मुस्लिम परिवार ने पेश की इंसानियत की मिसाल, हिंदू रीति-रिवाजों से कराई यह शादी
देहरादून के एक मुस्लिम परिवार ने इंसानियत की अनूठी मिसाल पेश की है। उन्होंने अनाथ राकेश रस्तोगी के सिर पर स्नेह का हाथ रखा। साथ ही हिंदू रीति-रिवाजों उसकी शादी भी कराई।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Mon, 12 Feb 2018 10:25 PM (IST)
राकेश को गले लगाने के बाद भी मोइनुद्दीन के परिवार ने उसे मुस्लिम रीति-रिवाजों में नहीं ढाला। बल्कि, राकेश के हिंदू रीति-रिवाजों को भी अपने परिवार का हिस्सा बना लिया। अब जब राकेश के विवाह की बारी आई तो उनके आंगन में धूमधाम से बारात निकाली गई और हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार सभी रस्में निभाई गईं।
मोइनुद्दी व उनकी पत्नी कौसर जहां बीते चार-पांच साल से राकेश के लिए हिंदू परिवार की लड़की तलाश रहे थे। लेकिन, जहां भी बात बनती, वहां सवाल उठ खड़ा होता कि 12 वर्ष की उम्र से मुस्लिम परिवार का हिस्सा होने के कारण कहीं लड़का भी मुसलमान न बन गया हो। नतीजा, कई रिश्ते जुड़ने से पहले ही टूट गए। हालांकि, इस दंपती ने हार नहीं मानी और बेटे राकेश के लिए हिंदू लड़की की तलाश जारी रखी। आखिरकार मोथरोवाला निवासी आत्माराम चौहान की बेटी सोनी चौहान पर आकर उनकी तलाश खत्म हुई।
सोनी व उसके परिजन जब राकेश को देखने सिग्नल मंडी स्थित उसके घर पहुंचे तो वहां का नजारा देख अवाक रह गए। मुस्लिम परिवार का हिस्सा होने के बावजूद राकेश के कमरे में विभिन्न देवी-देवताओं के चित्र लगे थे। इंसानियत की इस खूबसूरत तस्वीर को देखकर उन्होंने शादी के लिए झट से हां कर दी। बस! फिर क्या था, चट मंगनी और पट ब्याह।
शुक्रवार को मोइनुद्दीन के घर से मोथरोवाला के लिए धूमधाम से बरात निकली और सभी संस्कार हिंदू रीति-रिवाज से संपन्न हुए। शाम को जब मोइनुद्दीन बहू-बेटे के साथ घर लौटे तो न सिर्फ उनके परिजन, बल्कि आसपास के लोग भी स्वागत को उमड़ पड़े। शनिवार को राकेश और सोनी ने पास के कालिका मंदिर में पूजा-अर्चना कर मंदिर की परिक्रमा की। मोइनुद्दीन के अपने दो बेटे जुबेर व दानिश और दो बेटी गुलशां व फिजा हैं, मगर वह राकेश को ही बड़ा बेटा मानते हैं। उनकी पत्नी कौसर जहां कहती हैं, 'इससे बड़ी खुशी क्या होगी कि अब मुझे एक और बेटी के रूप में बहू सोनी मिल गई है।'
रिसप्शन में सिर्फ शाकाहारी व्यंजन
मोइनुद्दीन ने रविवार को बेटे राकेश रस्तोगी के विवाह का रिसेप्शन रखा है। व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी संभाल रहे कौसर जहां के भाई इरशाद ने बताया कि इंसानियत का गवाह बने इस विवाह में अधिक से अधिक लोग शामिल हो सकें, इसके लिए सिर्फ शाकाहारी व्यंजन परोसे जाएंगे। क्योंकि, कई शाकाहारी लोग उस जगह भोजन करने से परहेज करते हैं, जहां मांसाहार भी होता है। उन्होंने सभी शुभचिंतकों से रिसेप्शन में शामिल होकर वर-वधू को आशीर्वाद देने का आग्रह किया है।
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