मृत्युंजय मिश्रा ने सरकारी धन हड़पने को खोले फर्जी दस्तावेजों से खाते
निलंबित कुलसचिव मृत्युंजय मिश्रा ने सरकारी धन हड़पने के लिए फर्जी फर्म तक बना डाली। फर्म के नाम लाखों रुपये के चेक जारी कर षड्यंत्र के तहत पैसों को ठिकाने लगाया गया।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Tue, 04 Dec 2018 10:35 AM (IST)
देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड आयुर्वेद विवि के निलंबित कुलसचिव मृत्युंजय मिश्रा ने सरकारी धन हड़पने के लिए फर्जी फर्म तक बना डाली। फर्म के नाम लाखों रुपये के चेक जारी कर षड्यंत्र के तहत पैसों को ठिकाने लगाया गया। इसके प्रमाण विजिलेंस को शुरुआती जांच में मिले हैं। फर्जी फर्म और फर्जी बैंक खातों का संचालन भी एक गिरोह के रूप में किया गया है। विजिलेंस गिरोह में शामिल अन्य लोगों की भूमिका भी तलाश रह है।
विजिलेंस जांच में यह बात सामने आई कि आयुर्वेद विवि में फर्नीचर, स्टेशनरी, कंप्यूटर आदि उपकरणों के नाम पर जो लाखों रुपये मिले हैं, उनमें मृत्युंजय मिश्रा ने घपला किया है। इसके लिए मिश्रा ने बाकायदा शिल्पा त्यागी नाम की महिला के साथ अमेजन ऑटोमेशन और नूतन रावत के नाम से क्रिएटिव इलेक्ट्रॉनिक्स नाम की फर्म बनाई। इन फर्मों को विश्वविद्यालय से लाखों का भुगतान कराया गया। इन फर्मों में पैसा जमा होने के बाद शिल्पा और नूतन के नाम से हर्रावाला स्थित बैंक ऑफ बड़ौदा शाखा में दो फर्जी खाते खोले गए। इन खातों को खोलने के लिए विवि का प्रमाण पत्र दिया गया।
इन प्रमाण पत्रों में शिल्पा और नूतन को विवि का कर्मचारी बताया, जबकि फोन नंबर पत्नी श्वेता और अपना दिया। यही नहीं, खातों में दर्ज स्थानीय पता भी अपने घर का दिया। विजिलेंस के एसपी प्रमोद कुमार ने बताया कि इन खातों में फर्म का पैसा जमा होने के बाद मिश्रा ने पत्नी श्वेता, बेटा और चालक अवतार के नाम लाखों रुपये ट्रांसफर कराए। अभी तक इन बैंक खातों की डिटेल में 50 लाख से ज्यादा रकम मिश्रा के परिजनों के खातों में ट्रांसफर किए जाने की पुष्टि विजिलेंस ने की है।होमवर्क के बाद की कार्रवाई
विजिलेंस ने मृत्युंजय मिश्रा की गिरफ्तारी के लिए पुख्ता होमवर्क किया। यही कारण रहा कि खुली जांच के बाद मुकदमा दर्ज करने तक की कार्रवाई को लीक नहीं होने दिया गया। गिरफ्तारी हुई तो हर कोई हैरान रह गया। विजिलेंस की इस कार्रवाई को बड़ी कार्रवाई माना जा रहा है। इससे पहले विजिलेंस ने दो साल पहले एमडीडीए के जेई को गिरफ्तार करने की योजना बनाई थी। लेकिन, मौका पाते ही वह फरार हो गया, जिसे गिरफ्तार करने में विजिलेंस को खासी मेहनत करनी पड़ी।यात्रा दिसंबर में और टिकट जनवरी के
उत्तराखंड आयुर्वेद विवि के निलंबित कुलसचिव डॉ. मृत्युंजय मिश्रा अपने बुने जाल में खुद फंस गए। विवि में कुलसचिव रहते हुए दिल्ली और कई अन्य जगह जो यात्राएं हेलीकाप्टर, कार और ट्रेन से की गई, उनसे भी लाखों रुपये हड़प लिए। इनमें यात्राएं दिसंबर माह में और टिकट जनवरी के लगाए गए। इन टिकटों को जारी करने वाली फर्म भी जांच के दायरे में आ गई है। विजिलेंस इनकी जांच को लेकर जरूरी सबूत एकत्र कर रही है ताकि इस फर्जीवाड़े में किसी गिरोह की संलिप्तता सामने आ सके।मिश्रा के तीन ठिकानों पर एक साथ कार्रवाई
विजिलेंस ने मिश्रा की गिरफ्तारी के बाद ठिकानों पर एक साथ सर्च वारंट के साथ ताबड़तोड़ कार्रवाई की। इस दौरान मिश्रा के घर से नकदी और महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किए गए। जबकि, विवि में मिश्रा से जुड़ी फाइलें विजिलेंस के अधिकारियों ने कब्जे में ले ली हैं। मंगलवार को विजिलेंस मिश्रा के बैंक खातों और लॉकर की तलाशी लेगी। इसके अलावा प्रॉपर्टी से जुड़े कागजात भी खंगालेगी। मृत्युंजय मिश्रा का घर ईसी रोड से लगी मोहिनी रोड पर है। यह घर मिश्रा के भाई संजय मिश्रा के नाम है। इस दो मंजिला घर की तलाशी में विजिलेंस के पांच से ज्यादा इंस्पेक्टरों ने सर्च किया।यहां से नकदी, जेवर, बैंक पासबुक, चेकबुक और अन्य दस्तावेज मिले हैं। इस घर में मिश्रा के पिता और भाई का परिवार रहता है। वहीं दूसरी सर्च टीम ने आयुर्वेद विवि परिसर में कार्रवाई की। यहां विवि के कुलसचिव के कार्यालय की महत्वपूर्ण फाइलें खंगाली गई। इसके लिए विवि के स्टाफ को बुलाया गया। मिश्रा के विवाद से जुड़ी कई फाइलें विजिलेंस ने अपने कब्जे में ले ली हैं। इन फाइलों की अलग से जांच की जाएगी। विजिलेंस ने विवि में दोबारा जांच के लिए आने की बात कही है। इसके अलावा रायपुर रोड स्थित द्रोण कॉम्प्लेक्स स्थित शिल्पा त्यागी के दफ्तर पर भी विजिलेंस ने कार्रवाई की।
दो आइएएस पर भी हो चुकी कार्रवाई: सरकार ने एनएच मुआवजा घोटाले में कुछ माह पूर्व दो आइएएस अधिकारी पंकज पांडेय और चंद्रेश यादव के खिलाफ भी कार्रवाई की थी। इन्हें चार्जशीट देने के साथ ही निलंबित किया गया था। हालांकि इनमें से चंद्रेश यादव को दो दिन पहले ही सरकार बहाल कर चुकी है। जांच दोनों आइएएस अफसरों के खिलाफ चल रही है।सत्र से पहले जीरो टॉलरेंस पर बड़ी कार्रवाई
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार ने जीरो टॉलरेंस पर एक और बड़ी कार्रवाई की है। सरकार ने 11 वर्षों से चर्चा और विवादों का केंद्र बने डॉ. मृत्युंजय मिश्रा को विधानसभा सत्र से ठीक पहले गिरफ्तार कर विपक्ष को बड़ा संदेश दिया है। सत्ता से लेकर शासन के अफसरों के करीबी रहे मिश्रा के खिलाफ हुई कार्रवाई के कई अर्थ निकाले जा रहे हैं।वर्ष 2007 में मृत्युंजय मिश्रा निवासी भागलपुर, बिहार बतौर शिक्षक उत्तराखंड आए। यहां पहला विवाद दो महाविद्यालयों के प्राचार्य के प्रभार से शुरू हुआ। आरोप था कि मिश्रा ने एक सत्र में दो-दो डिग्री ली हैं। इसी दौरान मृत्युंजय मिश्रा ने उत्तराखंड तकनीकी विवि में कुलसचिव का पदभार संभाला। यहां भी मिश्रा ने अपनी राजनीतिक नजदीकियों का फायदा उठाया। यहां मिश्रा पर लाखों रुपये की गड़बड़ी के आरोप लगे। मेडिकल प्रवेश परीक्षा यूपीएमटी के परिणाम, वर्ष 2009 में उत्तराखंड तकनीकी विवि में समूह-ग के पदों की भर्ती कराने और इसके बाद आयुर्वेद विवि में कुलसचिव का पदभार संभालने का विवाद मिश्रा का पीछा करता रहा।
वहीं, तत्कालीन कुलपति प्रो. एसपी मिश्र से लेकर यहां नियुक्तियों, खरीददारी से लेकर पदभार को लेकर विवाद जारी रहे। यहां तक कि सचिवालय में दफ्तर देने और दिल्ली में अपर स्थानिक आयुक्त की जिम्मेदारी भी विवादों में रही। कुछ समय पहले स्टिंग की साजिश में भी नाम आने से मिश्रा पर मुकदमा दर्ज हुआ। इन आरोपों के बावजूद मिश्रा सत्ता के कई शीर्ष अफसरों के करीब रहे। यही कारण रहा कि हर बार मिश्रा को अभयदान मिलता रहा। लेकिन, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की जीरो टॉलरेंस की नीति मिश्रा पर फिट नहीं बैठी। मुख्यमंत्री से लेकर खास अफसरों के करीबी माने जाने के बावजूद मिश्रा अपने योजना में सफल नहीं हो पाए। आखिर कई दिनों तक सत्ता से दूर रहने और जुलाई में विजिलेंस की खुली जांच से मिश्रा की परेशानी बढ़ गई। मंगलवार से होने वाले विधानसभा सत्र में विपक्ष सरकार की घेराबंदी की तैयारी कर ही रहा था कि अचानक सरकार ने मिश्रा की गिरफ्तारी कर विपक्ष को बड़ा झटका दे दिया।
ये भी रहा विवाद आयुर्वेद विवि में मई-2016 में हुए 65 लाख रुपये के फर्नीचर और चिकित्सकीय उपकरणों की खरीद-फरोख्त के मामले में सीजेएम कोर्ट के आदेश पर तत्कालीन कुलसचिव मिश्रा समेत तीन लोगों पर मुकदमा चल रहा है।मारपीट भी निकली थी झूठी मई-2014 में लक्ष्मण सिद्ध मंदिर मार्ग पर मृत्युंजय मिश्रा ने अपने साथ मारपीट का मुकदमा दर्ज कराया था। इसमें आरोप लगाया था कि उनकी कार फूंकने की कोशिश की गई। पुलिस की जांच-पड़ताल में यह मामला झूठा निकला था।यह भी पढ़ें: आयुर्वेद विवि के पूर्व कुलसचिव डॉ. मृत्युंजय मिश्रा को विजिलेंस ने किया गिरफ्तार, ये हैं आरोपयह भी पढ़ें: डॉ. मृत्युंजय कुमार मिश्रा निलंबित, विवादों से रहा है पुराना नाता
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