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Uttarakhand News: उत्तराखंड की लोक कला को मिला सम्मान, तीन हस्तियों को राष्ट्रीय संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार

उत्तराखंड की लोक कला को सम्मान मिला है। प्रदेश की तीन हस्तियों को राष्ट्रीय संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार प्रदान करने की घोषणा की गई है। प्रो. डीआर पुरोहित कठपुतली कलाकार रामलाल भट्ट व ललित सिंह पोखरिया को पुरस्कार मिलेगा।

By Jagran NewsEdited By: Sunil NegiUpdated: Fri, 25 Nov 2022 10:08 PM (IST)
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प्रो. डीआर पुरोहित, कठपुतली कलाकार रामलाल भट्ट व ललित सिंह पोखरिया को राष्ट्रीय संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार मिलेगा।
जागरण संवाददाता, देहरादून : उत्तराखंड की लोक कला व संस्कृति व कलाकारों को बड़ा सम्मान मिला है। प्रदेश की तीन हस्तियों को राष्ट्रीय संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार प्रदान करने की घोषणा की गई है। इनमें हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय में कला निष्पादन केंद्र के संस्थापक प्रो. डीआर पुरोहित को लोक रंगमंच, लोक संगीत के क्षेत्र में राष्ट्रीय संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।

इसके साथ देहरादून के ठाकुरपुर निवासी कठपुतली कलाकार रामलाल भट्ट को लोक संगीत व पपेट्री के जरिये पर्यावरण, शिक्षा व स्कूली बच्चों जागरूक करने के लिए यह पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। वहीं, पिथौरागढ़ के ललित सिंह पोखरिया को रंगमंच के क्षेत्र में उत्कृष्टता के लिए राष्ट्रीय संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से नवाजा जाएगा।

प्रो. पुरोहित कर रहे कला व संस्कृति के संरक्षण के लिए कार्य

प्रो. डीआर पुरोहित वर्तमान में गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के लोक कला एवं संस्कृति निष्पादन केंद्र में एडर्जेट प्रोफेसर के रूप में कार्य कर रहे हैं। विश्वविद्यालय में अंग्रेजी साहित्य के प्रोफेसर रहे डीआर पुरोहित ने ही वर्ष 2006 में इस विभाग की स्थापना की थी। वह निरंतर लोक कला व संस्कृति के संरक्षण के लिए कार्य कर रहे हैं।

रामलाल भट्ट कठपुतलियों को लेकर कर रहे नए प्रयोग

कठपुतली कलाकार रामलाल भट्ट करीब 40 वर्षों से कठपुतलियों को लेकर नए प्रयोग कर रहे हैं। वह बताते हैं कि 12 वर्ष की आयु से ही उन्होंने कठपुतली का खेल दिखाना शुरू कर दिया था। अपने पिता से ही उन्हें इसकी शिक्षा मिली और वह चौथी पीढ़ी के कठपुतली कलाकार हैं। विगत 40 वर्षं से वह उत्तराखंड के दूर-दराज सहित अन्य इलाकों में कठपुतली के जरिये पर्यावरण, शिक्षा सहित अन्य विषयों को लेकर कठपुतली शो किए हैं। उनका कहना है कि उन्होंने कठपुतली को आम जन में जागरुकता का माध्यम बनाया।

ललित सिंह पोखरिया ने रंगमंच को बनाई अपनी कर्मभूमि

रंगमंच की दुनिया को अपनी कर्मभूमि बनाने वाले ललित सिंह पोखरिया नाटक लेखन के साथ ही अभिनय व निर्देशन के क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर चुके हैं। रंगमंच में रूचि के चलते उनका चयन वर्ष 1984 में भारतेंदु नाट्य अकादमी लखनऊ में हो गया था।

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