बाघों पर मंडरा रहा खतरा, 20 माह में 15 से अधिक मौत
विश्व प्रसिद्ध कार्बेट नेशनल पार्क में बाघों पर खतरा मंडरा रहा है। कार्बेट और उसके आसपास के क्षेत्रों में पिछले 20 माह की अवधि में 15 से अधिक बाघों की मौत हुई।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Tue, 28 Aug 2018 10:05 AM (IST)
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: विश्व प्रसिद्ध कार्बेट नेशनल पार्क में बाघों पर मंडरा रहे खतरे के बीच अब यह सवाल भी उठने लगा है कि कहीं वहां फूड चेन तो पर तो असर नहीं पड़ा है। कार्बेट व उसके आसपास के क्षेत्रों में एक के बाद एक हुई बाघों की मौत से इस आशंका को बल मिला है। हालांकि, विभागीय अधिकारियों ने बाघों की मौत को प्राकृतिक माना, लेकिन चिंता अपनी जगह बरकरार है। इसे देखते हुए वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत ने इसकी जांच पड़ताल कराने के निर्देश दिए थे। इस दिशा में प्रभावी पहल का अभी इंतजार है।
कार्बेट और उसके आसपास के क्षेत्रों में पिछले 20 माह की अवधि में 15 से अधिक बाघों की मौत हुई। इनमें सबसे अधिक नौ मौतें कार्बेट में हुई। सूरतेहाल प्रश्न उठने लगा है कि जिस हिसाब से कार्बेट में बाघों की संख्या में इजाफा हुआ है, उसके हिसाब से जंगल में उनके लिए भोजन, पानी की व्यवस्था है या नहीं। कहीं ऐसा तो नहीं कि फूड चेन गड़बड़ा गई हो। ये भी बात उठ रही कि कहीं कोई बीमारी अथवा वायरस ने तो यहां हमला नहीं बोला है।
ऐसे एक नहीं अनेक सवाल उठ रहे हैं। इस लिहाज से बाघों को महफूज रखने के मद्देनजर चिंता अधिक गहराने लगी है। हालांकि, विभागीय अधिकारियों की ओर से बाघों की मौत के पीछे प्राकृतिक मौत, आपसी संघर्ष, हादसे जैसे कारण गिनाए जा रहे हैं, मगर यह प्रश्न अनुत्तरित है कि कार्बेट में ऐसा क्या हो गया कि वहां एक के बाद एक बाघ मर रहे हैं।
जानकारों के मुताबिक राज्य ने बाघ तो निश्चित रूप से बढ़ा लिए हैं, मगर यह देखा जाना चाहिए कि उनके लिए वासस्थल अनुकूल है अथवा नहीं। फिर यह जंगल का सिद्धांत भी है कि जो शक्तिशाली होगा, वहीं इलाके पर राज करेगा। जो कमजोर होगा, उसे संघर्ष में या तो जान गंवानी पड़ेगी या फिर क्षेत्र बदलना होगा। कहीं ऐसा तो नहीं कि कार्बेट व उसके आसपास के क्षेत्र में हुई बाघों की मौत के मामले में भी ऐसा हो, इस पहलू पर भी गहन अध्ययन की जरूरत है।
इस सबको देखते हुए ही पूर्व में वन एवं पर्यावरण मंत्री ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि बाघों की मौत के कारणों की गहनता से जांच पड़ताल करा ली जाए। इस बिंदु पर अभी कार्रवाई का इंतजार है।
कार्बेट रिजर्व से बाहर होंगे वन गूजर
हाईकोर्ट के आदेश के बाद विश्व प्रसिद्ध कार्बेट टाइगर रिजर्व से वन गूजरों को हटाने की दिशा में अब राज्य सरकार सक्रिय हो गई है। कैबिनेट ने कार्बेट में डेरा डाले 57 वन गूजर परिवारों के विस्थापन के मद्देनजर वन एवं पर्यावरण मंत्री की अध्यक्षता में कमेटी के गठन को मंजूरी दी है। सरकार ने भले ही कार्बेट व राजाजी टाइगर रिजर्व में डेरा डाले वन गूजरों को अन्यत्र विस्थापित करने की ठानी हो, लेकिन यह पहल अभी तक पूरी तरह परवान नहीं चढ़ पाई है। कार्बेट टाइगर रिजर्व की ही बात करें तो इसकी विभिन्न रेंजों में 33 परमिटधारी वन गूजर डेरा डाले हैं, जिनके परिवारों की संख्या 57 है। इनका अभी तक इनका विस्थापन न होने से जहां वन्यजीवों के स्वछंद विचरण में खलल पड़ रहा है, वहीं अन्य समस्याएं भी सामने आ रही हैं। इसे देखते हुए हाल में नैनीताल हाइकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया था। इसके बाद सरकार में भी हलचल हुई और अब इस दिशा में कवायद प्रारंभ कर दी गई है।
कार्बेट से गूजर परिवारों के विस्थापन के लिए वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई है, जिसमें कृषि मंत्री सुबोध उनियाल व मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह भी शामिल हैं। वन गूजर परिवारों का विस्थापन कैसे और कहां किया जाना है, इसके लिए कमेटी सभी पहलुओं पर विचार कर रूपरेखा तैयार करेगी।यह भी पढ़ें: कार्बेट नेशनल पार्क में सुरक्षा पर खड़े अनुत्तरित सवाल
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