Uttarakhand: आसन वेटलैंड से प्रवास खत्म कर अपने देश लौटे प्रवासी परिंदे, आई थी ये 141 प्रजातियां
Uttarakhand अब आसन रामसर साइट में लोकल प्रजातियों के परिंदों का राज हो गया है। आसन नमभूमि में हर साल सेंट्रल एशिया के साइबेरिया आदि ठंडे देशों से परिंदे प्रवास के लिए अक्टूबर माह में आने शुरू हो जाते हैं जो अप्रैल के प्रथम सप्ताह तक प्रवास के लिए रुकते हैं। वैसे फरवरी माह से ही परिंदों के लौटने का क्रम शुरू हो जाता है।
जागरण संवाददाता, विकासनगर। देश के पहले कंजर्वेशन रिजर्व व उत्तराखंड के पहले रामसर साइट आसन वेटलैंड में प्रवास पर आए सभी प्रजातियों के परिंदे अपने मूल स्थान लौट चुके हैं। अब आसन रामसर साइट में लोकल प्रजातियों के परिंदों का राज हो गया है। आसन नमभूमि में हर साल सेंट्रल एशिया के साइबेरिया आदि ठंडे देशों से परिंदे प्रवास के लिए अक्टूबर माह में आने शुरू हो जाते हैं, जो अप्रैल के प्रथम सप्ताह तक प्रवास के लिए रुकते हैं।
वैसे फरवरी माह से ही परिंदों के लौटने का क्रम शुरू हो जाता है। लेकिन, इस बार मौसम ठंडा रहने के कारण मध्य मार्च से परिंदों का प्रवास खत्म कर अपने मूल स्थान लौटने का क्रम शुरू हुआ था। जैसे जैसे गर्मी बढ़ी, परिंदों के लौटने का क्रम तेज हो गया था।
141 प्रजातियों के परिंदे आए थे
इस वर्ष 141 प्रजातियों के 5230 परिंदे आसन रामसर साइट में आए थे। सभी परिंदे अपने मूल स्थान को वापस लौट गए हैं। सबसे अंत में यहां से रुडी शेलडक प्रवास खत्म कर अपने मूल स्थान को लौटे हैं। आसन रेंज के वन दारोगा प्रदीप सक्सेना के अनुसार सभी प्रजातियों के परिंदे लौट चुके हैं।आसन में ये प्रजातियां आई थीं प्रवास पर
इस बार ग्रे लेग गूज, रुडी शेलडक, नार्थन शावलर, गैडवाल, यूरेशियन विजन, इंडिया स्पाट बिल्ड, मलार्ड, नार्दन पिनटेल, ग्रीन विंग्ड टील, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड, कामन पोचार्ड, फेरीजिनस डक, टफ्ड डक, लिटिल ग्रेब, ग्रेट क्रेस्टेड ग्रेब, यूरेशियन मोरहेन, यूरेशियन कूट, गे हेडेड स्वेन, ब्लैक विंग्ड स्टिल्ट, रीवर लैपविंग, रेड वेटल्ड लेपविंग, स्नाइप एसपी, कामन सेंड पाइप के अलावा कामन ग्रीनिश, कामन रेडसन, तिरंगा एसपी, एिशयन ओपन बिल, पेंटेड स्टार्क, लिटिल कारमोरेंट, ग्रेट कारमोरेंट, इंडियन कारमोरेंट, ग्रे हेरोन, इंटरमीडिएट इ ग्रेट, ग्रेट इ ग्रेट, केटल इग्रेट, यूरेशियन मास्क, पलास फिश इगल, कामन किंगफिशर, व्हाइट थ्रोटेड, पाइड किंगफिशर, ग्रे वेग्टैल आदि परिंदे उत्तराखंड के मेहमान बने थे।
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