उत्तराखंड में पंचायत चुनावों के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता 10 वीं पास
उत्तराखंड में अब सिर्फ वे लोग ही पंचायत चुनाव लड़ पाएंगे जिनके दो बच्चे हैं। पंचायत प्रमुखों व सदस्यों के चुनाव लड़ने को शैक्षिक योग्यता भी निर्धारित कर दी गई।
By BhanuEdited By: Updated: Thu, 27 Jun 2019 08:57 AM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। त्रिस्तरीय पंचायतों के मुखिया की कुर्सी का ख्वाब संजो रहे उन लोगों को सरकार ने झटका दे दिया है, जिनकी दो से अधिक संतान हैं। अब सिर्फ वे लोग ही पंचायत चुनाव लड़ पाएंगे, जिनके दो बच्चे हैं। पंचायती राज संशोधन विधेयक से उस छूट को हटा दिया है, जिसमें कहा गया था कि यदि किसी की दो से अधिक संतान हैं और इनमें से एक का जन्म दो बच्चों के प्रावधान के लागू होने के 300 दिन के बाद हुआ हो, वह चुनाव लड़ सकेगा। सरकार ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि चुनाव जीतने के बाद यदि किसी प्रतिनिधि की तीसरी संतान होती है तो उसकी सदस्यता समाप्त हो जाएगी। पंचायत प्रतिनिधियों के लिए शैक्षिक योग्यता के निर्धारण पर भी सदन ने मुहर लगा दी है।
त्रिस्तरीय पंचायतों (ग्राम, क्षेत्र व जिला) के चुनाव में भी दो बच्चों के प्रावधान और शैक्षिक योग्यता के मानक को लागू करने के मद्देनजर मंगलवार को पंचायती राज एक्ट संशोधन विधेयक सदन में पेश किया गया था। विधेयक में दो से अधिक संतानों में से एक का जन्म दो बच्चों का प्रावधान लागू होने की तिथि के 300 दिन के बाद होने से असमंजस की स्थिति थी। आसन्न पंचायत चुनाव में कुछ लोगों को इसका फायदा मिल सकता था, मगर अधिकांश को नहीं। ऐसे में विरोध की आशंका भी थी।
यही नहीं, विधेयक में ये भी स्पष्ट नहीं किया गया था कि चुनाव जीतने के दो या तीसरे साल बाद किसी पंचायत प्रतिनिधि की तीसरी संतान हुई तो क्या वह अयोग्य हो जाएगा। इसी प्रकार शैक्षिक योग्यता के निर्धारण को लेकर भी कुछ प्रश्न उठ रहे थे। तमाम लोगों की राय थी कि पंचायत प्रतिनिधि के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता हाईस्कूल व आठवीं पास होनी चाहिए।
सदन में यह विधेयक पेश होने के बाद से इन दो बिंदुओं को लेकर उठ रहे किंतु-परंतु पर सरकार ने विधिक राय ली। बुधवार को इन पर विधायक केदार सिंह रावत ने संशोधन प्रस्ताव रखे, जिन्हें स्वीकार कर लिया गया। इसके बाद संशोधन विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।
विधेयक के मुताबिक अब केवल दो बच्चों वाले लोग ही त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव लड़ सकेंगे। शैक्षिक योग्यता के प्रावधान में किए गए संशोधन के मुताबिक अब पंचायत प्रमुखों व सदस्यों के लिए सामान्य श्रेणी के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता हाईस्कूल या समकक्ष परीक्षा उत्तीर्ण होगी। सामान्य श्रेणी की महिला, अनुसूचित जाति, जनजाति के उम्मीदवारों के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता आठवीं पास रखी गई है। ओबीसी को शैक्षिक योग्यता के मामले में सामान्य श्रेणी के अंतर्गत रखा जाएगा।
सरकार ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि किसी व्यक्ति के पंचायत प्रतिनिधि चुने के बाद यदि उसकी तीसरी संतान होती है तो उसकी सदस्यता रद मानी जाएगी। कार्यकारी संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने बताया कि पंचायत प्रतिनिधि रहते तीसरी संतान का होना एक्ट के उल्लंघन के दायरे में आएगा। लिहाज संबंधित व्यक्ति अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा। यह भी जानकारी दी कि शैक्षिक योग्यता के निर्धारण के बारे में विधिक राय के बाद ही संशोधन किया गया। उन्होंने बताया कि आने वाले पंचायत चुनावों से ही इन नई व्यवस्थाओं को लागू कर दिया जाएगा। पंचायत प्रमुखों के पदों पर अनुसूचित जाति, जनजाति व पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण के प्रावधान समेत पूर्ववर्ती एक्ट की कुछ त्रुटियों को दूर कर संशोधन किए गए हैं।
एक बच्चे के बाद जुड़वा होने पर नहीं लगेगी रोकप्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में उन लोगों पर दो बच्चों का प्रावधान लागू नहीं होगा, जिनके एक बच्चे के बाद जुड़वा बच्चे होंगे। हालांकि, ऐसे मामलों में बच्चों की संख्या तीन हो जाएगी, लेकिन अधिनियम में इसे दो की श्रेणी में रखा जाएगा। पंचायती राज एक्ट संशोधन विधेयक अब यह प्रावधान किया गया है कि दो से अधिक बच्चों वाले लोग त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। हालांकि, इसमें पहले बच्चे के बाद दूसरे बच्चे के जुड़वा होने के मामले में इस प्रावधान से छूट दी गई है।
नगर निकाय चुनाव में भी ये व्यवस्था लागू है। कार्यकारी संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक के मुताबिक यदि किसी व्यक्ति का एक बच्चा है और उसका दूसरा बच्चा जुड़वा हुआ तो वह पंचायत चुनाव लड़ सकता है। अलबत्ता, पहले से जुड़वा बच्चे हैं और तीसरा बच्चा भी पैदा होता है तो संबंधित व्यक्ति चुनाव के लिए अयोग्य होगा। ईवीएम का भी प्रावधान संशोधन त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में बैलेट पेपर के साथ ही इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के जरिये मतदान के विकल्प को भी शामिल कर लिया गया है।
पहले सिर्फ बैलेट पेपर से ही चुनाव का प्रावधान एक्ट में था। संसदीय कार्यमंत्री के मुताबिक चुनाव बैलेट पर कराने हैं या ईवीएम पर ये फैसला लेने का काम राज्य निर्वाचन आयोग का है। एक जैसी संस्थाओं में दो तरह के प्रावधान एक जैसी संस्थाएं और उनके लिए दो तरह के प्रावधान। राज्य में त्रिस्तरीय नगर निकायों और पंचायतों में चुनाव लड़ने की योग्यता में दो बच्चों के प्रावधान को लेकर स्थिति कुछ ऐसी ही है। नगर निकाय एक्ट में प्रावधान है कि यदि किसी व्यक्ति की दो से अधिक जीवित संतान हैं और इनमें से एक का जन्म एक्ट की इस धारा के लागू होने की तिथि से 300 दिन के बाद हुआ हो, वह चुनाव लड़ सकता है।
अलबत्ता, त्रिस्तरीय पंचायतों में यह प्रावधान खत्म कर यह स्पष्ट कर दिया गया है कि दो से अधिक बच्चों वाला व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ पाएगा। सूरतेहाल सवाल उठ रहा कि एक जैसी संस्थाओं के लिए ऐसी दो तरह की व्यवस्थाएं क्यों। हालांकि, कार्यकारी संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक के मुताबिक इस बारे में न्याय विभाग से राय ली गई थी। उन्होंने कहा कि ऐसा करने में कोई समस्या नहीं है। दो तरह के प्रावधान हो सकते हैं।
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