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पटरी से उतरा टीकाकरण अभियान, जांच में भी ढील

कोरोना के मामले कम होने के बाद कोविड कफ्र्यू में ढील का असर यह हुआ कि उत्तराखंड में पर्यटकों की आमद एकाएक बढ़ गई है। हर दिन सैकड़ों सैलानी यहां पहुंच रहे हैं। बाजार और पर्यटक स्थलों में भीड़ दिखाई देने लगी है।

By Sumit KumarEdited By: Updated: Fri, 09 Jul 2021 03:44 PM (IST)
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मई में 37 हजार सैंपल की जांच हर दिन की जा रही थी अब यह 25 हजार रह गई है।
जागरण संवाददाता, देहरादून: कोरोना के मामले कम होने के बाद कोविड कफ्र्यू में ढील का असर यह हुआ कि उत्तराखंड में पर्यटकों की आमद एकाएक बढ़ गई है। हर दिन सैकड़ों सैलानी यहां पहुंच रहे हैं। बाजार और पर्यटक स्थलों में भीड़ दिखाई देने लगी है। यह भीड़ कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को बल दे रही है। उस पर राज्य में डेल्टा-प्लस का भी एक मामला मिल चुका है। इन चिंताओं के बीच कोरोना के खिलाफ अहम हथियार यानी टीकाकरण की रफ्तार सुस्त पड़ गई है। देहरादून, हरिद्वार व ऊधमसिंह नगर में ज्यादातर टीकाकरण केंद्रों पर ताले पड़ गए हैं और हर दिन कई लोग मायूस लौट रहे हैं। इधर, कोरोना का प्रभाव कम होते ही जांच का ग्राफ भी गिर गया है। मई में 37 हजार सैंपल की जांच हर दिन की जा रही थी। अब यह घटकर 25 हजार रह गई है।

वैक्सीन की किल्लत, दूसरी खुराक के बैकलाग ने बढ़ाई दिक्कत

राज्य में जहां एक ओर वैक्सीन की किल्लत बनी हुई है, वहीं दूसरी खुराक का बैकलाग भी बढ़ता जा रहा है। स्थिति यह है कि दूसरी खुराक लगाने में ही स्वास्थ्य विभाग के पसीने छूट रहे हैं। दून में ही दो लाख से अधिक लोग दूसरी खुराक के लिए तय समय पूरा कर चुके हैं, जबकि वैक्सीन तुलनात्मक रूप से बहुत कम मिल रही है। इस कारण 45 साल से अधिक के व्यक्तियों की पहली खुराक बंद करनी पड़ी है। अब तक राज्य में 38 लाख 61 हजार 709 व्यक्तियों को वैक्सीन की पहली खुराक लग चुकी है। दोनों खुराक वाले अभी केवल नौ लाख 69 हजार 723 लोग हैं। इनके बीच का अंतर 28 लाख से ज्यादा है। यानी एक बड़ी आबादी दूसरी खुराक के लिए तय समय पूरा कर चुकी है या करने वाली है। वहीं, केंद्र से वैक्सीन सीमित संख्या में मिल रही है। यही कारण है कि टीकाकरण अभियान पटरी से उतरता जा रहा है। महाअभियान के तहत हर दिन एक लाख से ज्यादा व्यक्तियों का टीकाकरण किया जा रहा था। अब यह 35 हजार के करीब पहुंच गया है।

जांच में भी आ रही कमी

कोरोना पर नियंत्रण के लिए शुरुआत से ही ट्रिपल टी यानी ट्रेस, टेस्ट और ट्रीटमेंट पर जोर दिया जा रहा है। जानकार भी यह मानते हैं कि जांच में निरंतरता बनी रहनी चाहिए। तीसरी लहर की आशंका के बीच जांच में सुस्ती भविष्य के लिए बड़ा खतरा बन सकती है। इससे इतर जांच की रफ्तार अब मंद पड़ गई है। शासन ने राज्य में हर दिन 40 हजार सैंपल की जांच का निर्देश दिया है। इस लक्ष्य के सापेक्ष 60 फीसद जांच ही हो पा रही है। बस अड्डा, रेलवे स्टेशन व राज्य के विभिन्न प्रवेश द्वार पर भी अब वह सख्ती नहीं दिख रही, जैसी कुछ वक्त पहले तक थी।

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टीकाकरण की स्थिति

29 जून: 74852

30 जून: 62962

एक जुलाई: 44959

दो जुलाई: 30500

तीन जुलाई: 43126

चार जुलाई: 57897

पांच जुलाई: 89627

छह जुलाई: 84590

सात जुलाई: 46159

आठ जुलाई: 35955

हर दिन औसत जांच

23-29 मई: 36943

30-5 जून: 28918

6-12 जून: 23685

13-19 जून: 24468

20-26 जून: 23861

27-3 जुलाई: 22825

4-8 जुलाई: 25760

सोशल डेवलपमेंट फार कम्युनिटी के संस्‍थापक अनूप नौटियाल का कहना है कि राज्य सरकार जांच के लिए जिलेवार लक्ष्य तय करे और इसकी नियमित मानीटरिंग की भी जाए। वहीं टीकाकरण अभियान में भी तेजी लाई जाए। सरकार को एक कम्युनिटी प्लान तैयार करना चाहिए। जिसमें टेस्टिंग, टीकाकरण और कोरोना के अनुरूप व्यवहार को शामिल किया जाए। इस काम में रेजीडेंट सोसायटी, पार्षद, ट्रेड यूनियन, व्यापारी संगठन व ऐसी तमाम इकाइयों को साथ लिया जा सकता है।

राज्य प्रतिरक्षण अधिकारी डा. कुलदीप सिंह मर्तोलिया राज्य में वैक्सीन की उपलब्धता अभी सीमित है। एकाध दिन में डेढ़ लाख खुराक और मिल जाएंगी। कोविशील्ड की दूसरी खुराक 84 से 112 दिन के बीच लगनी है। चिंता की बात नहीं है, दूसरी खुराक प्राथमिकता के आधार पर दी जा रही है। इसके अलावा केंद्र से अतिरिक्त वैक्सीन की भी मांग की गई है। जिसके बाद अभियान में तेजी लाई जाएगी। फिलहाल दिक्कत केवल देहरादून, हरिद्वार व ऊधमसिंह नगर में है। अन्य जगह टीकाकरण ठीक चल रहा है।

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