Move to Jagran APP

PM के उत्तराखंड प्रेम को देख कांग्रेस ने बदली रणनीति, हरीश रणनीतिकार तो देवेंद्र लगाएंगे नैया पार

प्रदेश में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत प्रमुख रणनीतिकार के रूप में नजर आएंगे।

By Raksha PanthariEdited By: Updated: Sun, 13 Sep 2020 07:26 AM (IST)
Hero Image
PM के उत्तराखंड प्रेम को देख कांग्रेस ने बदली रणनीति, हरीश रणनीतिकार तो देवेंद्र लगाएंगे नैया पार
देहरादून, रविंद्र बड़थ्वाल। उत्तराखंड में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत प्रमुख रणनीतिकार के रूप में नजर आएंगे। राष्ट्रीय राजनीति में रावत का कद बढ़ाने के साथ कांग्रेस कार्यसमिति में जगह बरकरार रख हाईकमान ने ये संकेत दिए हैं। नए प्रभारी की नियुक्ति प्रदेश में कांग्रेस की सियासत में बड़े उलटफेर के रूप में सामने आई है। राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनाने और फिर उसे बचाने में अहम भूमिका निभा चुके देवेंद्र यादव उत्तराखंड में पार्टी की नैया पार लगाने में अहम भूमिका में होंगे। 

रावत पर हाईकमान का भरोसा

राष्ट्रीय राजनीति में उत्तराखंड को मिली अहमियत के साथ प्रदेश में प्रभारी बदलकर पार्टी ने बहुत कुछ स्पष्ट कर दिया है। प्रदेश में होने वाले अगले विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस हाईकमान बेहद गंभीर है। उत्तराखंड को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रुख को भी इसकी बड़ी वजह माना जा रहा है। कांग्रेस हाईकमान ने इसे ध्यान में रखकर नई सियासी बिसात बिछाई है। पूर्व मुख्यमत्री हरीश रावत की सियासी कुव्वत और सूझबूझ पर हाईकमान ने भरोसा बनाए रखा है। इसका नतीजा पार्टी की राष्ट्रीय राजनीति में उनका कद बढऩे के रूप में सामने आया है। 

रावत के लिए कई मोर्चों पर चुनौती

पंजाब जैसे राज्य का प्रभार हरीश रावत को सौंपकर उन्हें कई मोर्चे साधने का मौका दिया गया है। उत्तराखंड और पंजाब में विधानसभा चुनाव तकरीबन साथ होने हैं। ऐसे में पंजाब के साथ गृह राज्य उत्तराखंड को पर्याप्त समय देने की चुनौती उनके सामने रहने वाली है। इससे पहले असम के प्रभारी रह चुके रावत के लिए राहत की बात ये है कि पंजाब अपेक्षाकृत नजदीकी राज्य है। पंजाब में प्रवासी उत्तराखंडियों की संख्या अच्छी-खासी है। रावत के अनुभव का फायदा पंजाब को मिलेगा। वहीं पंजाब के माध्यम से उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर जिले समेत अन्य क्षेत्रों को भी साधने की तैयारी है। 

प्रदेश में कांग्रेस की सियासत नए अंदाज में सामने आएगी या पारंपरिक तरीके से घिसटती दिखेगी, आने वाले दिनों में इस लिहाज से निर्णायक रहेंगे। प्रदेश प्रभारी बदलने के पीछे इस रणनीति को अहम माना जा रहा है। देवेंद्र यादव ने राजस्थान में कांग्रेस की सत्ता में वापसी सुनिश्चित की थी। इसके लिए राजस्थान प्रभारी के रूप में दिग्गज अशोक गहलौत के साथ ही युवा चेहरे सचिन पायलट को साधने में अहम भूमिका निभाई थी। 

यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में बेरोजगारी के मुद्दे को लेकर कांग्रेस का हल्ला बोल, कहा- कुंभकर्णी नीद में सोई है सरकार

देवेंद्र यादव की अग्नि परीक्षा

माना जा रहा है देवेंद्र यादव अपने इसी कौशल को उत्तराखंड में दोहराने की कोशिश कर सकते हैं। प्रदेश के दिग्गज नेता हरीश रावत खेमे और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश की जोड़ी के बीच तालमेल बिठाना मुश्किल साबित हुआ है। प्रदेश प्रभारी रहते हुए अनुग्रह नारायण सिंह यह कौशल नहीं दिखा सके थे। उनकी हरीश रावत के साथ कभी पटरी नहीं बैठी। प्रभारी को बदलकर पार्टी ने उत्तराखंड को लेकर अपनी प्राथमिकता जाहिर कर दी है। विधानसभा चुनाव की अग्नि परीक्षा में कामयाबी के लिए पार्टी सभी को एकजुट रखने की रणनीति पर ज्यादा जोर देने जा रही है। हरीश रावत भी बीते दिनों प्रदेश संगठन के साथ सुर मिलाकर यह भाव प्रदर्शित कर चुके हैं।

यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में जल्द ही किया जाएगा मंत्रिमंडल विस्तार : मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत 

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।