प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल के बरामदे में हो रहा डेंगू के मरीजों का उपचार
प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बरामदे में डेंगू के मरीजों का उपचार हो रहा है। यहां अब प्रशासन चेता और मरीजों के बेड में मच्छरदानी लगा दी गई।
By BhanuEdited By: Updated: Fri, 30 Aug 2019 08:43 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बरामदे में भर्ती डेंगू के मरीजों ने आखिर राहत की सांस ली है। वह यहां डेंगू के साथ ही अव्यवस्था का मर्ज झेल रहे थे। बहरहाल अब अस्पताल प्रशासन ने व्यवस्था सुधार दी है। न केवल बेड पर मच्छरदानी लगा दी गई है बल्कि अन्य बंदोबस्त भी किए जा रहे हैं।
दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में डेंगू के इलाज में बदइंतजामी को लेकर दैनिक जागरण ने खबर प्रकाशित की थी। जिसके बाद बरामदे में लगाए गए डेंगू के मरीजों के बेड पर मच्छरदानी लगा दी गई है। बता दें, अस्पताल में मरीजों के लिए बरामदे में 10 बेड लगाए गए थे, जहां डेंगू के मरीजों का इलाज खुले में हो रहा था। इनमें तीन माह का एक मासूम भी शामिल है। बरामदे में बिना किसी एहतियात इलाज करने को लेकर सिस्टम पर सवाल खड़े होने लगे थे।
इसके बाद अस्पताल प्रशासन चेता और बेड पर मच्छरदानी लगवा दी। इसके अलावा बरामदे में ही पंखे लगाने का काम भी शुरू कर दिया है। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि उपलब्ध संसाधनों के अनुसार डेंगू के मरीजों को बेहतर उपचार मुहैया कराने का प्रयास किया जा रहा है।
एडीज मच्छर से दो-दो हाथ करने 21 टीमें मैदान में
डेंगू के विकराल होते स्वरूप को देख स्वास्थ्य महकमा हलकान है। डेंगू की बीमारी की रोकथाम व बचाव के लिए विभागीय स्तर से कदम तो उठाए जा रहे हैं, लेकिन डेंगू के मच्छर के आगे सभी तैयारियां नाकाफी साबित हो रही हैं। जिस पर अब स्वास्थ्य विभाग ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। डेंगू पीड़ितों के लिए प्रदेश में पांच प्रमुख अस्पतालों में निश्शुल्क एलाइजा जांच की व्यवस्था शुरू की गई है।
स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. आरके पांडेय अब स्वयं डेंगू की रोकथाम के लिए किए जा रहे कार्यों की मॉनीटरिंग कर रहे हैं। खास बात यह कि डेंगू के मच्छर की सक्रियता कम करने के लिए स्वास्थ्य विभाग की 21 टीमें मैदान में उतर गई हैं। इनमें शामिल 169 विभागीय अधिकारी व कर्मचारी घर-घर जाकर मच्छर के लार्वा का सर्वे कर रहे हैं।
डेंगू के मामलों की नियमित समीक्षा के दौरान स्वास्थ्य महानिदेशक ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा सभी बड़े चिकित्सालयों को डेंगू के मरीजों के उपचार को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के निर्देश दिए हैं। अस्पतालों के प्रमुख अधीक्षकों को निर्देश दिए गए हैं कि मरीजों की संख्या में वृद्धि को देखते हुए अतिरिक्त बेड की व्यवस्था की जाए। स्पष्ट किया गया है कि कोई भी मरीज बेड उपलब्ध नहीं होने के कारण अस्पताल से बिना उपचार वापस नहीं लौटना चाहिए।
200 घरों में मिला डेंगू का लार्वा
दून जिले में लगातार बढ़ती डेंगू मरीजों की संख्या ने स्वास्थ्य विभाग के अफसरों की पेशानी पर बल ला दिए हैं। भले विभाग दावा कर रहा है कि हालात काबू में हैं, लेकिन धरातल पर ऐसा नहीं है। रोजाना डेंगू के दर्जनों नए मामले आ रहे हैं। इधर, गुरुवार को देहरादून के विभिन्न क्षेत्रों में चार हजार घरों का सर्वेक्षण किया गया। इनमें से 200 घरों में डेंगू का लार्वा भी मिला। सर्वेक्षण में नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी भी उपस्थित रहे, उन्होंने सात घरों का चालान भी किया।नुक्कड़-नाटक से किया जागरूक एनएचएम एवं दून मेडिकल कॉलेज की पहल पर मेडिकल छात्र-छात्राओं को डेंगू केप्रति जागरूक करने के लिए नुक्कड़ नाटक किया। उन्होंने लोगों को बताया कि घरों में एकत्रित पानी में ही डेंगू मच्छर का लार्वा पनप रहा है। जानकारी के अभाव में वे स्वयं डेंगू फैलाने का कार्य कर रहे हैं। मेडिकल कॉलेज की टीम के साथ उपस्थित नोडल अधिकारी डॉ. पंकज कुमार सिंह ने बताया कि वह इस प्रकार के नाटकों स्कूली छात्र-छात्राओं को भी दिखा रहे हैं।होम्योपैथिक दवा के लिए मारामारीहोमियोपैथिक निदेशक डॉ. राजेंद्र सिंह के निर्देशानुसार जिला होम्योपैथिक चिकित्साधिकारी डॉ. जेएल फिरमाल की ओर से सचिवालय परिसर में डेंगू बचाव के लिए निश्शुल्क चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें लगभग 2200 लोगों को डेंगू रोधी दवा वितरित की गई। डॉ. राजेंद्र सिंह द्वारा डेंगू निवारण की होम्योपैथिक दवा लोगों के जीभ पर डालकर शुरुआत की। रजिस्ट्रार डॉ. शैलेंद्र पांडेय ने भी लोगों को दवा पिलाई।1600 कार्मिकों को डेंगूरोधी दवा वितरित कीसचिवालय संघ के आह्वान पर सचिवालय में निदेशक होम्योपैथिक चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाओं द्वारा एक डेंगू रोधी चिकित्सा शिविर लगाया गया। इस शिविर में 1600 कार्मिकों को दवा वितरित की गई।सचिवालय में आयोजित इस शिविर में डेंगू से बचाव को दवा पिलाने के साथ ही इसकी रोकथाम के उपायों की भी जानकारी दी गई। शिविर में निदेशक होम्योपैथिक चिकित्सा डॉ. राजेंद्र सिंह, जिला होम्योपैथ अधिकारी डॉ. जेएल फिरमाल, डॉ. सुनील डिमरी, डॉ. विनोद शर्मा, डॉ. शैलेंद्र पांडेय, डॉ. शिवानी भंडारी के अलावा संघ के महासचिव राकेश जोशी आदि उपस्थित थे। ई-औषधि पोर्टल पर होगी खरीदी गई दवाओं की पूरी जानकारीस्वास्थ्य विभाग में दवाओं की खरीद का पूरा ब्योरा अब ई-औषधि पोर्टल पर उपलब्ध रहेगा। सभी संबंधित अधिकारी इस पोर्टल के जरिये दवाओं की उपलब्धता देख सकेंगे और दवा कम होने पर दवा क्रय की प्रक्रिया कर सकेंगे। दवा क्रय करने के लिए कंपनियों से दो वर्ष का अनुबंध किया जाएगा। इसके बाद नए सिरे से टेंडर किया जाएगा।यह भी पढ़ें: डेंगू से हारा सिस्टम, उस पर संविदा कर्मियों ने भी ललकाराहाल ही में कैबिनेट ने संशोधित दवा खरीद नीति को मंजूरी दी गई है। इस नीति में यह स्पष्ट किया गया है कि दवा खरीद के संबंध में समस्त सूचना उच्चाधिकारियों को देने के बाद इसकी खरीद की जाएगी। इस खरीद की समस्त जानकारी ई-औषधि पोर्टल पर रहेगी। हर वर्ष दवा की खरीद बीते वर्ष खरीदी गई दवा के आधार पर की जाएगी। यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में नहीं थम रहा डेंगू, मच्छर के दम से स्वास्थ्य महकमा हुआ बेदमटेंडर में दवा क्रय के लिए चिह्नित कंपनी की दर दो वर्ष तक अनुमन्य होगी। दवा खरीद के बजट की 70 फीसद धनराशि महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा और 30 प्रतिशत धनराशि का निस्तारण जिला स्तर पर चिह्नित अधिकारी कर सकेंगे। दो बार निविदा करने के बाद यदि किसी दवा, सर्जिकल सामाजन, एक्स रे फिल्म समेत अन्य सामग्री की आपूर्ति के लिए कोई कंपनी सामने नहीं आती तो इनका क्रय एम्स की निर्धारित दरों के अनुसार किया जा सकेगा। नीति में यह भी स्पष्ट किया गया है कि इनका क्रय ख्याति प्राप्त औषधि निर्माताओं से ही की जाएगी।यह भी पढ़ें: डेंगू शॉक सिंड्रोम की जद में आए मरीजों को जान का खतरा Dehradun News
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