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जौलीग्रांट एयरपोर्ट और ऋषिकेश के बीच बने पुल पर भारी पड़ी लापरवाही, डेढ़ साल पहले बज चुकी थी खतरे की घंटी

जाखन नदी पर बने पुल के क्षतिग्रस्त होने में आपदा ही नहीं बल्कि सिस्टम की भी लापरवाही जिम्मेदार है। पिलरों के आसपास खनन से पुल को खतरा होने की आहट करीब डेढ़ साल पहले महूसस हो गई थी।

By Raksha PanthriEdited By: Updated: Sun, 29 Aug 2021 11:55 AM (IST)
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जौलीग्रांट एयरपोर्ट और ऋषिकेश के बीच बने पुल पर भारी पड़ी लापरवाही।
जागरण संवाददाता, ऋषिकेश। रानीपोखरी में जाखन नदी पर बने पुल के क्षतिग्रस्त होने में आपदा ही नहीं, बल्कि सिस्टम की भी लापरवाही जिम्मेदार है। पिलरों के आसपास खनन से पुल को खतरा होने की आहट करीब डेढ़ साल पहले महूसस हो गई थी। लोक निर्माण विभाग के अस्थायी खंड ऋषिकेश के तत्कालीन अधिशासी अभियंता ने उप जिलाधिकारी ऋषिकेश को इस संबंध में पत्र लिखकर इस पर संज्ञान लेने का अनुरोध किया था। लेकिन, अफसरों की नींद नहीं टूटी। नतीजा एक रोज पहले पुल टूटने के रूप में सामने आया।

देहरादून-ऋषिकेश मार्ग पर रानीपोखरी में जाखन नदी पर बने 57 साल पुराने पुल के टूटने के कई कारण सामने आ रहे हैं। अत्यधिक पानी का दबाव, रखरखाव की कमी और पुल के नीचे अंधाधुंध खनन प्रमुख रूप से शामिल हैं। लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता हरिओम शर्मा ने भी विगत दिवस मौका मुआयने के दौरान पुल क्षतिग्रस्त होने के पीछे खनन को एक कारण बताया था। हालांकि, मुख्यमंत्री ने प्रकरण की जांच बिठाई है, असल कारण उसके बाद ही सामने आएंगे।

इधर, दैनिक जागरण की पड़ताल में सामने आया कि इस पुल के नीचे लंबे समय से खनन हो रहा था। इसको लेकर 20 मार्च 2020 को लोक निर्माण विभाग अस्थायी खंड ऋषिकेश के तत्कालीन अधिशासी अभियंता विपुल कुमार सैनी ने उप जिलाधिकारी को पत्र को पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने उल्लेख किया था कि ऋषिकेश से भानियावाला की ओर 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पुल के नीचे खनन का कार्य हो रहा है। इससे आने वाली बरसात से पुल को खतरा पैदा हो गया है।

पत्र में उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि इस मुख्य मार्ग पर विशिष्ट और अतिविशिष्ट व्यक्तियों का आवागमन होता रहता है। इसलिए पुल की सुरक्षा को देखते हुए इस पर अग्रिम कार्रवाई की जाए। इस पत्र को लिखे डेढ़ वर्ष हो गए हैं। जिस पर प्रशासन ने संज्ञान नहीं लिया। इस अवधि में ऋषिकेश में चार उपजिलाधिकारी बदले जा चुके हैं। वर्तमान उप जिलाधिकारी डा. अपूर्वा सिंह से इस संबंध में जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि उनकी यहां तैनाती को अभी 20 दिन हुए हैं। इसलिए अभी इस पर कुछ कह पाना संभव नहीं है।

पुल से डेढ़ सौ मीटर की परिधि में खनन पर है रोक

सरकार की ओर से जिस किसी भी नदी क्षेत्र में जब खनन के पट्टे जारी किए जाते हैं तो यह मुख्य शर्त होती है कि आसपास स्थित किसी भी पुल के डेढ़ सौ मीटर क्षेत्र में खनन नहीं होगा। इसके पीछे कारण यही है कि खनन से पुल को खतरा हो सकता है। रानीपोखरी जाखन नदी में शासन की ओर से खनन के पट्टे जारी किए गए थे। खनन पट्टे की आड़ में अवैध खनन भी होता रहा है। सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच खनन की अनुमति होती है। लेकिन यहां अंधेरे में खनन की शिकायत समय-समय पर होती रही है।

रात में होने वाले अवैध खनन में यह नहीं देखा जाता कि नदी के मध्य में या किनारे पर खनन हो रहा है या नहीं। रानीपोखरी के कई भूखंडों में अवैध रूप से खनिज भंडारण का कार्य किसी से छिपा नहीं है। प्रशासन ने यह भी जानने की कोशिश नहीं की है कि भंडारण करने वालों के पास लाइसेंस है या नहीं। अगर लाइसेंस है भी तो उसके लिए खनिज भंडारण की कितनी क्षमता निर्धारित की गई है। आरोप यह भी है कि यहां खनन करने वालों को राजनीतिक संरक्षण है। यही कारण है कि प्रशासन के हाथ इन तक नहीं पहुंच पाते। डोईवाला के पूर्व विधायक व पूर्व काबीना मंत्री हीरा सिंह बिष्ट भी पुल के नीचे और नदी में अवैध खनन का आरोप लगा चुके हैं।

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