उत्तराखंड: बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं का एक और सच सामने, पांच साल तक के इतने फीसद बच्चे एनीमिया से ग्रसित
राज्य में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं का एक और सच सामने आया है। राज्य में पांच साल तक के 59.8 प्रतिशत बच्चे एनीमिया से ग्रसित हैं जबकि 42.4 प्रतिशत गर्भवती और 50.1 प्रतिशत धात्री माताएं भी एनीमिया से प्रभावित हैं।
By Raksha PanthriEdited By: Updated: Mon, 20 Sep 2021 08:58 PM (IST)
जागरण संवाददाता, देहरादून। उत्तराखंड की बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं का एक और सच सामने आया है। राज्य में पांच साल तक के 59.8 प्रतिशत बच्चे एनीमिया से ग्रसित हैं, जबकि 42.4 प्रतिशत गर्भवती और 50.1 प्रतिशत धात्री माताएं भी एनीमिया से प्रभावित हैं। वहीं, 15-19 आयु वर्ग में 20 प्रतिशत किशोर व 42.4 प्रतिशत किशोरियां एनीमिया से पीड़ित पाई गई हैं।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उत्तराखंड ने एनीमिया मुक्त उत्तराखंड अभियान के तहत स्वास्थ्य महानिदेशालय में एनिमिया की जांच, उपचार और बचाव पर आधारित टेस्ट, ट्रीट एंड टाक (टी-3) शिविर का आयोजन किया। मिशन निदेशक सोनिका ने शिविर की शुरुआत करते कहा कि बच्चों व गर्भवती महिलाओं में कुपोषण एक गंभीर चुनौती बन गया है। हम सभी के लिए एनीमिया के स्तर को कम करने और पोषण पर विशेष देना अनिवार्य हो गया है। उन्होंने कहा कि किशोरावस्था के दौरान विशेषतौर पर माता-पिता को अपने बच्चों में एनीमिया के स्तर को देखना होगा, तभी एक स्वस्थ समाज बनेगा। बच्चों में पोषण के लिए खानपान को विशेष तौर पर प्राथमिकता देने की आवश्यकता हैं। उन्होंने बताया कि एनीमिया मुक्त उत्तराखंड अभियान के तहत पांच साल तक के बच्चों के लिए एएनएम, आशा व आगनबाड़ी के माध्यम से आइएफए सिरप वितरित की जा रही है। इसके अतिरिक्त आइएफए टेबलेट भी उपलब्ध कराई गई है।
एनएचएम निदेशक डा. सरोज मैथानी ने बताया कि इस प्रकार के टी-3 शिविर सितंबर एवं आने वाले महीनों के दौरान राज्य के सभी जनपदों में आयोजित किए जाएंगे। जिला एवं ब्लाक स्तरीय अधिकारियों को टी-3 शिविरों के आयोजन प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके अतिरिक्त डिजिटल हिमोग्लोबिनोमीटर भी क्रय किए जा रहे हैं। जिन्हें सभी एएनएम, आरबीएसके टीम और अस्पतालों के लेबर रूम में उपलब्ध कराया जाएगा। ये सैंपल लेने के मात्र 25 सेकेंड में हिमोग्लोबिन की जांच रिपोर्ट देता है।
इस शिविर में महानिदेशालय और एनएचएम के 272 कर्मचारियों एवं अधिकारियों की हिमोग्लोबिन जांच की गई, जिसमें 13.6 प्रतिशित व्यक्ति एनीमिया ग्रसित पाए गए। इनमें 12 पुरुष और 25 महिलाएं शामिल हैं। सभी को खानपान को ठीक करने की सलाह के साथ ही आइएफए की गोलियां भी वितरित की गई।
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