Muzaffarnagar Riots: 30 साल बाद दो पुलिस कर्मी दोषी करार, लेकिन उत्तराखंड की बहू-बेटियों की चीखें आज भी बयां कर रही बर्बरता की कहानी
Muzaffarnagar Riots रामपुर तिराहा कांड को 30 वर्ष बीत जाने के बाद कोर्ट ने दरिंदगी करने वाले दो पुलिस कर्मियों को दोषी करार दिया है। कोर्ट के फैसले से उत्तराखंड के राज्य आंदोलनकारियों के कलेजे पर थोड़ी ठंडक तो पड़ी लेकिन न्याय प्रक्रिया की खामियों पर उन्होंने नाराजगी भी व्यक्त की है। सैकड़ों परिवार इस कांड का दंश आजतक झेल रहे हैं।
जागरण संवाददाता, देहरादून। Muzaffarnagar Riots: उत्तराखंड की बहू-बेटियों की चीख और नौजवानों के लहू से सनी मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश) की धरती आज भी सरकारी सिस्टम की बर्बरता की कहानी बयां करती है।
रामपुर तिराहा कांड को 30 वर्ष बीत जाने के बाद कोर्ट ने दरिंदगी करने वाले दो पुलिस कर्मियों को दोषी करार दिया है। इससे उत्तराखंडवासियों के जख्मों पर कुछ मरहम तो लगा है, लेकिन एक लंबा अरसा बीतने से दिल में टीस भी है। कोर्ट के फैसले से उत्तराखंड के राज्य आंदोलनकारियों के कलेजे पर थोड़ी ठंडक तो पड़ी, लेकिन न्याय प्रक्रिया की खामियों पर उन्होंने नाराजगी भी व्यक्त की है।
अब भी कई सवाल जस के तस तैर रहे हैं कि उत्तराखंड राज्य की मांग कर रही यहां की जनता पर बर्बरता किसके आदेश पर हुई। कांड के मुख्य आरोपितों को सजा कब मिलेगी। हालांकि, रामपुर तिराहा कांड में बलिदान हुए युवाओं और दुष्कर्म का शिकार हुई महिलाओं के जख्मों की भरपाई नहीं की जा सकती। सैकड़ों परिवार इस कांड का दंश आजतक झेल रहे हैं।
न्याय बहुत देर से मिला। न्याय के इंतजार में कई लोग बूढ़े हो गए और कई इस दुनिया से भी चले गए। हमारी न्याय व्यवस्था को सुधारने की आवश्यकता है। दरिंदगी करने वालों को दोषी करार दिया गया है। आगामी 18 मार्च को उन्हें सजा सुनाई जाएगी। इससे दिल में थोड़ी ठंडक पड़ी है। लंबी लड़ाई के बाद यह जीत मिली है।
- रविंद्र जुगरान, राज्य आंदोलनकारी
महिलाओं के साथ हुए अत्याचार को बयां नहीं किया जा सकता। दुष्कर्म पीड़िताओं को समाज ने भी ठुकरा दिया था। उनका जीवन रामपुर तिराहा कांड के बाद क्या हो गया कोई सोच भी नहीं सकता। कोर्ट के निर्णय का स्वागत है। बहुत देर हुई, लेकिन चलो कुछ तो न्याय मिला। सरकार से अनुरोध करती हूं कि राज्य आंदोलन के बलिदानियों व दुष्कर्म पीड़िता के परिवार के हित में कोई कदम उठाया जाए।
- ऊषा नेगी, राज्य आंदोलनकारी
कोर्ट का निर्णय उत्तराखंडवासियों के लिए कुछ हद तक मरहम का कार्य करेगा। इस निर्णय का स्वागत करते हैं, लेकिन सवाल यह है कि मुख्य आरोपितों को अब भी सजा नहीं दी जा रही है। जिनके इशारों पर आमजनता के साथ अत्याचार हुए उन्हें भी दोषी ठहराया जाए और कड़ी सजा दी जाए।
- जयदीप सकलानी, राज्य आंदोलनकारी
आंदोलनकारी मंच इस विषय को लेकर लगातार संघर्षरत रहा है। हमारे नौ सूत्रीय मांगपत्र का पहला बिंदु ही यह रहा कि मुजफ्फरनगर कांड के दोषियों को सजा मिले। अब इस मामले में हम एक कदम आगे बढ़े हैं। उम्मीद है कि पीड़ितों को कुछ राहत मिलेगी। यही नहीं, अन्य मामलों में भी जल्द न्याय मिलेगा। हम अधिवक्ताओं का आभार जताना चाहते हैं, जिन्होंने कोर्ट में इस मामले की मजबूत पैरवी की। वहीं, मामले में के सभी गवाहों को भी साधुवाद।
- जगमोहन सिंह नेगी, प्रदेश अध्यक्ष उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच
न्याय के लिए एक लंबा संघर्ष, लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी गई। मुजफ्फरनगर कांड के दोषियों को सजा की मांग हम हर स्तर पर उठाते रहे हैं। पर इस मुकाम तक आते-आते 30 साल लग गए। इस जीत के पीछे अधिवक्ताओं की कड़ी मेहनत, राज्य आंदोलनकारियों का लंबा संघर्ष है। हमारी अब यही मांग है कि दोषियों को अधिकतम सजा दी जाए। वहीं, अन्य मामलों में भी सुनवाई जल्द से जल्द पूरी की जाए।
- रामलाल खंडूड़ी, प्रदेश महासचिव राज्य आंदोलनकारी मंच
रामपुर तिराहा कांड में महिला आंदोलनकारी के साथ छेड़खानी, दुष्कर्म व लूट में पीएसी के दो सिपाहियों पर तीन दशक बाद दोष सिद्ध हुआ है। देर से ही सही, पर मातृ शक्ति को न्याय मिला है। हम इस मामले में दोषियों को अधिकतम सजा की मांग करते हैं। इस बात को लेकर भी आशान्वित हैं कि गोलीकांड सहित अन्य मामलों में भी जल्द दोषियों को सजा मिलेगी। इस घटना के लिए जो भी अधिकारी जिम्मेदार हैं, उन्हें भी नहीं बख्शा जाना चाहिए।
- निर्मला बिष्ट, जिला संयोजक उत्तराखंड महिला मंच
यह न्याय की जीत है। पर यह भी स्पष्ट होना चाहिए कि इस पूरी घटना के लिए कौन अधिकारी जिम्मेदार हैं। शासन-प्रशासन व तत्कालीन सरकार भी इसके लिए जिम्मेदार है। बहरहाल, कोर्ट के आदेश का स्वागत है। एक शुरुआत हुई है और यह उम्मीद जगी है कि न्याय मिला है, तो एक दिन संपूर्ण न्याय भी जरूर मिलेगा। इस घटना के लिए जिम्मेदार सभी लोग को उनकी करनी की सजा मिलेगी।
- कमला पंत, केंद्रीय संयोजक महिला मंच