उत्तराखंड के लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी को मिलेगा संगीत नाटक अकादमी सम्मान
संगीत नाटक नृत्य एवं गायन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए संगीत नाटक अकादमी ने पुरस्कार की सूची जारी कर दी। इसमें प्रसिद्ध लोकगायक सिंह नेगी का नाम भी शामिल हैैै।
By BhanuEdited By: Updated: Thu, 18 Jul 2019 08:38 AM (IST)
देहरादून, जेएनएन। संगीत, नाटक, नृत्य, वादन एवं गायन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए दिए जाने वाले पुरस्कार संगीत नाटक अकादमी की सूची जारी हो गई है। इसमें गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी का नाम भी शामिल है। संगीत नाटक अकादमी की ओर से सम्मान के लिए चयनित किए जाने पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने नरेंद्र सिंह नेगी को बधाई दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी समृद्ध लोक संस्कृति एवं लोक विधा के विकास के लिए समर्पित नरेंद्र सिंह नेगी को दिया जा रहा यह प्रतिष्ठित सम्मान उत्तराखंड का भी सम्मान है।
संगीत नाटक अकादमी हर साल देशभर से 44 लोगों का नाम इस सूची में शामिल करती है। मंगलवार को जारी की गई सूची वर्ष 2018 में देशभर से चयनित कलाकारों की है। यह पुरस्कार राष्ट्रिपति के हाथों दिया जाता है।सम्मान के लिए चुने जाने पर नरेंद्र सिंह नेगी ने खुशी जताई है। उन्होंने कहा कि कला और संगीत के क्षेत्र में सबसे बड़े पुरस्कारों में शामिल इस पुरस्कार को प्राप्त करना हर कलाकार का सपना होता है। लोकगायक नेगी ने बताया कि अभी पुरस्कार मिलने की तिथि तय नहीं की गई है और उन्हें अकादमी की तरफ से भेजे गए ईमेल से इस बारे में पता चला। अभी केवल नामों की सूची जारी की गई है। इसमें यह साफ किया गया है कि सम्मान लोक गीतों के लिए दिया जा रहा है।
भाई से ली थी संगीत की शिक्षाआज दुनियाभर में अपने संगीत और साहित्य के लिए प्रसिद्ध नरेंद्र सिंह नेगी ने संगीत की शिक्षा किसी स्कूल या कॉलेज से नहीं ली। इसकी प्रेरणा उनके अपने दिवंगत बड़े भाई अजीत सिंह नेगी बने। अजीत सिंह संगीत के शिक्षक थे। पौड़ी में जन्मे नेगी ने अपना पहला गीत सैरे बस्यक्याल बौण मां... अपने पिता उमराव नेगी की आखों के इलाज के दौरान ही लिखा था।
संगीत की दुनिया में वह तबला वादक के रुप में आए थे। इसके अलावा शुरूआती दिनों में चित्रकारी भी की। नेगी ने वर्ष 1974 से लिखना शुरू किया। वह गायक होने के साथ मंझे हुए साहित्यकार भी हैं। उनकी पहली पुस्तक खुचकंडी साल 1991 में प्रकाशित हुई थी। उनके गीत और गजल संग्रह गाण्यों की गंगा स्याणों का समोदर और मुट बोटी की रख भी प्रकाशित हो चुकी हैं। साथ ही तेरी खुद तेरू ख्याल किताब में फिल्मी गीतों का संकलन किया गया।
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