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मानव-वन्यजीव संघर्ष थामने को तैयार किया जा रहा नेशनल एक्शन प्लान, जानिए

देश के विभिन्न राज्यों में बढ़ते मानव-वन्यजीव संघर्ष से केंद्र सरकार भी चिंतित है। इस संघर्ष से पार पाने के लिए अब नेशनल एक्शन प्लान तैयार किया जा रहा है।

By Edited By: Updated: Wed, 11 Sep 2019 08:31 PM (IST)
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मानव-वन्यजीव संघर्ष थामने को तैयार किया जा रहा नेशनल एक्शन प्लान, जानिए
देहरादून, केदार दत्त। उत्तराखंड समेत देश के विभिन्न राज्यों में बढ़ते मानव-वन्यजीव संघर्ष से केंद्र सरकार भी चिंतित है। इस संघर्ष से पार पाने के लिए अब 'नेशनल एक्शन प्लान' तैयार किया जा रहा है। वन और पर्यावरण मंत्रालय ने एक्शन प्लान को लेकर मंथन के लिए 18 और 19 सितंबर को ऋषिकेश में बैठक बुलाई है। इसमें देश के सभी राज्यों के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक (सीडब्ल्यूएलडब्ल्यू) समेत अन्य वनाधिकारी शिरकत करेंगे। 

एक्शन प्लान के तहत नीति, क्षमता विकास, लैंडस्केप स्तर पर पायलट प्रोजेक्ट, संघर्ष थामने को नवीन तकनीकी का उपयोग, जनसहभागिता जैसे बिंदुओं पर गहनता से मंथन होगा। 71 फीसद वन भूभाग वाले उत्तराखंड में मानव और  वन्यजीवों के बीच छिड़ी जंग अब चिंताजनक स्थिति में पहुंच गई है। गुलदार, बाघ, हाथी, भालू जैसे जानवर जहां खतरे का सबब बने हैं, वहीं बंदर, लंगूर, वनरोज जैसे जानवरों ने भी नींद उड़ाई हुई है। मनुष्य और वन्यजीवों के बीच चल रहे इस संघर्ष में दोनों को ही कीमत चुकानी पड़ रही है। ऐसी ही स्थिति देश के अन्य राज्यों में भी है। 

हालांकि, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में इस संघर्ष को थामने के लिए प्रयास हुए हैं, मगर इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक्शन प्लान नहीं बन पाया है। अब इसके लिए केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय ने पहल की है। नेशनल एक्शन प्लान की रूपरेखा तय करने के लिए मंत्रालय ने उत्तराखंड को चुना है। इसी कड़ी में 18 और 19 सितंबर को ऋषिकेश में मंत्रालय ने उत्तराखंड समेत सभी राज्यों के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालकों समेत अन्य वनाधिकारियों के साथ ही विशेषज्ञों की बैठक बुलाई है। उत्तराखंड के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक राजीव भरतरी ने इसकी पुष्टि की। 

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नेशनल एक्शन प्लान के मद्देनजर विभिन्न राज्यों में मानव-वन्यजीव संघर्ष थामने को हुई पहल के क्रम में राष्ट्रीय स्तर पर समग्र कार्ययोजना की रूपरेखा पर विचार किया जाएगा। इसके अलावा संघर्ष थामने को नीति, क्षमता विकास, नवीनतम तकनीकी का इस्तेमाल, आमजन की सहभागिता जैसे बिंदुओं पर विमर्श होगा। मंथन में निकले बिंदुओं को राष्ट्रीय स्तर पर मानव-वन्यजीव संघर्ष थामने को तैयार किए जाने वाले एक्शन प्लान में शामिल किया जाएगा। फिर इसी के आधार पर राज्यों में कदम उठाए जाएंगे।

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