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जाानें- इस 'फकीर' के बारे में, जो अवसादग्रस्तों को हिम्मत देने के लिए निकला है गंगोत्री से गंगा सागर की पैदल यात्रा पर

अवसाद के कारण कई लोग अपनी ¨जदगी को समाप्त कर देते हैं। वर्तमान दौर में ऐसे व्यक्तियों की संख्या निरंतर बढ़ रही है जो ¨चताजनक है। ऐसे में एक युवा ने अवसादग्रस्तों को अनमोल ¨जदगी का संदेश देने और उन्हें पुनर्वासित करने का बीड़ा उठाया है।

By Edited By: Updated: Wed, 24 Nov 2021 03:50 PM (IST)
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इस 'फकीर' के बारे में, जो अवसादग्रस्तों को हिम्मत देने के लिए निकला पैदल यात्रा पर।
दुर्गा नौटियाल, ऋषिकेश। अवसाद के कारण कई लोग अपनी जिंदगी को खत्म कर देते हैं। वर्तमान दौर में ऐसे व्यक्तियों की संख्या निरंतर बढ़ रही है, जो चिंताजनक है। ऐसे में एक युवा ने अवसादग्रस्तों को अनमोल जिंदगी का संदेश देने और उन्हें पुनर्वासित करने का बीड़ा उठाया है। नागपुर महाराष्ट्र निवासी अतुल कुमार चौकसे अपनी इस मुहिम के साथ गंगोत्री से गंगा सागर की पैदल यात्रा पर निकला है। अतुल ने अपने जीवन को 'फकीर की दुनिया' का नाम देकर अवसादग्रस्तों को राह दिखाने के लिए समर्पित किया है।

नागपुर निवासी 33 वर्षीय अतुल कुमार चौकसे पेशे से कंप्यूटर शिक्षक और अंतरराष्ट्रीय अल्ट्रा मैराथन धावक हैं। वह अब तक 35 अंतरराष्ट्रीय और 71 राष्ट्रीय पदक जीत चुके हैं। साहरा रेगिस्तान और थार के मरुस्थल को पार करने का रिकार्ड बना चुके अतुल कुमार चौकसे ने एक विशेष तरह की हाथ से ठेलने वाली ट्राली के साथ छह नवंबर को गंगोत्री से गंगा सागर तक की करीब 3500 किलोमीटर की पैदल यात्रा शुरू की थी। मंगलवार को अतुल चौकसे की यह यात्रा तीर्थनगरी ऋषिकेश पहुंची। उन्होंने मुनिकीरेती के शत्रुघन घाट पर गंगा आरती में भी शिरकत की।

शत्रुघन मंदिर के महंत मनोज प्रपन्नाचार्य, पर्यटन व्यवसायी महेश तिवारी, राजेश द्विवेदी आदि ने उनका स्वागत किया। दैनिक जागरण से बातचीत में अतुल कुमार ने अपनी यात्रा के उद्देश्य व इसकी वजह को स्पष्ट किया। उन्होंने बताया कि अवसाद (डिप्रेशन) के कारण तमाम लोग अपनी खूबसूरत जिंदगी को खत्म कर देते हैं। भारत में लगातार इस तरह के आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने यह बात तब महसूस की, जब स्वयं उनकी पत्नी ने रूढीवादी सोच के चलते मानसिक अवसाद में आकर शादी के मात्र दो माह बाद ही आत्महत्या कर दी। इसके बाद से ही उन्होंने इस तरह के व्यक्तियों को जिंदगी की कीमत और मकसद समझाने के लिए यह अभियान शुरू किया है।

उन्होंने बताया कि अपनी इस यात्रा के दौरान वह गंगा के समीपवर्ती गांवों, कस्बों और शहरों में जाकर चौपाल लगा रहे हैं। साथ ही जानकारी जुटाकर आवसादग्रस्त व्यक्तियों से मिलकर उनकी काउंस¨लग कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनका मकसद अवसादग्रस्त व्यक्तियों के लिए वह एक चिकित्सालय खोलना चाहते हैं। अतुल ने बताया कि उन्होंने इस यात्रा के लिए सौ दिन का समय तय किया था। मगर, वास्तव में इस यात्रा में इससे भी अधिक समय लगने की उम्मीद है। बुधवार को वह हरिद्वार के लिए रवाना होंगे, जिसके बाद उत्तरप्रदेश, बिहार व झारखंड होते हुए बंगाल पहुंचकर गंगा सागर में अपनी यात्रा का समापन करेंगे।

गंगा जल के सैंपल लेकर कर रहे हैं जांच

अपनी इस यात्रा में अतुल कुमार चौकसे गंगा की स्वच्छता व अविरलता का भी संदेश दे रहे हैं। अतुल ने बताया कि गंगा सिर्फ एक नदी नहीं बल्कि भारत की संस्कृति और सभ्यता की वाहक भी है। इसके अलावा गंगा का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व भी है। इसके चारों ओर सिर्फ मानवीय सभ्यता ही नहीं बल्कि जलीय जीव, वन्य जीव, वनस्पतियों और औषधियों का भी खजाना है। यदि गंगा स्वच्छ रहेगी तो यह सभी सुरक्षित रहेंगे। इसलिए हम सभी को गंगा की सेहत की चिंता करनी होगी।

उन्होंने बताया कि वह गंगोत्री से गंगा सागर तक अलग-अलग स्थानों पर गंगा जल के सैंपल भी एकत्र कर उनकी वैज्ञानिक तरीके से जांच भी कर रहे हैं। इसके लिए वैज्ञानिकों की ओर से उन्हें संबंधित उपकरण और तकनीकी ज्ञान दिया गया है। उन्होंने बताया कि अब तक शोध में गंगोत्री से देवप्रयाग तक गंगा का जल बेहद साफ है। जबकि देवप्रयाग से ऋषिकेश के बीच मिल रहे मानव जनित कूड़ा, कचरा व नालों से गंगा का जल कुछ दूषित हुआ है।

अपनी यात्रा पर तैयार करेंगे डाक्युमेंट्री और पुस्तक

अतुल अपनी इस यात्रा पर एक डाक्युमेंट्री भी तैयार कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इसके अलावा वह एक पुस्तक भी इस यात्रा पर लिखेंगे। जिसमें गंगा के प्रत्येक प्रदेश और गंगा तटों पर बसे गांव व शहरों की लाइफस्टाइल, दिनचर्या, खानपान और संस्कृति को स्थान दिया जाएगा। उन्होनें बताया कि इससे पूर्व वह अपनी थार मरुस्थल की यात्रा पर भी पुस्तक फकीर की दुनिया लिख चुके हैं।

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