Move to Jagran APP

महिला की फर्श पर कराई डिलीवरी, जच्‍चा बच्‍चा की मौत पर हंगामा

देहरादून के दून महिला अस्‍पताल में जज्‍जा बच्‍चा की मौत हो गई। इस पर परिजनों और लोगों ने कार्रवाई की मांग को लेकर हंगामा किया।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Fri, 21 Sep 2018 08:21 AM (IST)
Hero Image
महिला की फर्श पर कराई डिलीवरी, जच्‍चा बच्‍चा की मौत पर हंगामा
देहरादून, [जेएनएन]: उत्तराखंड की लचर स्वास्थ्य सेवाओं ने गुरुवार को एक नवजात और महिला की जान ले ली। बेड के अभाव में प्रसव पीड़ित महिला को बरामदे में नवजात को जन्म देना पड़ा और फिर उपचार न मिलने के कारण दोनों ने दमतोड़ दिया। चिंता की बात यह भी है कि ये सब हुआ है राजधानी के दून महिला अस्पताल में।

अस्पताल में एक अदद बेड तक नहीं मिला 

पांच दिन पहले टिहरी के सूदूर गांव धनसाड़ी बासर से सुरेश सिंह राणा अपनी पत्नी सुचिता को लेकर राजधानी के बड़े कहे जाने वाले सरकारी दून महिला अस्पताल पहुंचे थे। 27 साल की सुचिता को 31 हफ़्ते का गर्भ था और डॉक्टरों के अनुसार वह बेहद कमज़ोर थी, लेकिन उससे भी कमज़ोर, बल्कि मरणासन्न है अस्पताल की हालत। सुचिता को अस्पताल में एक अदद बेड तक नहीं मिला और वह देहरादून के बदलते मौसम में पांच दिन से बरामदे में पड़ी रही और गुरुवार की सुबह साढ़े चार बजे उसने बाहर खुले में ही बच्चे को जन्म दे दिया।

डॉक्टर ने जच्चा-बच्चा को देखने से कर दिया था इन्‍कार 

प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि उनके कहने के बावजूद डॉक्टर ने जच्चा-बच्चा को देखने से इन्‍कार कर दिया और बरामदे में पड़े-पड़े ही दोनों की मौत हो गई। पांच दिन से अस्पताल की बदइंतजामी झेल रहे और गर्भवती की दुर्दशा देख रहे लोगों का गुस्सा जच्चा-बच्चा की मौत के बाद फूट गया और उन्होंने अस्पताल में हंगामा कर दिया। इसके बाद स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को आना पड़ा। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि अस्पताल का नर्सिंग स्टाफ़ इतना संवेदनहीन है कि देर रात गर्भवती को शौचालय जाने की ज़रूरत महसूस हुई तो उसे स्ट्रेचर तक उपलब्ध नहीं करवाया गया।

फोन पर फिल्म देखने में मस्त रहा स्‍टाफ

मौके पर मौजूद लोग परेशान पति की मदद के लिए आगे आए और उसे कंबल में उठाकर शौचालय तक ले गए। लोगों में डॉक्टरों के बर्ताव को लेकर भी बेहद गुस्सा था। वह कहते हैं कि डॉक्टरों ने महिला को देखने से यह कहकर इन्‍कार कर दिया कि उससे बदबू आ रही है। मृतका के पति सुरेश सिंह राणा कहते हैं कि रात सुचिता दर्द से तड़क रही थी, लेकिन उनके बार-बार आग्रह करने पर भी नर्सिंग स्टाफ ने उसकी ओर ध्यान नहीं दिया। राणा कहते हैं कि नर्सिंग स्टाफ अपने कमरे में फोन पर फिल्म देखने में मस्त रहा और बाहर बरामदे में तड़प-तड़क पर उनकी बीवी की मौत हो गई।

सीएमएस ने अपनी ज़िम्मेदारी से झाड़ लिए हाथ 

प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि उनके कहने के बावजूद डॉक्टर ने जच्चा-बच्चा को देखने से इन्‍कार कर दिया और बरामदे में पड़े-पड़े ही दोनों की मौत हो गई, लेकिन राजधानी के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में हुए इस शर्मनाक घटनाक्रम के बाद दून महिला अस्पताल की सीएमएस मीनाक्षी जोशी ने अपनी ज़िम्मेदारी से हाथ झाड़ लिए। उन्होंने कहा कि अस्पताल में बेड की सख़्त कमी है और इसके लिए वह कई बार शासन को लिख भी चुकी हैं। डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ के बर्ताव की शिकायत पर वह कहती हैं कि इस मामले की जांच की जा रही है और उसके बाद ही वह कुछ कह पाएंगी, लेकिन अपनी बीवी-बच्चे को खो चुके सुरेश सिंह राणा ही नहीं अस्पताल में मौजूद लोगों को भी इस जांच से किसी तरह की उम्मीद नहीं है।

फूट-फूट कर रोया मृतका का पति

फूट-फूट कर रो रहे राणा को अब अपनी पांच साल की बच्ची का भी ख़्याल रखना है जिसकी मां और छोटे भाई को इस सिस्टम ने मार दिया है। उत्तराखंड की स्वास्थ्य सेवाओं की हालत को इस घटना ने आईना दिखाया है, लेकिन चिंता की बात यह है कि हुक्मरान इसमें झांकने को तैयार नहीं हैं। शायद उन्हें डर है कि इसमें उन्हें एक हत्यारे का चेहरा दिखेगा जो इन मां-बेटे ही नहीं और भी न जाने कितने मासूमों की मौत के लिए ज़िम्मेदार है।

यह भी पढ़ें:  दून महिला अस्पताल में डिलीवरी के दौरान महिला और नवजात की मौत, हंगामा

यह भी पढ़ें: गर्भवती महिला की मौत पर परिजनों ने की अस्पताल में तोड़फोड़

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।