Move to Jagran APP

गांव लौटने वालों में सर्वाधिक प्राइवेट नौकरी वाले, पलायन आयोग की रिपोर्ट में सामने आई बात

कोरोना की दूसरी लहर के बाद गांवों में लौटने वाले प्रवासियों में 39.4 फीसद ऐसे हैं जो देश के विभिन्न शहरों में निजी कंपनियों अथवा आतिथ्य क्षेत्र में कार्यरत थे। ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग की ओर से सरकार को सौंपी गई अध्ययन रिपोर्ट में यह बात सामने आई।

By Raksha PanthriEdited By: Updated: Sat, 05 Jun 2021 06:35 AM (IST)
Hero Image
गांव लौटने वालों में सर्वाधिक प्राइवेट नौकरी वाले।
केदार दत्त, देहरादून। कोरोना की दूसरी लहर के बाद उत्तराखंड के गांवों में लौटने वाले प्रवासियों में 39.4 फीसद ऐसे हैं, जो देश के विभिन्न शहरों में निजी कंपनियों अथवा आतिथ्य क्षेत्र में कार्यरत थे। ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग की ओर से सरकार को सौंपी गई अध्ययन रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। पलायन से सर्वाधिक प्रभावित पौड़ी व अल्मोड़ा जिलों में ही सबसे ज्यादा प्रवासी लौटे हैं। आयोग ने प्रवासियों को गांवों में ही थामे रखने के मद्देनजर कृषि, बागवानी, पशुपालन, पर्यटन व स्वरोजगार पर खास फोकस करने का सुझाव दिया है। इसके लिए विभागों की योजनाओं में वर्तमान परिस्थितियों के हिसाब से बदलाव पर भी जोर दिया गया है।

पिछले साल कोरोना संक्रमण की पहली लहर के बाद सितंबर तक प्रदेश के गांवों में 357536 प्रवासी वापस लौटे थे। हालांकि, परिस्थितियां सुधरने पर इनमें से करीब आधे फिर पलायन कर गए। अब कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर तेज होने पर अप्रैल से प्रवासियों की वापसी का क्रम शुरू हुआ है। पलायन आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल से पांच मई तक विभिन्न राज्यों से ग्रामीण अंचलों में 53092 प्रवासी वापस लौटे। इनमें 39.4 फीसद निजी कंपनियों में नौकरी व आतिथ्य क्षेत्र, 12.9 फीसद विद्यार्थी, 12.1 फीसद गृहणी, 11.1 फीसद श्रमिक, 5.4 फीसद बेरोजगार, 4.0 फीसद स्वरोजगार और 3.3 फीसद तकनीकी क्षेत्र से जुड़े थे।

आयोग ने प्रवासियों को गांवों में ही रोके रखने के लिए उनके आर्थिक पुनर्वास के लिए विशेष कार्यक्रम संचालित करने का सुझाव दिया है। साथ ही कहा है कि इससे पर्वतीय जिलों में ग्रामीण विकास सुदृढ़ होने के साथ ही सामाजिक एवं आर्थिक परिस्थितियां सुधरेंगी। इस प्रक्रिया से ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका के अवसर उपलब्ध तो होंगे ही, मूलभूत सुविधाओं में भी इजाफा होगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि गांव लौटे प्रवासी आतिथ्य एवं अन्य सेवा क्षेत्र में काफी अनुभवी हैं। इनका लाभ होम स्टे, ईको टूरिज्म, साहसिक पर्यटन समेत अन्य क्षेत्रों में मिल सकता है। इससे वे अनुभव के आधार पर अपने जिले में ही रहकर आजीविका के अवसर सृजित कर सकते हैं। इसके साथ ही राज्य, जिला, तहसील व ब्लाक स्तर पर प्रवासियों की मदद के लिए विशेष प्रकोष्ठ बनाने का सुझाव दिया गया है। यह प्रकोष्ठ और पलायन आयोग के साथ प्रवासियों के पुनर्वास से संबंधित कार्यों का समन्वय भी करेगी।

आयोग ने रिपोर्ट में कहा है कि प्रवासियों से व्यक्तिगत रूप से संपर्क कर उनके अनुभव, रुचि व आवश्यकताओं के बारे में जानकारी ली जानी आवश्यक है। इसके आधार पर संबंधित व्यक्ति अथवा समूह के लिए रणनीति बनाई जानी चाहिए। इसके अलावा आतिथ्य क्षेत्र, ईको टूरिज्म, लघु उद्यम आदि के लिए ब्याजमुक्त ऋण, सब्सिडी, सस्ती दर पर बिजली की उपलब्धता, वीर चंद्र सिंह गढ़वाली स्वरोजगार योजना, एमएसएमई, रोजगार सृजन योजना जैसी योजनाओं में अतिरिक्त बजट का प्रविधान करना आवश्यक है। उधर, पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डा.एसएस नेगी ने सरकार को रिपोर्ट सौंपे जाने की पुष्टि की।

जिलों में कहां से लौटे प्रवासी

जिला------जिले की सीमा के अंदर, अन्य जिले, बाहरी राज्य, विदेश

अल्मोड़ा----130----------------------4565------10155---------00

पौड़ी---------357-----------------------1949------7167---------00

टिहरी--------101-----------------------2506------5411---------69

चम्पावत-----350----------------------1890-------2420--------53

बागेश्वर------212----------------------1885-------2007--------01

चमोली-------236-----------------------1402------1419---------26

नैनीताल------62------------------------183--------2742---------03

पिथौरागढ़-----25------------------------798--------1620--------07

रुद्रप्रयाग-------285----------------------596---------528--------65

उत्तरकाशी----30-------------------------863---------415--------00

ऊधमसिंहनगर--00-----------------------12------------337-------00

देहरादून---------02------------------------35-----------112--------03

हरिद्वार---------00-----------------------31------------27--------00

यह भी पढ़ें- Sparrow survey: उत्तराखंड में कोविड ने थामे गौरैया सर्वे के कदम, पढ़िए पूरी खबर

Uttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।