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आखिर नौकरशाही से बार-बार क्यों उखड़ रहे मंत्री, सीआर लिखने के बहाने सतह पर आया असंतोष

उत्तराखंड में सरकार सबकुछ ठीक होने का दावा कर रही हो लेकिन अंदरखाने मंत्रियों की नाराजगी कुछ और ही तस्वीर बयां कर रही है। अधिकारियों की सीआर लिखने पर जोर देने के बहाने उन्होंने नौकरशाही को एक बार फिर निशाने पर लिया।

By Raksha PanthariEdited By: Updated: Sun, 27 Sep 2020 07:44 AM (IST)
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सीआर लिखने के बहाने सतह पर आया मंत्रियों का असंतोष।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। सरकार भले ही सबकुछ ठीकठाक होने का दावा करे, लेकिन अंदरखाने मंत्रियों की नाराजगी कुछ और ही तस्वीर बयां कर रही है। अधिकारियों की सीआर लिखने पर जोर देने के बहाने उन्होंने नौकरशाही को एक बार फिर निशाने पर लिया। इस मामले में राज्यमंत्री रेखा आर्य के मुखर होने के बाद अन्य मंत्रियों की नाराजगी सामने आने से पार्टी संगठन उनके साथ खड़ा हो चुका है। ऐसे में सरकार को भी नए सिरे से सोचने को मजबूर होना पड़ सकता है। 

अगला विधानसभा चुनाव होने में सिर्फ डेढ़ वर्ष बचा है। सरकार का अहम हिस्सा उसके मंत्री ही नौकरशाही को लेकर असहज हैं। मंत्रियों और नौकरशाही के बीच रस्साकसी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। सत्तापक्ष के विधायक ही जिलों और अपने विधानसभा क्षेत्रों में अपनी उपेक्षा का मुद्दा उठाते रहे हैं। अब सरकार का ही अहम हिस्सा माने जाने वाले मंत्री ही अधिकारियों के खिलाफ खुलकर असंतोष जताने से नहीं चूके रहे। नौकरशाही पर अंकुश लगाने के लिए मंत्री अब सीआर की ताकत के इस्तेमाल को लेकर सिर्फ मूकदर्शक बने रहने को तैयार नहीं हैं।

विभागाध्यक्ष ने नहीं दिया था मंत्री को न्योता 

दरअसल मंत्रियों को अधीनस्थ सचिव समेत अन्य अधिकारियों की सीआर लिखने का अधिकार मिला तो है, लेकिन इसका दायरा केवल समीक्षा करने तक सिमटा हुआ है। इस पर अंतिम फैसला चूंकि मुख्यमंत्री के हाथ में है, इसलिए नौकरशाही विभाग के मुखिया होने के बावजूद मंत्री के निर्देशों को सीमित तरीके से तवज्जो दे रही है। अधिकारियों के बुलंद हौसले के असहाय महसूस कर रहे मंत्री अपने असंतोष का गुबार किसी न किसी तरह से निकालते रहे हैं। बीते दिनों वन मंत्री और वन विभाग के मुखिया के बीच लंबे अरसे से तनातनी सुर्खियां बन चुकी है। विभाग के कार्यक्रम में ही विभागीय मंत्री को न्योता देने की जरूरत तक नहीं समझी गई। 

वरिष्ठ आइएएस से हो चुकी है तनातनी

पंचायतीराज, खेल, युवा कल्याण व शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय अपने गृह क्षेत्र में तैनात अधिकारियों के खिलाफ आवाज बुलंद कर चुके हैं। महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रेखा आर्य के विभागीय निदेशक वी षणमुगम के साथ ताजा विवाद से पहले इसी विभाग में तैनात वरिष्ठ आइएएस राधा रतूड़ी के साथ तनातनी हो चुकी है। 

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अधिकारों की पैरवी में उतरे महाराज-उनियाल

अहम बात ये है कि पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के साथ ही कृषि मंत्री सुबोध उनियाल भी नौकरशाही को काबू में रखने के लिए सीआर लिखने का अधिकार अनिवार्य रूप से मिलने की पैरवी में उतर पड़े। इससे पहले सरकार के प्रवक्ता व कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक भी समीक्षा बैठक में अधिकारियों की गैर मौजूदगी को लेकर अपनी नाराजगी छिपा नहीं पाए थे। ये हाल तब है, जब सरकार नौकरशाहों को जनप्रतिनिधियों, विधायकों व मंत्रियों को सम्मान देने के बारे में बकायदा दिशा-निर्देश जारी कर चुकी है।

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