Coronavirus: ट्रेड यूनियनों के प्रदर्शन में शारीरिक दूरी के नियम हुए तार-तार
श्रम कानूनों में बदलाव के विरोध में आहूत राष्ट्रव्यापी विरोध-प्रदर्शन में शारीरिक दूरी के नियम तार-तार हो गए। कई ने मास्क तक नहीं लगा रखा था न ही शारीरिक दूरी नियम का पालन किया।
By Edited By: Updated: Sat, 23 May 2020 09:29 AM (IST)
देहरादून, जेएनएन। श्रम कानूनों में बदलाव के विरोध में आहूत राष्ट्रव्यापी विरोध-प्रदर्शन में शारीरिक दूरी के नियम तार-तार हो गए। उत्तराखंड की ट्रेड यूनियनों की ओर से पहले गांधी पार्क के सामने और फिर प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में सभा आयोजित की गई। यहां कई ऐसे लोग भी दिखे जिन्होंने मास्क तक नहीं लगा रखा था न ही शारीरिक दूरी नियम का पालन हो रहा था।
प्रदर्शन में यूनियन के नेताओं ने कहा कि बिगड़ती अर्थव्यवस्था के बीच जब श्रमिकों को प्रोत्साहन दिए जाने की आवश्यकता है, तब सरकार श्रम कानूनों को निलंबित कर उनके उत्पीड़न का मौका दे रही है। वहीं, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने भी कहा कि श्रम हित के विरोध में लिए गए केंद्र सरकार के निर्णय का कांग्रेस हर स्तर पर विरोध करेगी।संयुक्त ट्रेड यूनियंस संघर्ष समिति के बैनर तले आयोजित विरोध-प्रदर्शन में इंटक के प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री हीरा सिंह बिष्ट ने कहा कि कोरोना के चलते श्रमिकों की स्थिति बदहाल हो गई है। ऐसे में केंद्र सरकार के इशारे पर श्रम कानूनों को निलंबित करने और बदलाव करने से श्रमिकों को केवल नुकसान होगा। सरकारों व कंपनियों को उनके शोषण का अधिकार मिल जाएगा।
उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात व अन्य राज्यों में काम के घंटे आठ से बढ़ाकर 12 तो कर दिए गए, लेकिन उनके स्वास्थ्य, वेतन आदि को लेकर कोई चिंता नहीं की गई। ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक) के कार्यवाहक अध्यक्ष समर भंडारी ने कहा कि केंद्र सरकार ऐसे मुश्किल दौर में सरकारी उपक्रमों को निजी हाथों में बेचने का कुचक्र रच रही है।बीएसएनएल, हवाई अड्डों, विद्युत परियोजनाओं, ओएनजीसी व रक्षा संस्थानों को निजी हाथों में देने की तैयारी कर रही है। इस दौरान जिला प्रशासन के माध्यम से प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को 11 सूत्रीय ज्ञापन भी भेजा। शारीरिक दूरी और लॉकडाउन के नियमों के उल्लंघन के सवाल पर ट्रेड यूनियनों के नेताओं ने कहा कि प्रदर्शन के लिए प्रशासन से बाकायदा अनुमति ली गई थी और लॉकडाउन के सभी नियमों का पालन किया गया।
खाली थाली बजाकर किया विरोधउत्तराखंड कामगार महासंघ के कार्यालय पर कार्यकर्ताओं ने खाली थाली बजाकर श्रम कानूनों में बदलाव का विरोध किया। महासंघ की अध्यक्ष व प्रदेश महिला कांग्रेस की उपाध्यक्ष आशा मनोरमा डोबरियाल शर्मा ने कहा कि कामगारों की थाली खाली हो रही है। सरकारें श्रम कानून में श्रमिक विरोधी परिवर्तन कर रही हैं। महासंघ की ओर से इसे लेकर राष्ट्रपति को ज्ञापन भी भेजा गया।
जीएमवीएन के कर्मचारियों ने किया विरोधगढ़वाल मंडल विकास निगम (जीएमवीएन) के कर्मचारियों ने भी श्रम कानून में बदलाव का विरोध किया है। कर्मचारी संगठन सीटू के बैनर तले कर्मचारियों ने कार्यालय के गेट पर सांकेतिक प्रदर्शन कर केंद्र सरकार का विरोध किया।यह भी पढ़ें: कैबिनेट में लिए गए एक फैसले को लेकर कांग्रेस ने सरकार को लिया आड़े हाथ
श्रम कानूनों में बदलाव को बताया श्रमिक विरोधीऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस मसूरी शाखा ने श्रम कानूनों में किए गए बदलाव के विरोध में एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री तथा श्रम मंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया। संगठन का कहना है कि इस समय पूरा देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है, जिसका सबसे अधिक प्रभाव असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों पर पड़ रहा है। श्रमिक भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं। ऐसे में श्रम कानूनों में बदलाव करना श्रमिकों के साथ नाइंसाफी है। ज्ञापन देने वालों में एटक मसूरी शाखा अध्यक्ष आरपी बडोनी, बीरेंद्र रावत, पूरण सिंह नेगी शामिल थे।
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