प्रवासियों में कोरोना की पुष्टि हुई है। दूसरे राज्यों से पहुंचे इन लोगों की जांच हुई, मगर उन हजारों लोगों की क्या स्थिति होगी, जिन्हें सीधे घर छोड़ा जा रहा है। ऐसे में न सिर्फ स्वास्थ्य जांच, बल्कि निगरानी व्यवस्था दुरुस्त करने की जरूरत है। इस बीच मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने रविवार को जिला पंचायत अध्यक्षों से दूरभाष पर वार्ता कर कोरोना संक्रमण की रोकथाम के संबंध में फीडबैक लिया।
वर्तमान में 1,87,099 लोगों ने पंजीकरण कराया है। अब तक अन्य राज्यों से 26054 प्रवासी वापस आए हैं, जबकि राज्य के जिलों से ही 20211 लोग गांव लौटे। प्रवासियों के लौटने की प्रक्रिया जारी है, मगर शुरुआती दिनों में ही प्रवासियों के लिए स्वास्थ्य जांच के साथ क्वारंटाइन व निगरानी की व्यवस्था में ढिलाई भी सामने आई है। नीतिगत तौर पर निर्णय हुआ है कि स्वास्थ्य परीक्षण के बाद क्वारंटाइन किया जाएगा। अलबत्ता, ऐसी बातें सामने आ रहीं कि स्वास्थ्य परीक्षण की बजाए लोगों को सीधे गंतव्य तक छोड़ा जा रहा। यह चूक बड़े खतरे का सबब बन सकती है। प्रवासियों को लाने और उनकी निगरानी की व्यवस्था न सिर्फ प्रत्येक स्तर पर करनी होगी, बल्कि नियमित रूप से मॉनीटरिंग भी आवश्यक है।
इस बीच व्यवस्था दुरुस्त करने के मद्देनजर सरकार सक्रिय हुई है। रविवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जिला पंचायत अध्यक्षों से फोन पर बातचीत की। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में दूसरे राज्यों से प्रवासियों को लाया जा रहा है और काफी लाए जा चुके हैं। पूरी प्रक्रिया में सुरक्षा संबंधी स्वास्थ्य मानकों का पालन किया जा रहा है।
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स्क्रीनिंग के बाद ही प्रवासियों को गंतव्य तक पहुंचाए जा रहे। जिन प्रवासियों में कोई संकेत नहीं, उन्हें घरों में क्वारंटाइन रहना है। इसके सख्ती से अनुपालन को ग्राम प्रधानों को अधिकार दिए गए हैं। उन्होंने जिपं अध्यक्षों से आग्रह किया कि वे भी अपने स्तर पर क्वारंटाइन व निगरानी के मामले में सहयोग दें। उन्होंने कहा कि दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासियों को वापस लाना जरूरी है, मगर यह भी सुनिश्चित करना है कि कोरोना संक्रमण न फैलने पाए।
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