मृत्युंजय मिश्रा को लेकर हो रहे चौंकाने वाले खुलासे, जानिए
मृत्युंजय मिश्रा को लेकर चौंकाने वाले खुलासे अभी भी हो रहे हैं। अब उसके द्वारा दिल्ली से लेकर देहरादून तक खेला गया फर्जी आइडी का खेल भी सामने आया है।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Thu, 20 Dec 2018 04:05 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। शासन-सत्ता के करीब रहकर फर्श से अर्श तक का सफर तय करने वाले मृत्युंजय मिश्रा को लेकर चौंकाने वाले खुलासे अभी भी हो रहे हैं। अब उसके द्वारा दिल्ली से लेकर देहरादून तक खेला गया फर्जी आइडी का खेल भी सामने आया है, जिसने उसके फर्जीवाड़े के खेल की कलई खोल दी है।
मंगलवार को जमानत अर्जी पर बहस के दौरान सतर्कता के अधिवक्ता ने इसके बारे में अदालत को विस्तार से बताया। जमानत अर्जी खारिज होने के पीछे इसे बड़ी वजह माना जा रहा है। सतर्कता से जुड़े सूत्रों से पता चला है कि मृत्युंजय मिश्रा ने दिल्ली में असिस्टेंट रेजीडेंट कमिश्नर रहते हुए अपना एक पहचान पत्र बनवाया था। विजिलेंस ने जब इसकी जांच की तो जिस अधिकारी के उस पर हस्ताक्षर दिखाए गए थे, उसने हस्ताक्षर अपने होने से इन्कार कर दिया। वहीं देहरादून में आयुर्वेद विश्वविद्यालय में कुलसचिव बनने के बाद उसने बिजनेस पार्टनर नूतन रावत व शिल्पा त्यागी को विवि का पहचान पत्र जारी कर दिया। इन दोनों के पहचान पत्र पर विवि के जिस कर्मचारी के हस्ताक्षर दिखाए गए थे, जांच में वह भी फर्जी पाए गए। ऐसे में यह बात तो लगभग तय हो चुकी है कि मृत्युंजय मिश्रा ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर कई ऐसे कार्य किए जो गैर कानूनी थे।
नूतन की एक और कंपनी का पता चला नूतन रावत की राजश्री इंटरप्राइजेज नाम की एक और फर्म का पता चला है। इस फर्म को भी टेंडर प्रक्रिया का उल्लंघन करते हुए कई ठेके दिए गए। सतर्कता टीमें अब उसकी फर्म क्रिएटिव इलेक्ट्रानिक के साथ राजश्री इंटरप्राइजेज के भी दस्तावेजों और लेनदेन की कुंडली खंगाल रही है। कहां से आए पत्नी के खाते में 1.70 करोड़ मृत्युंजय मिश्र की पत्नी श्वेता मिश्रा के खाते में हुए 1.70 करोड़ रुपये के लेनदेन को लेकर भी सतर्कता बारीकी से जांच कर रही है। यह पता लगाने की कोशिश हो रही है कि उसके खाते में इतने रुपये आए कहां से। इसका पता लगने पर मिश्रा की मुश्किलें और बढ़ जाएंगी। नूतन-शिल्पा के खातों को खुद किया ऑपरेट मृत्युंजय मिश्रा ने अपने मोहिनी रोड के पते की आइडी पर नूतन और शिल्पा के नाम दो बैंकों में खाते खुलवाए। लेकिन इन खातों के एटीएम को उसने अपने पास ही रख लिया। इससे मृत्युंजय ने लाखों रुपये के वारे-न्यारे किए, जिसके बारे में खातों की डिटेल बहुत कुछ इशारे कर चुकी है। आज मृत्युंजय के ड्राइवर से होगी पूछताछ सतर्कता मुख्यालय में गुरुवार को मृत्युंजय के ड्राइवर अवतार सिंह से पूछताछ की जाएगी। बताया जा रहा है कि अवतार सिंह के खाते में 48 लाख रुपये मिले थे। पूछताछ में सतर्कता यह पता लगाने की कोशिश करेगी कि मामूली तनख्वाह पाने वाले ड्राइवर के खाते में यह रकम आई कहां से। बिहार से भी जुड़ रहे तार मृत्युंजय मिश्रा के भाई संजय मिश्रा, उसकी पत्नी सुधा मिश्रा के खाते से हुए लेनदेन को भी सतर्कता विभाग ने जांच के दायरे में ले रखा है। उसका भाई बिहार के भागलपुर में रहता है। उसके बैंक खाते भी भागलपुर में ही हैं।
मृत्युंजय मिश्रा की जमानत अर्जी खारिजभ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के निलंबित कुलसचिव डा. मृत्युंजय मिश्रा की जमानत अर्जी विशेष न्यायाधीश सतर्कता राजीव कुमार खुल्बे की अदालत ने खारिज कर दी। बचाव पक्ष की ओर सुप्रीम कोर्ट से आए दो अधिवक्ताओं समेत तीन वकीलों ने जमानत अर्जी पर जिरह की और कहा कि मिश्रा को सरकार के इशारे पर फंसाया जा रहा है।
वहीं, अभियोजन पक्ष के सरकारी अधिवक्ता ने मिश्रा पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को गंभीर प्रकृति का बताते हुए जमानत का विरोध किया। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने अर्जी खारिज कर दी। बता दें, उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के निलंबित कुलसचिव डा. मृत्युंजय मिश्रा को सतर्कता विभाग ने तीन दिसंबर को उनके मोहिनी रोड स्थित आवास से गिरफ्तार कर अगले दिन विशेष न्यायाधीश की कोर्ट में पेश कर दिया था। जहां से उसे न्यायिक अभिरक्षा में जिला कारागार, सुद्धोवाला भेज दिया गया था।इस मामले में बचाव पक्ष के अधिवक्ता मो.आरिफ बेग की ओर से विजिलेंस कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की गई थी, जिस पर सुनवाई के लिए अदालत ने 19 दिसंबर की तारीख तय की थी। जमानत याचिका पर मंगलवार को बहस के लिए सुप्रीम कोर्ट से भी दो वकील पहुंचे थे।
बचाव पक्ष की ओर से मिश्रा की जमानत के लिए कई तर्क दिए गए और विजिलेंस की कार्रवाई को भी साक्ष्यों पर आधारित न होना बताया। जबकि अभियोजन पक्ष के सरकारी अधिवक्ता जीसी पंचोली ने अदालत को बताया कि मिश्रा पर लगे भ्रष्टाचार से संबंधित आरोपों को लेकर विजिलेंस के पास पुख्ता सबूत हैं। आयुर्वेद विवि से मिश्रा ने अपने जिन नजदीकियों के खातों में रकम ट्रांसफर कराई। उससे लेकर फर्जी आइडी बनवाने तक को लेकर भी पूरे साक्ष्य मौजूद हैं।इससे पता चलता है कि मिश्रा को जमानत मिली तो आगे जांच को प्रभावित कर सकता है। ऐसे में उसे जमानत न दी जाए। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद भोजनावकाश तक के लिए निर्णय सुरक्षित रख लिया। लंच के बाद अदालत ने जमानत याचिका खारिज करने का निर्णय सुनाया।
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